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Maihar Sharda Ma News: क्या सच में आज भी आल्हा-ऊदल करते हैं यहां पहली पूजा, नि:संतान की भरती है सूनी गोद!

Maihar Sharda Ma News: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत सोमवार 9 अप्रैल से हो चुकी है, जो कि पूरे नौ दिन चलेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरूआत होती है और...
09:42 PM Apr 09, 2024 IST | Pushpendra
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Maihar Sharda Ma News: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत सोमवार 9 अप्रैल से हो चुकी है, जो कि पूरे नौ दिन चलेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरूआत होती है और यह नवमी तक चलती है। दशमी तिथि के बाद नवरात्रि का व्रत पूरा किया जाता है। देश के 52 शक्तिपीठों के साथ ही सभी देवी मंदिरों में नवरात्रि पर मेले लगते हैं। लेकिन मैहर की कहानी इन सबसे अलग है। भारत देश अध्यात्म और कई तरह के रहस्यों से भरा पड़ा है। रहस्य भी ऐसे वैसे नहीं, बल्कि कान खड़े करने वाले हैं।

कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जिन पर लोगों को आसानी से विश्वास ही नहीं होता है। ऐसी ही कुछ मैहर का मामला भी है। मान्यता के अनुसार, यहां पर आज भी आल्हा-ऊदल सबसे पहले मां शारदा की पूजा करते हैं और किसी को भनक भी नहीं लगती। जब सुबह मंदिर में कोई पंडित या भक्त पहुंचता है तो उसे मां की पूजा की हुई मिलती है। ऐसा कैसे होता है? यह गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाई है।

क्या है इतिहासकारों का कहना

आल्हा और ऊदल को परम भक्तों की संज्ञा दी गई है। इतिहासकारो का कहना है कि, जंगलों के बीच मां शारदा देवी के इस मंदिर की खोज सबसे पहले वीर आल्हा और ऊदल नाम के दो भाइयों ने की थी। 12 साल तक आल्हा ने यहां पर मां की कठोर तपस्या की थी और वे उन्हें माई कहते थे। इसलिए उनका नाम शारदा माई पड़ा। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि आदि गुरू शंकराचार्य ने 9वीं-10वीं सदी में पहली बार यहां पूजा की थी। मंदिर के पुजारी और लोगों का कहना है कि शाम की आरती के बाद जब सभी पुजारी मंदिर के कपाट बंद कर नीचे आते हैं, तो मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा की आवाज आती है। लोगों का कहना है कि "आल्हा" आज भी यहां पूजा करने आते हैं। अक्सर वे सुबह की आरती करते हैं और हर दिन जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो कुछ न कुछ रहस्यमयी चमत्कार देखने को मिलते हैं।

जंगल में त्रिकुटी पर्वत पर है मंदिर

बता दें मां शारदा का यह रहस्यमयी मंदिर त्रिकूट पर्वत पर स्थित हैं। मध्य प्रदेश के मैहर में मां शारदा के मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ भी कहा जाता है। वहीं इस शहर का मैहर नाम "मां का हार" से पड़ा। मान्यता है कि यहां मां सती का हार गिरा था, इसलिए इसे शक्तिपीठों में गिना जाता है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए आपको 1,063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी, तभी मां के दर्शन किए जा सकते हैं। हालांकि, अब यहां रोपवे की सुविधा भी शुरू हो चुकी है।

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संतान प्राप्ति का है जिक्र

एमपी का मैहर मंदिर पूरे भारत में माता शारदा का एकमात्र मंदिर है। बता दें कि यहां पर लाखों की संख्या में भक्त मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। भक्तों का कहना है कि जिसके यहां संतान नहीं होती है, उसे इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए। एक बार यहां संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर ली, तो गोद खाली नहीं रहती है। दरबार में दूर-दूर से भक्त माथा टेकने आते है।

मेले की तैयारियां पूरी

हर साल नवरात्रि पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मंदिर में भी नवरात्रि के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यहां रोजाना करीब दो लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसलिए वहां सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम कर लिए गए हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर मां के गर्भगृह तक करीब एक हजार पुलिस जवान तैनात किए गए।

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