बांग्लादेश को तोड़ने का समय अब आ गया है… उत्तरपूर्व के नेताओं ने एक सुर में उठाई आवाज
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का जिक्र करते हुए चीन से अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार करने की अपील की थी। इस पर भारत में कड़ा विरोध हो रहा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यूनुस के बयान को उकसाने वाला और अस्वीकार्य बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि पूर्वोत्तर भारत से जुड़ा यह बयान आपत्तिजनक है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।
The statement made by Md Younis of Bangladesh so called interim Government referring to the seven sister states of Northeast India as landlocked and positioning Bangladesh as their guardian of ocean access, is offensive and strongly condemnable. This remark underscores the…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 1, 2025
सिलीगुड़ी कॉरिडोर को करना होगा मजबूत
सरमा ने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए मजबूत सड़क और रेलवे नेटवर्क बहुत जरूरी है। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ आंतरिक ताकतों ने पहले भी इस क्षेत्र को देश से अलग करने का खतरनाक सुझाव दिया था, जो किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
उन्होंने अपील की कि चिकन नेक कॉरिडोर के नीचे और आसपास एक मजबूत रेल और सड़क नेटवर्क बनाया जाए। उन्होंने माना कि इसमें कई इंजीनियरिंग चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन अगर संकल्प मजबूत हो और नए तरीके अपनाए जाएं, तो यह काम किया जा सकता है। वहीं, यूनुस के इस तरह के भड़काऊ बयानों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
Rather than spending billions on innovative and challenging engineering ideas we might as well break up Bangladesh and have our own access to the sea . The Chittagong hill tracts were always inhabited by indigenous tribes which always wanted to be part of india since 1947 . There… https://t.co/rcjs6msae7
— Pradyot_Tripura (@PradyotManikya) April 1, 2025
बांग्लादेश को ही तोड़ देना चाहिए
इस पर टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक्य ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अरबों रुपये खर्च करके इंजीनियरिंग समस्याओं को हल करने की बजाय, हमें बांग्लादेश को तोड़कर अपनी समुद्री पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में रहने वाले जनजातीय समुदाय 1947 से ही भारत के साथ रहना चाहते थे। आज भी लाखों त्रिपुरी, गारो, खासी और चकमा लोग बांग्लादेश में कठिन हालात में जी रहे हैं। हमें अपने राष्ट्रीय हित और उनके भले के लिए इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मोहम्मद यूनुस के बयान की निंदा की और चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, चीन को अपने देश में बुलाकर भारत की घेराबंदी करने में लगा है। यह स्थिति भारत के नॉर्थ ईस्ट की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है।
खेड़ा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मणिपुर की हालत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जबकि अरुणाचल में चीन ने पहले ही गांव बसा लिए हैं। उन्होंने भारत की विदेश नीति को कमजोर बताते हुए कहा कि जिस बांग्लादेश के निर्माण में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी, वही आज भारत के खिलाफ मोर्चा बनाने में जुटा है।
मोहम्मद यूनुस ने आखिर क्या कहा था?
बांग्लादेश भारत की घेराबंदी करने के लिए चीन को अपने यहां दावत दे रहा है। बांग्लादेश सरकार का ये रवैया हमारे नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक है। सरकार मणिपुर की सुध नहीं ले रही और अरुणाचल में चीन पहले से ही गांव बसा कर बैठा है।
हमारी विदेश नीति इतनी दयनीय स्थिति… pic.twitter.com/dmPNkNBj2w
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) March 31, 2025
चीन दौरे पर गए बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन की धरती से एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के समुद्री रास्तों का असली रक्षक सिर्फ बांग्लादेश है।
यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में निवेश करने का न्योता दिया और भारत की सीमित समुद्री पहुंच का जिक्र करते हुए कहा कि चीन के लिए बांग्लादेश में व्यापार का बड़ा अवसर है।
उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, जिन्हें "सेवन सिस्टर्स" कहा जाता है, का जिक्र करते हुए बताया कि ये राज्य चारों तरफ से जमीन से घिरे हुए हैं और सीधे समुद्र तक पहुंच नहीं रखते। ऐसे में इस पूरे क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंच का एकमात्र जरिया बांग्लादेश ही है।
चिकन नेक: भारत का नाजुक लेकिन अहम रास्ता
चिकन नेक, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहा जाता है, भारत की मुख्य भूमि और पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाला एक बेहद महत्वपूर्ण रास्ता है। यह करीब 20-22 किलोमीटर चौड़ा और 60 किलोमीटर लंबा है। इसे "चिकन नेक" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भूभाग मुर्गी की गर्दन की तरह पतला दिखता है।
यह इलाका भौगोलिक और सामरिक दोनों ही नजरिए से बेहद संवेदनशील है। इसकी खासियत यह है कि यह नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और चीन जैसे देशों से घिरा हुआ है। यही वजह है कि भारत के लिए यह न केवल एकमात्र रास्ता है, जो पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचाता है, बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक लिहाज से भी बेहद अहम है।
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