कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, ‘अब भारत में Uniform Civil Code लागू करने का सही समय’
भारत में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है। कई राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, और अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने देश में UCC लागू करने की सख्त आवश्यकता पर जोर दिया है और संसद से इसे जल्द से जल्द कानून का रूप देने का आग्रह किया है। कोर्ट ने इसे संविधान के मूल आदर्शों—न्याय, समानता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता—को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम माना है।
हाईकोर्ट ने बताया, क्या है UCC की आवश्यकता
इस मुद्दे पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक संपत्ति विवाद से जुड़े मामले में अपनी टिप्पणी दी। मामला एक मुस्लिम महिला शाहनाज बेगम की संपत्ति के बंटवारे से संबंधित था, जिनकी मृत्यु के बाद उनके पति और भाई-बहन के बीच विवाद हुआ। कोर्ट ने पाया कि विभिन्न धार्मिक कानूनों के तहत महिलाओं के अधिकारों में भारी असमानताएं हैं, जो संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं। उदाहरण के तौर पर, हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियों को बराबरी का अधिकार मिलता है, जबकि मुस्लिम कानून में बहनें अक्सर भाईयों से कम हिस्से की हकदार होती हैं।
संविधान के अनुच्छेद 44 में है समान नागरिक संहिता का उल्लेख
न्यायमूर्ति हंचाटे संजीव कुमार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है। इस अनुच्छेद का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को एक समान कानूनी ढांचा प्रदान करना है, जिससे वे किसी भी धार्मिक भेदभाव से मुक्त होकर समान अधिकारों का享 प्राप्त कर सकें। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की असमान स्थिति की ओर इशारा किया, जो धार्मिक आधारित निजी कानूनों के कारण बराबरी के अधिकार से वंचित रहती हैं।
गोवा और उत्तराखंड का भी दिया उदाहरण
कोर्ट ने यह भी कहा कि गोवा और उत्तराखंड जैसे राज्य पहले ही UCC के दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं, और अब समय आ गया है कि पूरे देश में इसे लागू किया जाए। यह समय की मांग है कि हर नागरिक को समान अधिकार और अवसर मिलें, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से संबंधित हो।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, अब UCC लागू होने का सही समय है
हालांकि इस फैसले का कानूनी पहलू संपत्ति विवाद से जुड़ा था, लेकिन न्यायमूर्ति कुमार की टिप्पणी ने इस बहस को फिर से गर्मा दिया है कि क्या अब वाकई देश में UCC लागू करने का समय आ गया है। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और मौलाना हसरत मोहानी के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि एक समान नागरिक कानून ही सच्चे लोकतंत्र की बुनियाद हो सकता है।
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