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मुर्शिदाबाद में वक्फ बिल पर भड़की आग: 'पूर्व-नियोजित' साजिश या है कोई बड़ा सियासी खेल?

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा, 110 से अधिक गिरफ्तार। जानिए, क्या है इस विरोध की असली वजह?
06:14 PM Apr 12, 2025 IST | Rohit Agrawal

पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों आग और हिंसा की लपटों में घिरा हुआ है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में शुरू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन 8 अप्रैल से हिंसक दंगों में बदल गए, जहां पुलिस वाहनों को आग लगाई गई, सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया गया और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। बंगाल पुलिस ने इन घटनाओं को "पूर्व-नियोजित साजिश" करार दिया है, जबकि विपक्ष इसे सरकार की विफलता बता रहा है। 110 से अधिक गिरफ्तारियों के बावजूद, जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज जैसे इलाकों में तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इस हिंसा की असली वजह और क्यों यह मामला सियासी गलियारों में तूफान ला रहा है।

वक्फ़ बिल कैसे बना ज्वालामुखी?

दरअसल 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी पाने के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम 8 अप्रैल से लागू हो गया। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार रोकना बताया गया है। लेकिन मुर्शिदाबाद जैसे मुस्लिम-बहुल इलाकों में इसे "मुस्लिम विरोधी" बताकर भारी विरोध हुआ। विरोध की चिंगारी तब धधक उठी जब 8 अप्रैल को जंगीपुर में प्रदर्शनकारियों ने NH-12 को ब्लॉक कर दिया और पुलिस के साथ झड़पें शुरू हो गईं। हालात तब और बिगड़े जब प्रदर्शनकारियों ने दो पुलिस वाहनों को आग लगा दी और एक पुलिसकर्मी का हथियार छीन लिया।

पुलिस ने दावे में क्या कहा?

पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि यह हिंसा "अचानक नहीं भड़की" बल्कि इसे "सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया"। उनके मुताबिक, जंगीपुर, सुती, रघुनाथगंज, धुलियान और फरक्का में एक साथ हिंसक घटनाएं होना इस बात का सबूत है कि यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था। पुलिस ने बताया कि दंगाइयों ने न सिर्फ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया बल्कि एक स्थानीय विधायक के घर पर भी हमला किया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भीड़ ने रेलवे स्टेशनों को भी निशाना बनाया, जिससे कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं।

फायरिंग पर मचा है बड़ा बबाल

हिंसा के दौरान सुती में एक किशोर के घायल होने की खबर ने तनाव को और बढ़ा दिया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि यह पुलिस फायरिंग का नतीजा था, लेकिन एडीजी (कानून-व्यवस्था) जावेद शमीम ने इससे इनकार करते हुए कहा कि पुलिस ने कोई गोली नहीं चलाई। उन्होंने संकेत दिया कि यह बीएसएफ की फायरिंग हो सकती है क्योंकि मुर्शिदाबाद बांग्लादेश सीमा से सटा है और वहां बीएसएफ तैनात है। हालांकि डीजीपी राजीव कुमार ने बाद में स्वीकार किया कि पुलिस ने "आखिरी उपाय के तौर पर" चार राउंड फायर किए थे, जिसमें दो लोग घायल हुए।

ममता पर BJP ने बोला तगड़ा हमला

इस हिंसा ने जल्द ही सियासी रंग ले लिया। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने इसे "जिहादी ताकतों की साजिश" बताते हुए ममता बनर्जी सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "ममता की चुप्पी डरावनी है।" वहीं टीएमसी नेता और मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी के एक भाषण को बीजेपी ने "उकसावे वाला" बताया, जिसमें उन्होंने बिल को "मुस्लिम विरोधी" कहा था। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील करते हुए कहा कि बिल को लेकर "अनावश्यक चिंता" की जरूरत नहीं है।

क्यों है यह इलाका संवेदनशील?

मुर्शिदाबाद की भौगोलिक और सामाजिक संरचना इस हिंसा को समझने में अहम है। यह जिला न सिर्फ बांग्लादेश की खुली सीमा से सटा है बल्कि यहां की 66% मुस्लिम आबादी ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील मानी जाती है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि इस इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठिए और बाहरी तत्व अक्सर अशांति फैलाते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा में बाहरी लोगों की मौजूदगी भी देखी गई, जिससे यह आशंका और मजबूत होती है कि यह सिर्फ बिल का विरोध नहीं बल्कि कोई बड़ी साजिश हो सकती है।

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