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कैलाश-मानसरोवर यात्रा 5 साल बाद हो रही शुरू, जानिए क्या होगा रुट और किन बातों का रखना होगा ध्यान

कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से फिर शुरू होगी, 22 दिन की इस यात्रा में 250 यात्री लिपुलेख दर्रे से होकर जाएंगे।
01:06 PM Apr 22, 2025 IST | Vyom Tiwari

पांच साल बाद एक बार फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है। ये शुभ यात्रा 30 जून 2025 से शुरू होगी। तीर्थयात्री इस बार उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के रास्ते होकर तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक पहुंचेंगे। इस यात्रा को लेकर दिल्ली में सोमवार को एक जरूरी बैठक हुई, जिसमें सभी तैयारियों की जांच और समीक्षा की गई।

यात्रा रुकने का कारण 

हर साल होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में कोविड-19 के कारण रोक दी गई थी। फिर भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में तनाव बढ़ गया, जिससे यात्रा दोबारा शुरू नहीं हो सकी। लेकिन अब भारत सरकार की कोशिशों से इस साल यात्रा फिर से शुरू की जा रही है।

भारत-चीन रिश्तों में आई नरमी

कैलाश और मानसरोवर झीलें चीन के तिब्बत इलाके में स्थित हैं। इसलिए इस यात्रा को दोबारा शुरू करने के लिए भारत और चीन की आपसी सहमति ज़रूरी होती है। अगर यात्रा की इजाज़त मिलती है, तो इसका मतलब है कि दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर बातचीत और सहयोग किसी हद तक चल रहा है।

क्या होगा यात्रा का मार्ग?

दिल्ली से 30 जून को एक खास यात्रा की शुरुआत होगी। इस यात्रा में कुल 250 लोग शामिल होंगे, जिन्हें 5 अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। हर समूह में 50-50 यात्री होंगे। पूरी यात्रा कुल 22 दिनों की होगी। यात्रा का रास्ता कुछ इस तरह से तय किया गया है

- सबसे पहले सभी यात्री दिल्ली से टनकपुर (चंपावत) पहुंचेंगे, जहां एक रात का ठहराव होगा।

- इसके बाद अगला पड़ाव होगा धारचूला (पिथौरागढ़), यहां भी एक रात रुकना होगा।

- फिर यात्री गुंजी पहुंचेंगे, जहां दो रातें बिताई जाएंगी।

- गुंजी के बाद नाभीढांग में दो रात का पड़ाव रखा गया है।

यह सब पूरा करने के बाद, यात्री 17,000 फीट ऊंचे लिपुलेख दर्रे को पार कर तकलाकोट (चीन) में प्रवेश करेंगे।

कैलाश और मानसरोवर के दर्शन के बाद वापसी में:

- बुंडी (पिथौरागढ़) 1 रात

- चौकोरी 1 रात

- अल्मोड़ा 1 रात इसके बाद यात्री दिल्ली वापस लौटेंगे.

होगी स्वास्थ्य जांच 

पहले दिल्ली में और फिर गुंजी में यात्रियों की हेल्थ चेकअप की जाएगी, ताकि ये तय हो सके कि वो ऊंचाई और मुश्किल मौसम में सफर करने के लिए फिट हैं। इस यात्रा की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी KMVN संभालेगा।

क्या है इसका धार्मिक महत्व

कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर माना जाता है। मान्यता है कि जो लोग इस पवित्र जगह की परिक्रमा करते हैं और मानसरोवर झील में स्नान करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हर साल कई श्रद्धालु इस यात्रा पर जाने की कामना करते हैं।

अब एक बार फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है। इसके साथ ही भारत और चीन के बीच कुछ हद तक सहयोग की शुरुआत भी देखी जा रही है। इस यात्रा को लोग सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि दो देशों के बीच बातचीत का एक तरीका भी मान रहे हैं।

 

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