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उत्तराखंड में अब सरकारी दस्तावेजों में विक्रम संवत और हिंदू माह का उल्लेख अनिवार्य

उत्तराखंड में सरकारी दस्तावेजों में विक्रम संवत और हिंदू माह का उल्लेख अनिवार्य। जानिए सीएम पुष्कर सिंह धामी के इस ऐतिहासिक फैसले के बारे में।
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने राज्य के सभी सरकारी दस्तावेजों, अधिसूचनाओं, गजट नोटिफिकेशन, उद्घाटन पट्टिकाओं और शिलान्यास शिलाओं में विक्रम संवत और हिंदू महीनों का उल्लेख अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है।

सीएम धामी का बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में मुख्य सचिव को तत्काल आवश्यक आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं। उनका मानना है कि विक्रम संवत भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है, जो हजारों सालों से भारत में समय-गणना का प्रमुख आधार रहा है। धामी ने कहा कि इस फैसले से भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा को सम्मान मिलेगा और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व की जानकारी होगी।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ विक्रम संवत का उल्लेख

वर्तमान में ज्यादातर सरकारी दस्तावेज ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार प्रकाशित किए जाते हैं। इससे पारंपरिक भारतीय समय-गणना पीछे छूटती जा रही है। सीएम धामी ने कहा कि विक्रम संवत को सरकारी दस्तावेजों में शामिल करने से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों में अपनी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

विक्रम संवत का ऐतिहासिक महत्व

विक्रम संवत भारतीय कालगणना का एक प्रमुख संवत है, जिसका प्रचलन महाराजा विक्रमादित्य ने किया था। इसका आरंभ ईसा पूर्व 57 में माना जाता है। यह संवत चंद्र और सौर कैलेंडर पर आधारित है। इसमें महीने दो पक्षों में विभाजित होते हैं - शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कलाएं बढ़ती हैं, जबकि कृष्ण पक्ष में घटती हैं। हिंदू पंचांग में चैत्र माह से नए साल की शुरुआत होती है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी से नए साल की शुरुआत होती है।

आने वाली पीढ़ियों को मिलेगी जानकारी

सीएम धामी ने कहा कि इस फैसले से आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति और परंपरा की जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि विक्रम संवत को सरकारी दस्तावेजों में शामिल करने से हमारी गौरवशाली परंपरा को सम्मान मिलेगा और यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ेगा।

भारतीय परंपराओं के संरक्षण को बल मिलेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार चलने से भारतीय परंपराओं के संरक्षण को बल मिलेगा और लोगों में अपनी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

क्या है विक्रम संवत?

विक्रम संवत भारतीय कालगणना का एक प्रमुख संवत है, जिसका प्रचलन महाराजा विक्रमादित्य ने किया था। इसका आरंभ ईसा पूर्व 57 में माना जाता है। यह संवत चंद्र और सौर कैलेंडर पर आधारित है। इसमें महीने दो पक्षों में विभाजित होते हैं - शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कलाएं बढ़ती हैं, जबकि कृष्ण पक्ष में घटती हैं। हिंदू पंचांग में चैत्र माह से नए साल की शुरुआत होती है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी से नए साल की शुरुआत होती है।

सरकारी दस्तावेजों में बदलाव

इस फैसले के बाद अब उत्तराखंड में जारी होने वाले सभी सरकारी दस्तावेजों, अधिसूचनाओं, गजट नोटिफिकेशन, उद्घाटन पट्टिकाओं और शिलान्यास शिलाओं में विक्रम संवत और हिंदू महीनों का उल्लेख किया जाएगा। इससे भारतीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

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