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महाकुंभ 2025: प्रयागराज के शहीद विलेज में देशभक्ति और शहीदों का सम्मान

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में देशभक्ति का अनोखा पंडाल ‘शहीद विलेज’। यहां शहीदों को समर्पित 108 कुंडों की यज्ञशाला, चित्र प्रदर्शनी और शहीद परिवारों का सम्मान किया जा रहा है।
02:39 PM Jan 18, 2025 IST | Girijansh Gopalan
कुंभ में बना शहीद विलेज।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में इस बार एक अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। धर्म और अध्यात्म के इस महापर्व में देशभक्ति की एक अनूठी छवि पेश की गई है। सेक्टर-18 में बना ‘शहीद विलेज’ शहीद सैनिकों और उनके परिवारों को समर्पित है। जम्मू-कश्मीर के संत बालक योगेश्वर दास जी महाराज ने इस पंडाल को न सिर्फ देशभक्ति के रंग में रंगा है, बल्कि इसे श्रद्धांजलि का केंद्र बना दिया है।

शहीदों को समर्पित पंडाल बना आकर्षण का केंद्र

यह पंडाल बाकी धार्मिक पंडालों से एकदम अलग है। यहां धर्म ध्वजा की जगह सवा 120 फीट ऊंचा तिरंगा शान से लहरा रहा है। पंडाल के अंदर कदम रखते ही आपको भारतीय सेना और देश के जांबाज सैनिकों की तस्वीरें नजर आएंगी। 26/11 के मुंबई आतंकी हमले, पुलवामा और कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की तस्वीरों के साथ उनके बलिदान को याद किया गया है।पंडाल में हर जगह देशभक्ति का माहौल है। भजन की जगह देशभक्ति से ओतप्रोत गीत बजाए जा रहे हैं। यहां तक कि पंडाल को रोशन करने वाले बल्ब भी तिरंगे के तीन रंगों में लगाए गए हैं। इस माहौल में कदम रखते ही हर श्रद्धालु का सिर खुद-ब-खुद शहीदों के सम्मान में झुक जाता है।

108 कुंडों की यज्ञशाला बनी खास आकर्षण

पंडाल में शहीदों की आत्मा की शांति के लिए 108 कुंडों की यज्ञशाला बनाई गई है। इस यज्ञशाला में काशी से आए 108 वैदिक ब्राह्मण मंत्रोच्चारण के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। खास बात यह है कि यज्ञ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को पहले राष्ट्रगान गाना अनिवार्य है। इसके बाद ही उन्हें यज्ञशाला में प्रवेश दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया हर किसी में देश के प्रति सम्मान और गर्व का भाव पैदा कर रही है। बालक योगेश्वर दास जी महाराज ने इस आयोजन के जरिए देश के शहीदों के परिवारों को खास जगह दी है। पंडाल में देशभर के लगभग 150 शहीद परिवारों को आमंत्रित किया गया है। उन्हें शहीदों के नाम पर बने पंडालों और कुटियाओं में ठहराया जा रहा है। इन परिवारों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाएगा, ताकि उनके बलिदान को हर कोई याद रखे। साथ ही पंडाल में शहीदों को समर्पित एक विशेष चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में शहीदों की कहानियां, उनकी वीरता और बलिदान के किस्से साझा किए जा रहे हैं। श्रद्धालु इन कहानियों को सुन और देखकर भावुक हो रहे हैं और शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं।

संतों का देशभक्ति का संदेश

बालक योगेश्वर दास जी महाराज का कहना है कि संत-महात्माओं का कर्तव्य सिर्फ धर्म और आध्यात्म तक सीमित नहीं है। देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाना भी उनकी जिम्मेदारी है। उनका यह प्रयास महाकुंभ में आए लाखों श्रद्धालुओं को यह संदेश दे रहा है कि शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाना चाहिए। महाकुंभ में ‘शहीद विलेज’ इस बार खास आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु न सिर्फ शहीदों के बलिदान के बारे में जान रहे हैं, बल्कि वे अपने अंदर देश के प्रति समर्पण का भाव भी महसूस कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि बालक योगेश्वर दास जी महाराज का यह प्रयास बेहद प्रेरणादायक है।

देशभक्ति के साथ धर्म और आध्यात्म का अनूठा मेल

महाकुंभ में धर्म और आध्यात्म के रंग तो हमेशा से देखने को मिलते हैं, लेकिन इस बार देशभक्ति का यह रंग श्रद्धालुओं को अलग ही अनुभव दे रहा है। यह पंडाल सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है। बाबा बालक योगेश्वर दास जी का यह प्रयास साबित करता है कि धर्म और आध्यात्म से भी देशभक्ति को एक नया आयाम दिया जा सकता है।

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