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मणिपुर में बवाल! शांति मार्च पर लाठीचार्ज, आगजनी और पथराव से सहमा कांगपोकपी जिला

मणिपुर में फिर हिंसा भड़क गई। शांति मार्च के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, बसों को रोका और वाहनों में आग लगा दी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
06:21 PM Mar 08, 2025 IST | Vyom Tiwari

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बावजूद हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को कांगपोकपी जिले में हालात फिर बिगड़ गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 मार्च से पूरे राज्य में लोगों के मुक्त आवागमन का आदेश दिया था, लेकिन इसके विरोध में प्रदर्शन होने लगे।

शनिवार को मैतेई संगठन द्वारा निकाले गए शांति मार्च का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान कई लोग घायल हो गए।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई। दोनों तरफ से पथराव हुआ, जिससे कई लोग घायल हो गए। हिंसा के बीच प्रदर्शनकारियों ने इंफाल से सेनापति जिले की ओर जा रही एक राज्य परिवहन बस को रोकने की कोशिश की और कुछ निजी वाहनों में आग भी लगा दी।

प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर जताया विरोध 

इंफाल-दीमापुर राजमार्ग (एनएच-2) पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर विरोध जताया और राज्य सरकार के वाहनों को रोकने की कोशिश की। यह प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (FOCS) के नेतृत्व में हुआ, जो मैतेई समुदाय के एक संगठन द्वारा आयोजित शांति मार्च के खिलाफ था।

शांति मार्च में शामिल 10 से ज्यादा गाड़ियां जब कांगपोकपी जिले के रास्ते सेकमाई पहुंचीं, तो सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। पुलिस का कहना था कि मार्च निकालने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उसे रोका गया।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "हम सिर्फ आदेशों का पालन कर रहे थे। मार्च की अनुमति नहीं थी, इसलिए इसे रोका गया। अगर वे आगे जाना चाहते थे, तो वे सरकार की बसों से यात्रा कर सकते थे।"

कुकी-जो समूह का कड़ा रुख

FOCS के सदस्यों ने अपने बचाव में कहा कि वे सिर्फ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आदेश का पालन कर रहे थे, जिसमें शनिवार से पूरे राज्य में लोगों को स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति दी गई थी।

इस बीच, कुकी-जो गांव के स्वयंसेवकों के एक समूह ने एक वीडियो जारी किया, जो किसी अज्ञात स्थान से बनाया गया था। इस वीडियो में उन्होंने भारत सरकार के मुक्त आवाजाही के फैसले का विरोध किया और अलग प्रशासन की मांग उठाई।

हालांकि, इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि पीटीआई नहीं कर सका। वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना गया कि अगर कोई हमारे इलाकों में घुसने की कोशिश करेगा, तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि जब तक अलग प्रशासन नहीं बनता, तब तक स्वतंत्र आवाजाही संभव नहीं होगी।

 

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