हिंसा के अलावा बंगाल का मुर्शिदाबाद इन चीजों के लिए भी है फेमस, जानिये पूरी डिटेल
पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद इन दिनों वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा की वजह से चर्चा में है। इस हिंसा से इलाके में हालात बिगड़ गए हैं। इसी बीच, शुक्रवार 18 अप्रैल को राज्यपाल सीवी आनंद बोस मालदा पहुंचे और वहां मौजूद राहत शिविरों में हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने इस घटना के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
लेकिन मुर्शिदाबाद सिर्फ हिंसा की खबरों के लिए नहीं जाना जाता। इस ज़िले की एक गौरवशाली पहचान भी रही है। भागीरथी नदी के पूर्वी किनारे पर बसे इस शहर को कभी बंगाल की सबसे अमीर राजधानी माना जाता था। एक दौर में भारत की जीडीपी में इसकी 20% हिस्सेदारी थी और दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी यह 5% योगदान देता था।
यहां कभी टेक्सटाइल, शिपबिल्डिंग और हैंडीक्राफ्ट के काम इतने बड़े पैमाने पर होते थे कि दुनिया भर से व्यापारी यहां आते थे। आज भी मुर्शिदाबाद इतिहास, कला और संस्कृति के लिए एक खास जगह माना जाता है।
हाथी दांत की नक्काशी
मुर्शिदाबाद जिले के बाजारों में आज भी कारीगरों की कला और हुनर साफ दिखाई देता है। यहां के कारीगर हाथी दांत पर नक्काशी करने में माहिर हैं। ये काम यहां नवाबों के ज़माने से होता आ रहा है और तभी से इसे बढ़ावा भी मिलता रहा है।
हाथी दांत से बने ज़्यादातर सामान विदेशों में भेजे जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, यहां बनने वाले हाथी दांत के उत्पादों का करीब 99 प्रतिशत हिस्सा एक्सपोर्ट कर दिया जाता है। इससे मुर्शिदाबाद को अच्छी-खासी कमाई भी होती है।
हालांकि अब समय बदल रहा है। पहले जहां हाथी दांत की नक्काशी का बोलबाला था, अब उसकी जगह चंदन की नक्काशी लोगों को ज़्यादा पसंद आने लगी है।
कहा जाता है कि हाथी दांत पर नक्काशी की यह खास कला मुर्शिदाबाद में 18वीं सदी की शुरुआत में आई थी। माना जाता है कि यह कला पूर्वी भारत और बांग्लादेश से आई, क्योंकि उस वक्त बंगाल की राजधानी ढाका हुआ करती थी। इसके अलावा, दिल्ली के पुराने स्कूलों से भी यहां के कारीगरों को प्रेरणा मिली। मुर्शिदाबाद जिले में खगरा और जियागंज ऐसे दो इलाके हैं, जो इस कला के बड़े केंद्र माने जाते हैं।
रेशम उद्योग दुनिया भर में प्रसिद्ध
मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल का एक ज़िला है जो रेशम की बुनाई के लिए बहुत मशहूर है। यहां रेशम का काम बहुत पुराने समय से होता आ रहा है, माना जाता है कि यह परंपरा प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही है।
इस इलाके में रेशम बुनाई एक प्रमुख कुटीर और कृषि आधारित ग्रामीण उद्योग है। यहां के लोग कच्चे रेशम से साड़ियां और दूसरे कपड़े बनाते हैं, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं।
मुर्शिदाबाद में बनी रेशमी साड़ियों की मांग हमेशा बनी रहती है। खासकर बालूचरी साड़ियां, जो जियागंज के पास बालूचर गांव में बनती हैं, बहुत लोकप्रिय हैं। अब ये बालूचरी साड़ियां केवल रेशम से नहीं, बल्कि कपास और बांस के धागों से भी बनाई जा रही हैं, जिससे इनका स्टाइल और वैरायटी और बढ़ गई है।
पीतल और बेल मेटल के बर्तन
मुर्शिदाबाद पीतल और बेल मेटल के बर्तनों के लिए भी जाना जाता है। इस जिले के खगरा, कंडी, बरहामपुर, बारानगर और जंगीपुर जैसे इलाकों में यह काम खूब होता है। यहां के कारीगर पीढ़ियों से हाथ से पीतल और बेल मेटल के सुंदर बर्तन बना रहे हैं। यह काम यहां एक बड़े उद्योग की तरह फैला हुआ है। यहां बनाए गए बर्तनों की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी है।
निज़ामत इमामबाड़ा
