वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम समाज की एकजुट हुंकार, दिल्ली में आज दिखाएंगे अपनी ताकत
देश की राजधानी दिल्ली आज एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है। तालकटोरा स्टेडियम में देशभर के मुस्लिम संगठनों ने एकजुट होकर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। यह विरोध महज़ एक कानून के खिलाफ नहीं है, बल्कि संविधान, धार्मिक आज़ादी और शरियत के संरक्षण की एक मुहिम बनता जा रहा है—कुछ वैसा ही जैसा 1985 में शाहबानो केस के दौरान देखा गया था।
वक्फ एक्ट पर भड़का हुआ है मुस्लिम समाज
मोदी सरकार द्वारा पास किए गए वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह ना सिर्फ शरियत में दखल है, बल्कि यह संविधान में मिले धार्मिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के नेतृत्व में यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है।
‘वक्फ बचाओ अभियान’ बना मुस्लिमों का आंदोलन
AIMPLB के बैनर तले चल रहा ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ अभियान अब जनांदोलन का रूप ले चुका है। पहले चरण में 87 दिनों तक चलने वाले इस अभियान का मकसद है—एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपना। विरोध सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि हर शुक्रवार को मस्जिदों के बाहर मानव श्रृंखलाएं बनाकर भी विरोध जताया जा रहा है।
दिल्ली में दिखाएंगे मुस्लिम संगठन अपनी ताकत
तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ में AIMPLB के साथ जमात-ए-इस्लामी हिंद, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जमात ए अहले हदीस समेत कई अहम मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह आयोजन दिखाता है कि अब मुस्लिम समाज आर-पार की लड़ाई के मूड में है।
ब्लैकआउट और रामलीला मैदान रैली की बनी योजना
अपने आंदोलन के अगले चरण में देश भर के मुस्लिम दो नए कदम उठाएंगे। इनके तहत
- 30 अप्रैल को ब्लैकआउट होगा: देशभर के मुस्लिम अपने घरों, दफ्तरों और दुकानों की लाइट आधे घंटे के लिए बंद करेंगे, ताकि सांकेतिक विरोध दर्ज कराया जा सके।
- 7 मई को रामलीला मैदान पर होगी रैली: दिल्ली में एक और बड़ी रैली की योजना है, जो आंदोलन को नई दिशा देगी।
मुस्लिम महिलाएं करेंगी अगुवाई
AIMPLB की महिला विंग देशभर में जागरूकता अभियान चला रही है। यह पहली बार है जब मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी इतनी संगठित रूप में देखी जा रही है, जो इस आंदोलन को और भी व्यापक बना रही है।
मुस्लिम समाज की आपत्तियां क्या हैं?
वक्फ कानून को मुस्लिम समाज अपनी धार्मिक स्वतंत्रता में दखलंदाजी मानते हुए इसका विरोध कर रहा है। मुख्यतया 4 बिंदुओं पर उन्हें आपत्ति है और वे इसे बदलना चाहते हैं।
- धार्मिक स्वतंत्रता में दखल: बोर्ड का कहना है कि कानून वक्फ संपत्तियों की धार्मिक प्रकृति को कमजोर करता है।
- सरकारी दखल बढ़ा: कानून के तहत डीएम को संपत्तियों के मूल्यांकन का अधिकार देना, बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला है।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का विरोध किया जा रहा है।
- हिंदू-सिख संस्थाओं से तुलना: मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि अगर हिंदू और सिख संस्थाओं को ऑटोनॉमी मिल सकती है, तो वक्फ बोर्ड क्यों नहीं?
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