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45 दिन के महाकुंभ ने बदल डाली UP की अर्थव्यवस्था, ठेले पर सवारी ढोकर भी लखपति बने लोग

प्रयागराज महाकुंभ 2025 ने यूपी की अर्थव्यवस्था में 3.30 लाख करोड़ का योगदान दिया, जिससे होटल, ट्रांसपोर्ट व छोटे व्यवसायों को बड़ा लाभ मिला।
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Mahakumbh Mela Earnings: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने न सिर्फ आस्था का महापर्व बनकर दुनिया को आश्चर्यचकित किया, बल्कि इसने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई जिन्होंने औसतन 5 हजार रुपए प्रति व्यक्ति खर्च किए। इससे कुल 3.30 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ, जो UP की GDP का करीब 12% है। बता दें कि महाकुंभ ने होटल, परिवहन, खानपान और छोटे व्यवसायियों को भी मुनाफा पहुंचाया। यहां तक कि ठेला चलाने वाले भी लखपति बन गए।

टोल प्लाजा को मिले 300 करोड़ रुपए

प्रयागराज पहुंचने के लिए 7 मुख्य मार्ग हैं, जिन पर टोल प्लाजा स्थित हैं। महाकुंभ के दौरान इन मार्गों से करीब 70 लाख वाहन गुजरे, जिससे टोल प्लाजा को 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। बता दें कि लखनऊ-प्रयागराज मार्ग पर स्थित तीन टोल प्लाजा से अकेले 100 करोड़ रुपए से अधिक की आमदनी हुई।

ठेले वालों की किस्मत चमकी

महाकुंभ ने ठेला चलाने वालों की किस्मत भी बदल दी। निमित कुमार बिंद, जो ठेला चलाते हैं, बताते हैं, "हमारे इस ठेले की पहले कोई इज्जत नहीं थी, लेकिन कुंभ में बड़े से बड़े आदमी बैठते थे। दिनभर में 2-3 हजार रुपए कमा लेते थे। हमारे जैसे करीब 500 ठेले वालों के लिए कुंभ अवसर बनकर आया। इतनी कमाई हम पांच साल में नहीं कर पाते।"

होटल इंडस्ट्री ने किया 40 हजार करोड़ का कारोबार

महाकुंभ से सबसे ज्यादा फायदा होटल इंडस्ट्री को ही हुआ है। प्रयागराज में 200 से अधिक होटल, 204 गेस्ट हाउस और 90 से ज्यादा धर्मशालाएं हैं। इसके अलावा, 50 हजार से अधिक लोगों ने अपने घरों को होम-स्टे में बदल दिया। कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल के अनुसार, होटल इंडस्ट्री ने 40 हजार करोड़ रुपए का कारोबार किया। होटल के कमरे जो आम दिनों में 3 हजार रुपए में मिलते थे, वे महाकुंभ के दौरान 15 हजार रुपए तक में बिके।

3 लाख लोगों को सीधा फायदा

महाकुंभ ने सीधे तौर पर 3 लाख लोगों को रोजगार दिया। खानपान, परिवहन, नाव सेवा और छोटे व्यवसायियों ने खूब कमाई की। मेले के दौरान खाने-पीने की दुकानों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। कुछ दुकानदारों ने रोजाना 5 लाख रुपए तक की बिक्री की।

7,500 करोड़ खर्च करके कमाए 4 लाख करोड़

स्रोतकमाई (₹)
एडवर्टाइजमेंट13,40,82,555
मनोरंजन जोन10,32,50,000
एक्टिविटी जोन5,30,55,750
परमानेंट शॉप4,81,91,202
पार्किंग4,28,73,400
फूड कोर्ट3,10,02,022
फूड स्टॉल70,66,867
मिल्क बूथ70,66,867
किला घाट वेंडिंग जोन2,02,96,000
कुल कमाई44,97,98,960

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत घोष के अनुसार, महाकुंभ में 7,500 करोड़ रुपए खर्च करके 3-4 लाख करोड़ रुपए की आमदनी हासिल की गई। यह UP की जीडीपी का 12% और देश की GDP का 1% है। यह आयोजन न सिर्फ आस्था का महापर्व था, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को गति देने वाला एक बड़ा उदाहरण भी बन गया।

मेला प्राधिकरण ने लगवाई 8 हजार दुकानें 

महाकुंभ में कॉमर्शियल दुकानों के लिए जगह की भारी मांग रही। मेला प्राधिकरण ने करीब 8 हजार दुकानों का अलॉटमेंट किया, जिनकी कीमत 10 हजार से लेकर 50 लाख रुपए तक थी। कैंटोनमेंट क्षेत्र में स्थित दुकानों की सालाना कीमत 10 लाख से 1 करोड़ रुपए तक थी।

बढ़ती डिमांड में आसमान छू गई कीमतें

महाकुंभ में भीड़ के कारण चीजों की डिलीवरी भी प्रभावित हुई जिससे कीमतें आसमान छूने लगीं। 1 लीटर की पानी की बोतल जो आम दिनों में 20 रुपए में मिलती थी, वह 30 रुपए में बिकने लगी। शिकंजी, कुल्फी, चने जैसी चीजों की कीमत दोगुनी हो गई। नाव की सवारी के लिए श्रद्धालुओं ने 5 हजार रुपए तक चुकाए।

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