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बिहार में BJP का मास्टरस्ट्रोक, चुनाव से पहले 7 नए मंत्री, जातियों का रखा गया खास ख्याल

बिहार चुनाव से 7 महीने पहले नीतीश कुमार सरकार में बड़ा फेरबदल हुआ है। BJP कोटे से 7 नए मंत्री बनाए गए, जिनमें 4 विधायक मिथिलांचल से हैं। NDA की 30% सीटें इसी इलाके से आती हैं, जिससे साफ है कि BJP ने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है।
08:41 PM Feb 26, 2025 IST | Girijansh Gopalan

बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट का विस्तार कर बीजेपी कोटे से 7 नए मंत्रियों को शामिल किया है। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 4 मंत्री मिथिलांचल से आते हैं, जो यह दिखाता है कि BJP इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
BJP का बड़ा दांव—मंत्रियों की लिस्ट में जातीय समीकरण का खेल बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से ठीक 7 महीने पहले नीतीश सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। इसमें BJP के 7 विधायकों को जगह दी गई है। खास बात यह है कि इस विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है।

ये हैं बीजेपी कोटे से नए मंत्री:

कृष्ण कुमार मंटू (छपरा, अमनौर)
विजय कुमार मंडल (अररिया, सिकटी)
राजू सिंह (साहेबगंज)
संजय सारावगी (दरभंगा)
जीवेश मिश्रा (जाले)
सुनील कुमार (बिहारशरीफ)
मोती लाल प्रसाद (रीगा)

मिथिलांचल को साधने की कोशिश, क्यों है ये इलाका इतना अहम?

इस विस्तार में सबसे ज्यादा ध्यान मिथिलांचल पर दिया गया है। यहां से 4 मंत्रियों को शामिल किया गया है। मिथिलांचल बिहार की राजनीति का महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इस इलाके में NDA के करीब 30% विधायक हैं। बीजेपी की कोशिश साफ दिख रही है कि वह इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

BJP ने जातीय संतुलन भी साधा

इस मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरण को भी ध्यान में रखा गया है। अति पिछड़ा वर्ग, सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को साधने की कोशिश की गई है। उदाहरण के लिए:

विजय कुमार मंडल (केवट जाति, अति पिछड़ा वर्ग)
संजय सारावगी (वैश्य समुदाय, व्यापारी वर्ग)
जीवेश मिश्रा (ब्राह्मण समुदाय, मिथिलांचल)
राजू सिंह (भूमिहार समुदाय, शाहाबाद क्षेत्र)

 

BJP के लिए क्यों अहम है यह विस्तार?

BJP ने बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है। खासकर, सीमांचल और मिथिलांचल के वोट बैंक को साधने पर ध्यान दिया गया है। सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ज्यादा है और यहां BJP के लिए चुनावी समीकरण कठिन रहता है, इसलिए उसने विजय मंडल जैसे नेताओं को आगे कर अति पिछड़ा वर्ग का वोट साधने की रणनीति बनाई है।

क्या JDU को होगा नुकसान?

BJP के इस कदम के बाद यह भी सवाल उठने लगा है कि क्या इससे JDU को नुकसान होगा? BJP ने अपने मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर यह साफ कर दिया है कि वह बिहार में फ्रंटफुट पर खेलना चाहती है। हालांकि, नीतीश कुमार की सरकार में यह संतुलन कैसे कायम रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।

BJP के 2025 चुनावी समीकरण का संकेत

BJP का यह कदम 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी का हिस्सा भी माना जा रहा है। पार्टी ने बिहार में अपनी रणनीति को अब तक 'पिछड़ा वर्ग अति पिछड़ा वर्ग सवर्ण' के फॉर्मूले पर सेट किया है। इस मंत्रिमंडल विस्तार से भी यही रणनीति झलक रही है।

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