नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर पूरे देश में मचा है बबाल! जानिए क्या कहता है इस्लाम और उसके विद्वान?

भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रोजा न रखने पर बवाल मच गया है। जानिए इस्लाम में रोजा के नियम और इस पर इस्लामिक विद्वानों की राय।
12:29 PM Mar 07, 2025 IST | Rohit Agrawal

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के रोजा न रखने को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दुबई में इंडिया-ऑस्ट्रेलिया मैच के दौरान शमी को एनर्जी ड्रिंक पीते हुए देखा गया, जिसके बाद उन पर रोजा न रखने का आरोप लगाया गया। इस मामले पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। आइए जानते हैं कि इस्लाम और कुरान इस बारे में क्या कहता है।

जानें रोजा को लेकर क्या कहता है इस्लाम?

इस्लामिक नियमों के अनुसार, रमजान के पवित्र महीने में हर बालिग मुसलमान को रोजा रखना फर्ज (अनिवार्य) है। यह इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। हालांकि, इस्लाम कुछ विशेष परिस्थितियों में रोजा न रखने की छूट भी देता है।

किन परिस्थितियों में रोजा न रखने की छूट है?

बता दें कि इस्लाम में रोजा न रखने की छूट के कुछ प्रावधान भी हैं और शमी ने इन्हीं प्रावधानों का लाभ उठाया है। इस्लामिक नियमों के अनुसार आइए जानते हैं वो प्रावधान क्या हैं:

1.बीमारी: यदि किसी व्यक्ति की सेहत रोजा रखने से खराब हो सकती है, तो उसे रोजा न रखने की छूट है।

2.सफर: यदि कोई व्यक्ति सफर पर है और उसकी यात्रा 92.5 किलोमीटर से अधिक की है, तो उसे रोजा न रखने की छूट है।

3.गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: यदि रोजा रखने से मां या बच्चे की सेहत को नुकसान हो सकता है, तो रोजा न रखने की छूट है।

4.वृद्ध और कमजोर लोग: जिन लोगों की उम्र या स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी है कि वे रोजा नहीं रख सकते, उन्हें छूट दी गई है।

आलोचकों ने क्या कहा?

दरअसल ऑल इंडिया मुस्लिम जमात अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने शमी की आलोचना करते हुए कहा था कि रोजा न रखना गुनाह है। उन्होंने कहा कि शमी को अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए और इस्लामिक नियमों का पालन करना चाहिए।

मोहम्मद शमी के मामले में इस्लाम के विद्वानों की राय

इस्लामिक विद्वान मुफ्ती जिशान मिस्बाही ने कहा कि मोहम्मद शमी सफर पर थे और क्रिकेट मैच खेल रहे थे, जो एक शारीरिक रूप से मांगलिक गतिविधि है। ऐसी स्थिति में रोजा न रखने की छूट है। उन्होंने यह भी कहा कि रोजा रखना या न रखना एक निजी मामला है, और शमी कोई इस्लामिक इमाम नहीं हैं कि उनके रोजा न रखने पर आलोचना की जाए।साथ ही उन्होंने आलोचकों से सोच-समझकर बयान देने की सलाह दी, ताकि इस्लाम और मुसलमानों का नुकसान न हो।

वहीं एक अन्य इस्लामिक विद्वान मुफ्ती ओसामा नदवी ने कहा कि सफर में रोजा न रखने की छूट है, और शमी ने कोई गलत काम नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि शमी देश की शान हैं, और उनकी आलोचना करने से उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शमी का प्रदर्शन रहा है देश की शान

मोहम्मद शमी ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंची है। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उनकी आलोचना करना उचित नहीं है। शमी देश की शान हैं, और उनके प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली बातों से बचना चाहिए।

यह भी पढ़ें:

क्यों काशी विश्वनाथ मंदिर ही बना औरंगजेब का पहला निशाना? जानें बनारस और दारा शिकोह का गहरा कनेक्शन

जुमा, जामी या फिर जामा…इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा- क्या है संभल मस्जिद का सही नाम

Tags :
CricketindiaIslamIslamic Scholarsmohammad shamiRamadanRoza Controversy

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article