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Noida Liquor News: एक के साथ एक फ्री.. नोएडा में शराब के ठेकों पर लंबी–लंबी लाइनें, बड़ी दिलचस्प है वज़ह

यूपी में नई आबकारी नीति से पहले नोएडा में शराब दुकानदार स्टॉक खाली करने में जुटे, भारी छूट और 'एक पर एक फ्री' ऑफर से भीड़ उमड़ी।
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Liquor News: उत्तर प्रदेश के नोएडा और मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में इन दिनों एक अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है। शराब की दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हैं, लोग हाथों में बोतलें और पेटियां लिए भागते नजर आ रहे हैं। यह कोई साधारण खरीदारी नहीं, बल्कि ‘पैनिक बाइंग’ का एक जीता-जागता उदाहरण है। वजह है शराब विक्रेताओं द्वारा शुरू की गई ‘एक पर एक फ्री’ स्कीम, जो लोगों को अपनी ओर खींच रही है। आखिर यह सब क्यों हो रहा है और इसके पीछे की कहानी क्या है, आइए विस्तार से जानते हैं।

‘एक पर एक फ्री’ का लालच

नोएडा में शराब की दुकानों पर इन दिनों भारी भीड़ उमड़ रही है। लोग न सिर्फ बोतलें, बल्कि पूरी-पूरी पेटियां खरीद रहे हैं। इसका कारण है दुकानदारों द्वारा शुरू की गई भारी छूट और ‘एक पर एक मुफ्त’ जैसी स्कीम। यह ऑफर इतना आकर्षक है कि शराब के शौकीनों के लिए यह किसी सुनहरे मौके से कम नहीं। दुकानों के बाहर भीड़ इतनी बढ़ गई है कि कई बार लोग आपस में उलझते भी दिख रहे हैं। यह सिलसिला पिछले शुक्रवार से शुरू हुआ, जब नई आबकारी नीति की खबरें फैलीं और दुकानदारों ने अपने स्टॉक को जल्दी खत्म करने के लिए ऐसे ऑफर निकाले।

31 मार्च तक क्यों करना है स्टॉक खतम?

शराब विक्रेताओं के इस उत्साह के पीछे एक बड़ी वजह है। उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू होने जा रही है, और नियमों के मुताबिक 31 मार्च की मध्यरात्रि तक दुकानदारों को अपना पुराना स्टॉक खत्म करना जरूरी है। अगर स्टॉक बच गया, तो उसे सरकार अपने कब्जे में ले लेगी और उसकी बिक्री नहीं हो सकेगी। इसी दबाव में दुकानदार 40 से 50 फीसदी तक की छूट दे रहे हैं। नोएडा जैसे शहरों में जहां रोजाना लाखों बोतलें बिकती हैं, वहां यह जल्दबाजी साफ दिखाई दे रही है। आबकारी अधिकारियों के अनुसार, इस सप्ताह सामान्य दिनों की तुलना में 30 से 40 फीसदी ज्यादा बिक्री हो रही है।

क्या है नई आबकारी नीति?

नई आबकारी नीति में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। पहले शराब की दुकानों के लाइसेंस हर साल रिन्यू किए जाते थे, लेकिन अब ई-लॉटरी सिस्टम लागू किया गया है। इसके तहत करीब 80 फीसदी मौजूदा दुकानदारों के लाइसेंस बदल सकते हैं, जिससे नए लोगों को भी बाजार में आने का मौका मिलेगा। साथ ही, सरकार ने ‘कंपोजिट दुकानें’ शुरू करने का फैसला किया है, जहां बीयर और मेड इन इंडिया विदेशी शराब (IMFL) एक ही छत के नीचे बिकेगी। पहले ये दुकानें अलग-अलग होती थीं, लेकिन अब इनका विलय हो जाएगा। नोएडा में पहले 535 शराब की दुकानें थीं, जिन्हें अब घटाकर 501 कर दिया गया है, जिसमें 239 कंपोजिट दुकानें और 234 देसी शराब की दुकानें शामिल हैं।

क्या है शराब की बिक्री का आंकड़ा?

नोएडा में शराब की दुकानें हर दिन औसतन 10 हजार बीयर की बोतलें, 30 हजार विदेशी शराब की बोतलें और 40 हजार देसी शराब की बोतलें बेचती हैं। इससे रोजाना 3 से 4 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। इस सप्ताह छूट और ऑफर की वजह से बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। दुकानदारों का मकसद स्टॉक खत्म करना है, वहीं सरकार को भी इससे अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद है। यह स्थिति न सिर्फ नोएडा, बल्कि लखनऊ, मुजफ्फरनगर और यूपी के अन्य बड़े शहरों में भी देखने को मिल रही है।

मौके का फायदा या नीति का असर?

नोएडा में शराब की यह ‘लूट’ दरअसल नई आबकारी नीति का असर है। दुकानदारों की मजबूरी और लोगों के लालच ने मिलकर एक अनोखा माहौल बना दिया है। जहां एक तरफ शराब के शौकीन इस मौके को भुनाने में जुटे हैं, वहीं दुकानदार अपने नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। 31 मार्च के बाद जब नई नीति लागू होगी, तो शराब का बाजार नए सिरे से तैयार होगा। तब तक यह ‘पैनिक बाइंग’ और ‘एक पर एक फ्री’ का खेल चलता रहेगा।

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