"कोई बोलकर दिखाए सेना हिंदू है या मुस्लिम..."-झंटू अली शेख की शहादत पर फौजी भाई की रोंगटे खड़े करने वाली स्पीच
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए हवलदार झंटू अली शेख के अंतिम संस्कार पर उनके बड़े भाई रफीकुल शेख के भावुक भाषण ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में हजारों लोगों की मौजूदगी में हुए अंतिम संस्कार के दौरान रफीकुल ने जो कहा कि वह भारतीय सेना की "एकता और धर्मनिरपेक्षता" का जीवंत उदाहरण बन गया है।
"मेरा भाई देश के लिए शहीद हुआ, मुझे गर्व है!"
रफीकुल शेख जो खुद भारतीय सेना में सेवारत हैं, ने अपने भाई की शहादत पर दहाड़ते हुए कहा कि आज मेरे देश और गाँव ने एक बहादुर सिपाही खो दिया है। मुझे गर्व है कि मेरे भाई ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।" उन्होंने आगे यह भी कहा कि "मेरे लिए पहले देश है, फिर परिवार", और यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा छुट्टी देने के बावजूद उन्होंने "देश की सेवा को ही प्राथमिकता" दी।
Just listen to the 2-minute speech of Subedar Rafiqul Sheikh at the funeral of his martyred brother, Havildar Jhantu Ali Sheikh.
Goosebumps❤️🇮🇳 pic.twitter.com/wqQN0mlgy2
— Mohit Chauhan (@mohitlaws) April 26, 2025
"फौज में हिंदू-मुस्लिम नहीं, सिर्फ भारत माता के सिपाही होते हैं"
रफीकुल ने अपने भाषण में एक सशक्त संदेश देते हुए कहा कि किसी में दम है तो बोल दे कि भारतीय सेना हिंदू है या मुस्लिम! सेना में सभी धर्मों के जवान एक थाली में खाते हैं, एक ही बर्तन से पानी पीते हैं। अगर सच में भाईचारा देखना है, तो फौज में आ जाओ!" उनके इन शब्दों ने साबित कर दिया कि सेना धर्म से ऊपर देश के लिए जीती-मरती है।
"पहलगाम हमले का बदला लेने निकला था मेरा भाई"
रफीकुल ने बताया कि झंटू अली शेख को पहलगाम हमले के आतंकियों का पता लगाने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद वह अपनी टीम के साथ ऑपरेशन पर निकले। "उन हिंदू भाइयों का बदला लेने के लिए मेरा भाई आगे बढ़ा... और शहीद हो गया।" उन्होंने कहा कि यह ईश्वर की मर्जी थी, लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके भाई ने देश की रक्षा करते हुए शहादत को गले लगाया।
"शहीद अमर रहें, सेना का बंधन अटूट रहे"
शहीद झंटू अली शेख की कहानी और उनके भाई का भाषण भारतीय सेना की अद्भुत एकता को दर्शाता है। यह घटना उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो सेना को धर्म के नजरिए से देखते हैं। रफीकुल के शब्दों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब देश की बात आती है, तो हर सिपाही सिर्फ "भारतीय" होता है।
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