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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर कानूनी जंग तेज, AIMPLB ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। जानें इस मामले पर 1 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के बारे में और क्या है UCC का विवाद।
05:12 AM Feb 22, 2025 IST | Girijansh Gopalan

उत्तराखंड में हाल ही में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून को उत्तराखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है। AIMPLB का कहना है कि UCC मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है और यह संविधान के कई महत्वपूर्ण अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है। बोर्ड ने यह याचिका 10 अलग-अलग व्यक्तियों की ओर से दाखिल की है, जिनमें से कई लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े हुए हैं।

याचिका में क्या कहा गया?

AIMPLB ने अपनी याचिका में इस बात का उल्लेख किया है कि UCC मौलिक अधिकारों और लोगों के धार्मिक एवं सांप्रदायिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी कहा गया कि भारत का संविधान और शरीयत आवेदन अधिनियम 1937 मुसलमानों द्वारा पालन किए जाने वाले व्यक्तिगत कानूनों और इस्लामी कानून की रक्षा करते हैं। इस तरह से समान नागरिक संहिता उनके अधिकारों पर आघात करती है।

उत्तराखंड हाई कोर्ट की सुनवाई की तारीख तय

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने AIMPLB की याचिका को स्वीकार करते हुए 1 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई तय की है। यह मामला अब पूरे राज्य के साथ-साथ देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि UCC का उद्देश्य केवल एक समान कानून लागू करना नहीं है, बल्कि यह एक विशेष समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर आक्रमण करने जैसा है।

समान नागरिक संहिता का मकसद क्या है?

समान नागरिक संहिता, जिसे UCC कहा जाता है, एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत के सभी नागरिकों पर एक समान कानूनी व्यवस्था लागू करने की बात की जाती है। इसका उद्देश्य समाज में समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, गोद लेने, उत्तराधिकार आदि मामलों में एक समान नियम लागू करने का प्रस्ताव है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्या कहा?

इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को कांग्रेस पर यूसीसी को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में विश्वास नहीं है और वह महिलाओं पर अत्याचारों का समर्थन करती है। सीएम धामी ने लिव-इन रिलेशन को लेकर रजिस्ट्रेशन के मसले पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशन के लिए रजिस्ट्रेशन सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है।

लिव-इन रिलेशन में रजिस्ट्रेशन पर कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस ने लिव-इन रिलेशन में रजिस्ट्रेशन के प्रस्ताव का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन है। कांग्रेस का यह भी मानना है कि इस प्रकार के कानून से समाज में असहमति और भ्रम पैदा हो सकता है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि यूसीसी पर फैलाया जा रहा भ्रम

सीएम धामी ने इस दौरान यह भी कहा कि यूसीसी को लेकर एक और भ्रम फैलाया जा रहा है। उनका कहना है कि यदि उत्तराखंड के बाहर का कोई पुरुष यहां की लड़की से शादी करता है तो उसे राज्य का मूल निवासी बनने का अधिकार मिल जाएगा। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दावा गलत है और ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है।

यूसीसी मसौदे पर सरकार का पक्ष

सीएम ने यह भी बताया कि यूसीसी का मसौदा तैयार करते वक्त सरकार ने जनता के सभी वर्गों से बातचीत की थी और उनके सुझाव लिए थे। सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, और इसे संविधान के अनुरूप ही तैयार किया गया है।

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