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सिर काटने की धमकी तो कभी सांसद के घर मचाया हंगामा…जानिए करणी सेना ने कब-कब काटा बवाल?

करणी सेना ने एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरीं, इस बार सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर पर हमले से। जानें इसके बड़े विवाद और असली मकसद।
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नई दिल्ली: करणी सेना, जो खुद को राजपूत अस्मिता का ठेकेदार कहती है, अपने उग्र प्रदर्शनों और विवादों के लिए काफ़ी मशहूर रही है। हाल ही में सपा सांसद रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित घर पर हमला कर यह संगठन फिर सुर्खियों में आया। इससे पहले यह फिल्मों जैसे पद्मावती, पुष्पा-2 और वेब सीरीज आश्रम के खिलाफ आक्रामक रुख दिखा चुकी है। सिर काटने की धमकियों से लेकर हिंसक हमलों तक, करणी सेना का इतिहास बवाल से भरा है। आइए, इसके गठन और प्रमुख विवादों पर नजर डालते हैं।

करणी सेना का उदय: कब और कैसे?

करणी सेना की स्थापना 2006 में राजस्थान में लोकेंद्र सिंह कालवी ने की थी। इसका नाम करणी माता से लिया गया, जिन्हें राजपूत समुदाय में पूजनीय माना जाता है। शुरू में इसका मकसद राजपूतों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिलाना था। लेकिन समय के साथ यह संगठन राजपूत संस्कृति और इतिहास की "रक्षा" के नाम पर उग्र प्रदर्शनों का पर्याय बन गया।

वहीं वर्तमान में इसके कई गुट हैं, जैसे श्री राजपूत करणी सेना और राष्ट्रीय करणी सेना, जिनका नेतृत्व महिपाल मकराना और विश्वबंधु सिंह राठौड़ जैसे लोग करते हैं। 2008 में यह कांग्रेस के साथ थी, लेकिन बाद में इसके राजनीतिक झुकाव पर सवाल उठे।

कब-कब मचाया करणी सेना ने हंगामा?

करणी सेना ने अपने हिंसक और विवादित प्रदर्शनों से कई बार देश का ध्यान खींचा है। यहाँ इसके कुछ बड़े बवाल हैं:

बबाल नंबर 1: जोधा अकबर (2008)

फिल्म जोधा अकबर के रिलीज के दौरान करणी सेना ने इसका विरोध किया। लोकेंद्र सिंह कालवी ने दावा किया कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई। राजस्थान में इसका प्रदर्शन रोका गया। कालवी ने कहा कि इस विरोध ने लंबे समय तक फिल्मकारों को राजपूत भावनाओं से खिलवाड़ करने से रोका।

बबाल नंबर 2: पद्मावती (2017-18)

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती (बाद में पद्मावत) के खिलाफ करणी सेना ने हिंसक आंदोलन छेड़ा। जयपुर में शूटिंग के दौरान भंसाली पर हमला हुआ और सेट तोड़ दिए गए। आरोप था कि फिल्म रानी पद्मावती का चरित्र हनन कर रही है। संगठन ने दीपिका पादुकोण की नाक काटने और भंसाली का सिर काटने की धमकियाँ दीं। सिनेमाघरों पर हमले हुए, बसें जलाई गईं। भंसाली ने सफाई दी कि कोई आपत्तिजनक सीन नहीं है, फिर भी बवाल थमा नहीं।

बबाल नंबर 3: आश्रम वेब सीरीज (2020-21)

प्रकाश झा की वेब सीरीज आश्रम पर करणी सेना ने हिंदू भावनाएँ आहत करने का आरोप लगाया। संगठन ने इसे आश्रम परंपरा को बदनाम करने वाला बताया और झा को कानूनी नोटिस भेजा। सीरीज के सेट पर हमले की धमकियाँ भी दी गईं।

बबाल नंबर 4: लॉरेंस बिश्नोई पर इनाम (2024)

करणी सेना ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को निशाना बनाया, जो उनके पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामड़ी की हत्या में शामिल था। संगठन ने ऐलान किया कि बिश्नोई का एनकाउंटर करने वाले पुलिसवाले को 1 करोड़ 11 लाख 11 हजार 111 रुपये का इनाम मिलेगा। यह कदम बिश्नोई गैंग से बदला लेने की मंशा दिखाता है।

बबाल नंबर 5: पुष्पा-2 (2025)

फिल्म पुष्पा-2 में "शेखावत" नाम के नकारात्मक किरदार पर करणी सेना ने आपत्ति जताई। संगठन ने इसे क्षत्रिय समाज का अपमान बताया और निर्माता सुकुमार को पीटने की धमकी दी। फिल्म से यह शब्द हटाने की माँग की गई।

ताज़ा बबाल: रामजी लाल सुमन के घर पर हमला (2025)

26 मार्च 2025 को सपा सांसद रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित घर पर करणी सेना ने बुलडोजर लेकर हमला बोला। सुमन ने राणा सांगा को "गद्दार" कहा था, जिससे नाराज कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ और पथराव किया। पुलिस से झड़प में कई जवान घायल हुए। संगठन ने सुमन और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से माफी की माँग की, वरना लखनऊ में उनके दफ्तरों का घेराव करने की धमकी दी।

करणी सेना के कारनामे : धमकी से हिंसा तक

करणी सेना का विरोध अक्सर धमकियों से शुरू होकर हिंसा तक पहुँचता है। पद्मावती में सिर काटने की धमकी हो, पुष्पा-2 में पिटाई का ऐलान, या बिश्नोई के एनकाउंटर पर इनाम—यह संगठन अपने तेवर से पीछे नहीं हटता। सांसद के घर पर बुलडोजर लेकर पहुँचना इसका ताजा उदाहरण है। हालाँकि, इसके हिंसक रुख की आलोचना भी होती है। कई लोग इसे "गुंडागर्दी" और "अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला" मानते हैं।

क्या है असली मकसद?

करणी सेना शुरू में आरक्षण के लिए लड़ी, लेकिन अब यह राजपूत गौरव और इतिहास की रक्षा का दावा करती है। कुछ इसे बीजेपी से जोड़ते हैं, पर इसका कोई ठोस सबूत नहीं। सपा का दावा है कि BJP इसे संरक्षण देती है। संगठन के कई गुटों में बँटने से इसका प्रभाव कमजोर हुआ है, लेकिन यह सुर्खियाँ बटोरने में कामयाब रहता है।

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