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नागपुर को जलाने की साजिश का हुआ पर्दाफाश, जानें कैसे सोशल मीडिया बना मुख्य हथियार?

नागपुर हिंसा पूर्व नियोजित थी, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट ने आग भड़काई। जानिए, साजिश के मास्टरमाइंड कौन थे और पुलिस क्या कर रही है?
01:11 PM Mar 22, 2025 IST | Rohit Agrawal

Nagpur violence social media clot: नागपुर में हाल ही में भड़की हिंसा कोई अचानक घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। सोशल मीडिया पर भड़काऊ नारों के एक वायरल पोस्ट ने इस आग को हवा दी थी। नागपुर साइबर पुलिस की जांच ने इस साजिश की परतें उघाड़ी हैं, जिसमें देश के खिलाफ नफरत भरी बातें, औरंगजेब की तारीफ और हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश साफ दिखती है। यह कहानी सिर्फ दंगों की नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग और इसके पीछे छिपी गहरी साजिश की है।

वायरल पोस्ट: 15 मिनट दो फ़िर देखो....

नागपुर साइबर पुलिस को इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ऐसे पोस्ट मिले, जिनमें लिखा था, "15 मिनट दो फिर देखो," "मुसलमान जितनी जंग लड़े, सब जीते," और "औरंगजेब पहले भी जिंदा थे, आज भी हैं, कयामत तक रहेंगे।" कुछ पोस्ट में तो 6 अप्रैल की रामनवमी को निशाना बनाते हुए हिंदुओं को "अस्पताल भेजने" की धमकी तक दी गई। ये पोस्ट @MNQUASMIMD, @Millattimes और बांग्लादेश के @nawazkhanpathan जैसे अकाउंट्स से किए गए। पुलिस ने पाया कि ये सिर्फ गुस्सा उभारने के लिए नहीं, बल्कि सुनियोजित हिंसा की तैयारी का हिस्सा थे। CCTV फुटेज में 17 मार्च की शाम 7:57 से 8:07 बजे तक दंगाई पुलिस पर पथराव करते दिखे।

 

फहीम खान से लेकर बांग्लादेशी कनेक्शन

गिरफ्तार आरोपी फहीम खान इस साजिश का अहम किरदार निकला है।जांच में पता चला कि उसने पहले भी हिंदू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट किए थे और कांग्रेस नेताओं के पोस्ट रिपोस्ट किए थे। पुलिस अब उसके सोशल मीडिया हैंडल्स को स्कैन कर रही है, डिलीट मैसेज रिट्रीव कर रही है, ताकि यह पता लगे कि उसका कश्मीरी, बांग्लादेशी या पाकिस्तानी कनेक्शन तो नहीं। बांग्लादेशी अकाउंट से हिंसा भड़काने की धमकी और पाकिस्तान के पक्ष में लिखे पोस्ट इस साजिश को अंतरराष्ट्रीय साजिश की ओर इशारा करते हैं। अब तक 89 दंगाइयों को पकड़ा जा चुका है, लेकिन कई सवाल अभी अनसुलझे हैं।

साजिश के अन्य चहरे: हामिद और शहजाद

पुलिस ने माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी के हामिद इंगिन्या और यूट्यूबर मोहम्मद शहजाद खान को भी गिरफ्तार किया। सूत्रों के मुताबिक, 17 मार्च की हिंसा की प्लानिंग सुबह से शुरू हो गई थी। सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच से पता चला कि यह सब पहले से तय था कि कब भीड़ जुटानी है, कब हमला करना है। छह दिन बाद भी शहर के 9 थाना क्षेत्रों—गणेशपेठ, कोतवाली, तहसील, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, इमामवाड़ा और यशोधरानगर—में कर्फ्यू जारी है, जो हालात की गंभीरता दिखाता है।

फडणवीस का सख्त रुख

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा, "जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।" उन्होंने फिल्म "छावा" का जिक्र किया, जो छत्रपति संभाजी महाराज की कहानी दिखाती है और औरंगजेब के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़का रही है। फडणवीस ने माना कि भावनाएं उबाल पर हैं, लेकिन हिंसा का रास्ता गलत है। पुलिसकर्मियों और नागरिकों पर पथराव ने इस घटना को और संगीन बना दिया।

दंगे भड़काने का क्या है असली मकसद?

यह साजिश सिर्फ नागपुर तक सीमित नहीं लगती। बांग्लादेशी कनेक्शन, भड़काऊ वीडियो और सोशल मीडिया का इस्तेमाल बताता है कि इसके पीछे पूर्व सुनियोजित एक बड़ा खेल है। जिसकी पुलिस अब हर एंगल से जांच कर रही है कि क्या यह धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश थी, या देश की शांति को भंग करने का प्लान? हालांकि नागपुर की सड़कों पर अब शांति है, लेकिन साइबर दुनिया में जंग जारी है। यह घटना एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया अब सिर्फ बातचीत का जरिया नहीं, बल्कि हिंसा का हथियार भी बन सकता है।

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