नेपाल में फिर गूंजा 'राजा आओ, देश बचाओ' का नारा, जानिए राजशाही की मांग क्यों कर रहे प्रदर्शनकारी?
नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है। जिस देश ने 2008 में लोकतंत्र अपनाया था, आज वही लोकतंत्र से नाराज दिख रहा है। लोग कह रहे हैं कि भ्रष्ट नेताओं ने देश की हालत खराब कर दी है, आर्थिक संकट गहरा गया है, युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही, और धार्मिक पहचान भी खतरे में है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि प्रदर्शन हिंसक हो गए, कारें जला दी गईं, दुकानों में लूटपाट हुई और पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई। सवाल उठता है कि आखिर नेपाल में ऐसा हो क्या रहा है? चलिए समझते हैं पूरा मामला।
नेपाल में क्यों उठ रही राजशाही की मांग?
नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग अचानक नहीं उठी। इसके पीछे कई वजहें हैं, जो जनता को सड़कों पर ले आई हैं।
1- भ्रष्ट नेताओं से जनता परेशान!
नेपाल के लोगों का कहना है कि देश के राजनीतिक दल पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूब चुके हैं। जनता को धोखा दिया जा रहा है। पहले नेपाल एक हिंदू राष्ट्र था, लेकिन अब दूसरे धर्मों को बढ़ावा दिया जा रहा है। लोगों को लग रहा है कि नेपाल अपनी पहचान खो देगा। उनका मानना है कि जब नेपाल में राजशाही थी, तब हालात बेहतर थे। अब सरकार की गलत नीतियों ने देश को गर्त में धकेल दिया है।
2- बेरोजगारी और आर्थिक संकट ने बढ़ाई मुश्किलें
नेपाल में रोजगार के अवसर लगातार घट रहे हैं। युवाओं के पास नौकरी नहीं है, इसीलिए वे दूसरे देशों में पलायन करने को मजबूर हैं। देश की आर्थिक हालत भी लगातार बिगड़ती जा रही है। जनता का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो नेपाल बर्बाद हो जाएगा। इसलिए लोग कह रहे हैं कि सत्ता फिर से राजा के हाथ में दे दी जाए।
3- विदेश नीति से लोग नाराज
नेपाल सरकार की विदेश नीति भी जनता को पसंद नहीं आ रही। खासतौर पर चीन की ओर झुकाव को लेकर लोग नाराज हैं। जनता को डर है कि अगर नेपाल ने चीन की ओर झुकाव जारी रखा, तो कहीं नेपाल का हाल भी ताइवान जैसा न हो जाए। इसके अलावा, भारत से भी नेपाल की दूरी बढ़ रही है, जिससे लोगों में गुस्सा है।
4- हिंदू राष्ट्र की मांग तेज
नेपाल कभी दुनिया का इकलौता हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन अब वहां तेजी से दूसरे धर्मों का विस्तार हो रहा है। खासतौर पर ईसाई धर्म के अनुयायियों की संख्या बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में नेपाल में करीब 7,758 चर्च बन चुके हैं। बड़ी संख्या में बौद्ध लोग भी ईसाई धर्म अपना रहे हैं। इससे हिंदू और बौद्ध समुदाय के लोग परेशान हैं। अब वे चाहते हैं कि नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बने और राजशाही वापस आए।
5- पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की बढ़ती सक्रियता
नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह राजनीति से दूर थे, लेकिन अब उनकी सक्रियता अचानक बढ़ गई है। मार्च 2025 में उन्होंने काठमांडू और पोखरा में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिससे राजशाही समर्थकों को और ताकत मिल गई।
नेपाल में प्रदर्शन क्यों हुए हिंसक?
नेपाल की राजधानी काठमांडू में जब हजारों लोग सड़कों पर उतरे, तो सरकार घबरा गई। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। लेकिन हालात बेकाबू हो गए। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सरकारी वाहनों को आग लगा दी, दुकानों में तोड़फोड़ की। झड़पों के दौरान एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही?
यह सवाल हर किसी के मन में है कि क्या नेपाल में एक बार फिर से राजा की सत्ता लौटेगी? फिलहाल, नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की सरकार है, लेकिन विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) खुलकर राजशाही का समर्थन कर रही है। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले समय में नेपाल की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
नेपाल में जो माहौल है, उसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि जनता अब बदलाव चाहती है।
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