नेहा सिंह राठौर पर FIR: कई धाराओं में केस, जानिए कौन सी जमानती, कौन सी गैर-जमानती!
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर सुर्खियों में हैं। अपने गानों और वीडियो के जरिए वो केंद्र की मोदी सरकार पर तीखे सवाल दाग रही हैं। सोशल मीडिया पर नेहा को लेकर लोग दो खेमों में बंट गए हैं। कुछ उनके सवालों को जायज मान रहे हैं, तो कुछ उन्हें पाकिस्तान समर्थक बताकर निशाना साध रहे हैं। इस बीच, लखनऊ के हजरतगंज थाने में नेहा के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। शिकायतकर्ता अभय प्रताप सिंह ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की 10 धाराओं और IT एक्ट की एक धारा के तहत केस दर्ज कराया है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि नेहा पर कौन-कौन सी धाराएं लगी हैं, इनमें जमानत का क्या नियम है, और सजा का क्या प्रावधान है।
नेहा पर लगीं ये धाराएं
नेहा सिंह राठौर के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने 11 धाराओं में FIR दर्ज की है। इनमें शामिल हैं:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023:
धारा 196(1)(a)
धारा 196(1)(b)
धारा 197(1)(a)
धारा 197(1)(b)
धारा 197(1)(c)
धारा 197(1)(d)
धारा 353(1)(c)
धारा 353(2)
धारा 302
धारा 152
सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008:
धारा 69A
धाराओं का मतलब और सजा
धारा 196(1)(a) और 196(1)(b)
ये धाराएं सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने या सार्वजनिक शांति भंग करने से जुड़ी हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी समुदाय, भाषा या क्षेत्र के खिलाफ नफरत भरे पोस्ट करता है या अशांति फैलाने की कोशिश करता है, तो उसे इन धाराओं के तहत अपराधी माना जाता है। सजा: 3 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों।
धारा 197(1)(a, b, c, d)
इन धाराओं में देश के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाने, नागरिकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाने, सामाजिक असामंजस्य पैदा करने या गलत जानकारी फैलाने जैसे अपराध शामिल हैं। सजा: 3 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों।
धारा 353(1)(c) और 353(2)
ये धाराएं सार्वजनिक उपद्रव फैलाने वाले बयानों से जुड़ी हैं। अगर कोई ऐसी बात कहता है, जिससे समाज में अशांति फैलने का खतरा हो, तो उसे अपराधी माना जाता है। सजा: 3 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों।
धारा 302 (BNS)
ये धारा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से जुड़ी है। अगर कोई बयान या पोस्ट किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, तो इस धारा के तहत केस दर्ज होता है। सजा: 3 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों।
धारा 152
ये सबसे गंभीर धारा है, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने से जुड़ी है। इसे देशद्रोह (sedition) से जोड़ा जाता है। सजा: 7 साल तक की जेल या आजीवन कारावास, साथ में जुर्माना।
IT एक्ट, धारा 69A
ये धारा सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री पोस्ट करने से जुड़ी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है। सजा: 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
जमानती vs गैर-जमानती धाराएं
जमानती धाराएं: धारा 196(1)(a), 196(1)(b), 197(1)(a, b, c, d), 353(1)(c), 353(2), और 302 जमानती हैं। इनमें सजा 7 साल से कम है, इसलिए पुलिस या कोर्ट से जमानत मिल सकती है।
गैर-जमानती धाराएं: धारा 152 (देशद्रोह) और IT एक्ट की धारा 69A गैर-जमानती हैं। इनमें सजा 7 साल या उससे ज्यादा हो सकती है, इसलिए जमानत के लिए नेहा को कोर्ट में अर्जी देनी होगी, और जमानत मिलना कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है।
नोट: गैर-जमानती मामलों में अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए कोर्ट में अपील की जा सकती है, लेकिन इसके लिए ठोस कारण चाहिए।
सजा कितनी हो सकती है?
अगर नेहा सिंह राठौर इन धाराओं में दोषी पाई जाती हैं, तो:
धारा 196, 197, 353, और 302 के तहत 3 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों।
धारा 152 और IT एक्ट 69A के तहत 7 साल तक की जेल या आजीवन कारावास, साथ में जुर्माना। सजा का फैसला कोर्ट में केस की सुनवाई और सबूतों के आधार पर होगा।
नेहा का जवाब
FIR के बाद नेहा सिंह राठौर ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा, "मेरे खिलाफ FIR हो गई, होनी भी चाहिए। एक मामूली लड़की इतने बड़े लोकतंत्र में सवाल कैसे पूछ सकती है? दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है भाई!" नेहा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सरकार पर सवाल उठाने का हक जताया और कहा कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
क्या है पूरा विवाद?
नेहा ने अपने X पोस्ट में पहलगाम हमले को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने दावा किया कि BJP ने पुलवामा हमले की तरह पहलगाम हमले को भी वोट की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया। शिकायतकर्ता अभय प्रताप सिंह का कहना है कि नेहा के बयान नफरत फैलाने वाले और देश की एकता के खिलाफ हैं। खासकर तब, जब उनके पोस्ट को पाकिस्तानी मीडिया ने वायरल किया।
नेहा पहले भी अपने गानों जैसे 'UP में का बा' और 'MP में का बा' की वजह से विवादों में रही हैं। लेकिन इस बार मामला गंभीर है, क्योंकि देशद्रोह जैसी धारा लगने से उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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