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राष्ट्रीय किसान दिवस 2024: जानिए कौन थे किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह?

चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है। अपने राजनीतिक करियर के दौरान चौधरी चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की पैरवी की और उनकी सशक्तिकरण के लिए नीतियों का नेतृत्व किया।
02:51 PM Dec 23, 2024 IST | Shiwani Singh
किसानों के मसीहा: चौधरी चरण सिंह

आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (chaudhary charan singh) की 122वीं जयंती है। किसानों और मजदूरों के उत्थान में अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उनकी दूरदर्शी नीतियों ने ग्रामीण भारत का परिदृश्य बदल दिया। किसानों के उत्थान और समावेशी विकास पर जोर देने वाली उनकी विरासत आज भी नीतियों को प्रेरित करती हैं और यह दर्शाती हैं कि ग्रामीण विकास भारत की प्रगति में कितना महत्वपूर्ण है।

पीएम ने चौधरी चरण सिंह की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पांचवे पीएम और किसानों और मजदूरों के नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चौधरी चरण सिंह की जिंदगी से जुड़ा एक वीडियो शेयर कर लिखा, ''गरीबों और किसानों के सच्चे हितैषी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव हर किसी को प्रेरित करता रहेगा।

किसानों के मसीहा 'चौधरी चरण सिंह'

चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है। अपने राजनीतिक करियर के दौरान चौधरी चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की पैरवी की और उनकी सशक्तिकरण के लिए नीतियों का नेतृत्व किया। उन्होंने भूमि सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भूमिहीन किसानों को भूमि पुनर्वितरण की वकालत की, जिससे एक न्यायसंगत कृषि व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।

उनके प्रयासों ने कई किसान-हितैषी नीतियों को जन्म दिया। जिनका उद्देश्य किसानों के जीवन स्तर को सुधारना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना और आर्थिक स्थिरता प्रदान करना था। वहीं प्रधानमंत्री के रूप में उनका नेतृत्व ग्रामीण मुद्दों की गहरी समझ और भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए जाना जाता है।

 

जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करना

चौधरी जी का मनना था कि जाति आधारित भेदभाव को समाप्त किया जाए और वंचित समुदायों के लिए आर्थिक अवसर सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रीत किया जाए। उनका दृढ़ विश्वास था कि ग्रामीण भारत के वंचित सामाजिक समूहों को लोकतंत्र में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। चौधरी चरण सिंह ने कहा था, "एक राष्ट्र तभी समृद्ध हो सकता है, जब उसका ग्रामीण क्षेत्र उन्नत हो और उसकी क्रय शक्ति उच्च हो।"

मेरठ से रहा है गहरा नाता

वैसे तो चौधरी चरण सिंह जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर मढ़ैया में हुआ, लेकिन उनका यूपी के मेरठ से ज्यादा गहरा नाता रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर एलएलबी तक की पढ़ाई उन्होंने मेरठ में ही की थी। बता दें कि बाल्यावस्था में वे भूपगढ़ी में अपने ताऊ के यहां रहने लगे थे। उन्होंने कक्षा 4 तक की पढ़ाई भूपगढ़ी गांव की प्राइमरी स्कूल से ही की थी। इसके बाद वह कुछ साल के लिए वे नूरपुर चले गए और फिर मेरठ आ गए। उन्होंने मीडिल से लेकर ग्रेजुएट और एलएलबी की पढ़ाई भूपगढ़ी गांव में रहकर ही।

भूपगढ़ी से पैदल मेरठ पढ़ने जाते थे

चरण सिंह रोजाना अपने गांव भूपगढ़ी से पैदल मेरठ पढ़ने के लिए जाते थे। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मेरठ कॉलेज के हॉस्टल में रहते हुए एलएलबी की डिग्री ली। इसके बाद मेरठ बार एसोसिएशन के सदस्य बने और यहां कचहरी में प्रैक्टिस भी की।

आजादी के आंदोलन में गए थे जेल

बता दें कि अपने गांव भूपगढ़ी में रहने के दौरान ही चरण सिंह आजादी के आंदोनल में कूद पड़े थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी। मेरठ में साल साल 1941 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए आंदोलन में उन्हें जेल जाना पड़ा था। उनके साथ उनके बचपन के दोस्त छोटनलाल उपाध्याय भी जेल गए थे। ऐसा कहा जाता है कि चरण सिंह ने मेरठ, मवाना, सरधना, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किए थे।

पांच महीने ही रहे देश प्रधानमंत्री

चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री थे। वे 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के पद पर कार्यरत रहें। उनका कार्यकाल केवल साढ़े पांच महीने ही चला। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुके थे। 29 मई 1987 को 84 साल की उम्र में उनका देहांत हुआ। मरणोपरांत उन्हें 2024 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

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