Digital Snan At Mahakumbh: 1100 रुपये में 'डिजिटल स्नान', अनोखा स्टार्टअप या आस्था से खिलवाड़?
Digital Snan At Mahakumbh: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, वहीं एक अनोखी सर्विस सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा में आ गई है। एक स्थानीय व्यक्ति उन श्रद्धालुओं के लिए ‘डिजिटल स्नान’ की पेशकश कर रहा है, जो किसी कारणवश स्वयं कुंभ में आकर स्नान नहीं कर सकते। इसके तहत श्रद्धालु अपनी तस्वीरें व्हाट्सऐप के जरिए भेज सकते हैं, जिन्हें वह व्यक्ति प्रिंट करवाकर संगम में डुबोता है, ताकि वे प्रतीकात्मक रूप से गंगा स्नान कर सकें। इस सेवा की कीमत 1100 रुपये रखी गई है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
कैसे कराता है ‘डिजिटल स्नान’?
एक इंस्टाग्राम हैंडल पर 19 फरवरी को पोस्ट किए गए वीडियो में इस ‘महाकुंभ डिजिटल स्नान’ की झलक देखने को मिली। वीडियो में एक युवती बताती है कि कई लोग अपनी मजबूरियों के कारण महाकुंभ नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन एक शख्स ऐसा तरीका लेकर आया है जिससे वे घर बैठे स्नान कर सकते हैं। इसके बाद दीपक गोयल नामक व्यक्ति कैमरे के सामने आता है, जो अपने हाथ में कई पासपोर्ट साइज तस्वीरें लिए हुए है।
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वायरल वीडियो में क्या कह रहा है क्रिएटर?
"मेरा नाम दीपक गोयल है और मैं डिजिटल स्नान कराता हूं। इसके लिए आपको बस अपनी फोटो मुझे व्हाट्सऐप करनी है। मैं उसका प्रिंट निकालूंगा और फिर संगम में उसे डुबो दूंगा।" वीडियो में दिखाया गया कि वह कुछ तस्वीरों को गंगाजल में डुबो रहा है। इसके लिए वह 1100 रुपये चार्ज कर रहा है और इसे एक ‘स्टार्टअप’ के रूप में प्रचारित कर रहा है।
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सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इस अनोखे ‘धंधे’ को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ लोगों ने इसे मजबूर श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी बताया, तो कई ने इसे अंधभक्ति और धोखाधड़ी करार दिया।
एक यूजर ने नाराजगी जताते हुए लिखा, "आप अपने सनातन धर्म का मजाक बना रहे हैं, आपको शर्म नहीं आती?" वहीं, कुछ लोगों ने मजाकिया अंदाज में तंज कसा। एक यूजर ने लिखा, "चीन के पास डीपफेक है, हमारे पास डीपस्नान!"कई लोगों ने इसे धर्म के बाजारीकरण की हद बताया, तो किसी ने कहा कि "गजब टोपेबाजी है!"
युवक की इस करतूत से उठा आस्था पर सवाल
महाकुंभ सदियों से हिंदू आस्था का प्रतीक रहा है, जहां करोड़ों श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए गंगा स्नान करते हैं। लेकिन क्या यह डिजिटल स्नान सेवा वास्तव में धार्मिक आस्था का सम्मान है या फिर श्रद्धा के नाम पर पैसे कमाने का एक नया तरीका? सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जमकर बहस हो रही है। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब धर्म से जुड़े किसी व्यापार मॉडल पर सवाल उठे हैं। पहले भी ऑनलाइन पूजा, प्रसाद वितरण और वर्चुअल दर्शन जैसी सेवाएं चर्चा में आ चुकी हैं। लेकिन इस बार का मामला थोड़ा अलग है क्योंकि यह सीधे गंगा स्नान जैसी महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ है।
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