मुर्शिदाबाद अपनी पुरानी इमारतों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां की ऐतिहासिक जगहें हर साल बड़ी तादाद में सैलानियों को खींच लाती हैं। इन्हीं खास जगहों में से एक है निजामत इमामबाड़ा। यह पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया के पर्यटकों के लिए एक बड़ी देखने लायक जगह है। इसका निर्माण 1847 में करवाया गया था। इसे भारत के सबसे बड़े इमामबाड़ों में गिना जाता है। मुस्लिम समाज के लिए यह एक पवित्र जगह मानी जाती है और यहां हर साल देश-विदेश से लोग घूमने और इसे देखने के लिए आते हैं।
वासिफ मंजिल
मुर्शिदाबाद की जब ऐतिहासिक इमारतों की बात होती है, तो वासिफ मंजिल का ज़िक्र ज़रूर होता है। ये एक बेहद खास जगह है, जिसे नवाब वासिफ अली मिर्जा खान ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि 1867 में जब भूकंप आया था, तब इस महल का बड़ा हिस्सा टूट गया था। फिर भी ये जगह आज भी लोगों को खूब आकर्षित करती है और देखने आने वाले सैलानियों की लिस्ट में शामिल रहती है।
कथगोला महल
मुर्शिदाबाद शहर से ज़्यादा दूर नहीं, एक पुराना और मशहूर महल है जिसे लोग कथगोला कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस महल को उस ज़माने में बनवाया गया था जब यूरोप से व्यापारी आया करते थे और कई मुसलमान मेहमान भी यहाँ आते थे। उन सभी के आराम और मनोरंजन के लिए ही इस जगह को खास तौर पर तैयार किया गया था। चारों तरफ हरियाली से घिरा ये महल एक सुंदर बगीचे, शांत तालाब और एक मंदिर के साथ और भी खास बन जाता है।
आकर्षण का केंद्र है तोप
मुर्शिदाबाद में एक बहुत ही खास चीज़ है जो इतिहास पसंद करने वालों को खूब पसंद आती है – इसका नाम है जहान कोष तोप। ये कोई आम तोप नहीं है, बल्कि करीब सात टन भारी एक बड़ी तोप है, जिसे मध्यकाल में बनाया गया था। उस समय जब युद्ध होते थे, तो इस तोप का खूब इस्तेमाल किया जाता था। ऐसा कहा जाता है कि 'जहान कोष' का मतलब होता है – दुनिया को तबाह करने वाला हथियार।
हजार्डियरी पैलेस
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक शानदार इमारत है, जिसे 'हजारदुआरी पैलेस' कहा जाता है। ये महल अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पहले इसे 'हजार्डियरी पैलेस' भी कहा जाता था। इस महल का निर्माण नवाब नाजिम हुमायूं जाह ने 1829 से 1837 के बीच कराया था।
ये महल करीब 41 एकड़ में फैला हुआ है और भागीरथी नदी के किनारे स्थित है, जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। महल की खासियत उसकी अद्भुत बनावट, हज़ार दरवाज़े और चारों ओर फैली खुली जगह में है। आजकल, ये महल एक म्यूज़ियम के रूप में कार्य करता है, जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं और इसके इतिहास के बारे में जानते हैं।
कटरा मस्जिद
कटरा मस्जिद, जो मुर्शिदाबाद में है, एक मस्जिद के साथ-साथ एक किला भी है। आज यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और पश्चिम बंगाल सरकार की देखरेख में है। इसके चारों तरफ हरे-भरे बगीचे फैले हुए हैं, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं।
इसका निर्माण 1723-24 के बीच मुर्शिदाबाद के पहले नवाब मुर्शिद कुली खान ने करवाया था। मुर्शिदाबाद शहर का नाम भी उन्हीं के नाम पर पड़ा। शुरू में यह एक कारवां सराय थी, जहां बाहर से आने वाले लोग ठहरते थे, और साथ ही एक मस्जिद भी थी। यही नहीं, नवाब मुर्शिद कुली खान की कब्र भी इसी परिसर में बनी हुई है।
ड्रग्स
मुर्शिदाबाद हमेशा अपनी हिंसा और ड्रग्स के कारण चर्चा में रहता है। यह क्षेत्र ड्रग्स की तस्करी के लिए कुख्यात हो चुका है। बांग्लादेश के पास स्थित होने की वजह से यहां से तस्करी होती है, और अक्सर यह तस्करी मुर्शिदाबाद के रास्ते से होती है। सीमा सुरक्षा बल के जवान नियमित रूप से तस्करों को पकड़ते हैं और ड्रग्स की तस्करी का खुलासा करते हैं। इस कारण से पश्चिम बंगाल का यह समृद्ध जिला अक्सर गलत वजहों से सुर्खियों में रहता है।
यह भी पढ़े:
.