नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

कर्नाटका की दरगाह में शुरू हुई शिव की पूजा-अर्चना, जानें क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने महाशिवरात्रि पर लाडले मशक दरगाह में शिवलिंग पूजा की अनुमति दी। कोर्ट ने वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखते हुए सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए।
03:00 PM Feb 26, 2025 IST | Vyom Tiwari

कर्नाटक हाईकोर्ट ने महाशिवरात्रि के मौके पर अलंड की लाडले मशक दरगाह में शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कर्नाटक वक्फ ट्रिब्यूनल के उस फैसले को भी बरकरार रखा है, जिसमें दरगाह में सभी धार्मिक परंपराओं के पालन के लिए एक तय शेड्यूल बनाया गया है।

अब सवाल यह उठता है कि लाडले मशक दरगाह का इतिहास क्या है और इसका हिंदुओं से क्या संबंध है? आइए जानते हैं।

संत राघव चैतन्य की समाधि स्थित

लाडले मशक दरगाह के अंदर ही छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु, संत राघव चैतन्य की समाधि स्थित है। इसकी स्थापना 15वीं शताब्दी में हुई थी। इस समाधि के ऊपर एक शिवलिंग स्थापित किया गया था, जिसकी पूजा तब से लगातार हो रही है। यहां बहुत से हिंदू श्रद्धालु आते हैं और राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा करते हैं। स्थानीय जोशी परिवार कई पीढ़ियों से यहां के धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ कराता आ रहा है।

2022 में शिवलिंग को अपवित्र करने की हुई थी कोशिश

15वीं शताब्दी से लेकर 2022 तक यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच कोई विवाद नहीं था। दोनों शांतिपूर्वक अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन 2022 में कुछ असामाजिक तत्वों ने शिवलिंग को अपवित्र करने की कोशिश की, जिससे माहौल बिगड़ गया और हिंदू समुदाय में नाराजगी फैल गई।

इस घटना के बाद, सांप्रदायिक तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए प्रशासन ने कार्रवाई की। 167 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया और शांति बनाए रखने के लिए पूरे अलंड क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई, ताकि भीड़ इकट्ठी न हो सके।

हाईकोर्ट में दाखिल हुई थी याचिका 

हाल ही में एक विवादित मामला सामने आया, जहां स्थानीय भाजपा नेताओं और हिंदू संगठनों ने एक दरगाह में शुद्धीकरण करने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान उन पर हथियारों और पत्थरों से हमला कर दिया गया।

इसके बाद, सिद्धरमैया हीरमठ के नेतृत्व में हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दरगाह में मौजूद राधव चैतन्य शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगी। वक्फ बोर्ड ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वहां किसी शिवलिंग का अस्तित्व नहीं है।

कोर्ट ने मामले की जांच के बाद अपना फैसला सुनाया। याचिका में 500 लोगों को पूजा करने की अनुमति देने की मांग की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने केवल 15 लोगों को ही पूजा करने की इजाजत दी।

दोनों समुदाय कर सकेंगे पूजा 

कर्नाटक वक्फ ट्रिब्यूनल ने फैसला दिया था कि सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में उर्स की परंपराओं का पालन करेंगे, जबकि दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक हिंदू श्रद्धालु राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा कर सकेंगे। अब हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को मंजूरी दे दी है। इसके चलते दरगाह के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने 12 चेकप्वाइंट बनाए हैं और निगरानी के लिए ड्रोन भी तैनात किए गए हैं।

दुकानें बंद रखने का किया फैसला

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि दोनों समुदायों को तय किए गए समय का सख्ती से पालन करना होगा और दरगाह को कोई नुकसान नहीं पहुंचने देना चाहिए। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि रीति-रिवाजों के पालन के दौरान दरगाह में किसी भी तरह का अनाधिकृत बदलाव न होने पाए।

महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान स्थानीय प्रशासन ने दुकानों को बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है। लेकिन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई दुकानदारों ने खुद ही अपनी दुकानें बंद रखने का फैसला किया है। पुलिस अधीक्षक इशा पंत ने इस बात की पुष्टि की है।

 

यह भी पढ़े:

Tags :
communal harmony India लाडले मशक दरगाहHindu-Muslim religious placesKarnataka High Court decisionLadle Mashak DargahMahashivratri 2025religious dispute KarnatakaShivling PoojaWaqf Tribunal verdictकर्नाटक हाईकोर्ट फैसलाधार्मिक विवाद कर्नाटकमहाशिवरात्रि 2025वक्फ ट्रिब्यूनल फैसलाशिवलिंग पूजासांप्रदायिक सौहार्द भारतहिंदू-मुस्लिम धार्मिक स्थल

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article