हेमंत सरकार का बड़ा फैसला! झारखंड में होगी जातीय जनगणना, सियासी हलकों में मचा हड़कंप
Jharkhand Caste Survey: देश में जातीय जनगणना को लेकर जारी बहस के बीच झारखंड सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराने का ऐलान किया है। यह फैसला सामाजिक न्याय और राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के बाद अब झारखंड में भी यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिससे राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। झारखंड के राजस्व, भूमि सुधार और परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने सोमवार को विधानसभा में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण कराएगी। (Jharkhand Caste Survey) उन्होंने कहा कि सरकार इस मसले पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसकी रूपरेखा तय करने की जिम्मेदारी कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग को सौंपी गई है।
झारखंड सरकार के इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। हालांकि, इस घोषणा के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी रणनीति बताया है, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसे पिछड़े वर्गों के अधिकारों की दिशा में एक ठोस पहल करार दिया है।
सर्वे में देरी को लेकर सरकार घिरी
जातीय जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा और देरी पर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में कहा कि झारखंड ने जातीय सर्वेक्षण पर तेलंगाना से पहले फैसला लिया था, लेकिन वहां की सरकार ने इसे तेजी से लागू कर रिपोर्ट भी जारी कर दी, जबकि झारखंड में अब तक सर्वे शुरू भी नहीं हुआ। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार केवल चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उछाल रही है, लेकिन इसे लागू करने में गंभीरता नहीं दिखा रही।
जातीय सर्वेक्षण को लेकर झारखंड की राजनीति गरमा गई है। एक ओर सरकार इसे सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, तो दूसरी ओर भाजपा समेत विपक्षी दल इसे समाज को बांटने की साजिश करार दे रहे हैं। झामुमो और कांग्रेस का कहना है कि इस सर्वेक्षण से समाज में कौन से वर्ग अब भी वंचित हैं, इसका सही आंकलन होगा और सरकार उनके लिए नीतियां बना सकेगी।
बिहार के जातीय सर्वे से मिली प्रेरणा
झारखंड सरकार बिहार सरकार के जातीय सर्वे से प्रेरित होकर यह कदम उठा रही है। बिहार में सर्वेक्षण के बाद ओबीसी और दलित वर्ग को लेकर नई सिफारिशें आई थीं, जिससे राज्य में सत्ता समीकरण भी बदले। झारखंड सरकार भी इसी रणनीति के तहत जातीय सर्वेक्षण कराकर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इसका फायदा उठाना चाहती है।
'जातीय सर्वेक्षण नहीं, सिर्फ चुनावी चाल'
भाजपा ने झारखंड सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह केवल वोट बैंक की राजनीति के तहत किया जा रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "झारखंड सरकार जातीय सर्वेक्षण के नाम पर समाज को बांटने का काम कर रही है। अगर इन्हें वाकई समाज की चिंता होती, तो यह फैसला काफी पहले लिया जाता।"
क्या बदलेगा राजनीतिक समीकरण?
झारखंड में जातीय सर्वेक्षण की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। सत्ताधारी झामुमो-कांग्रेस गठबंधन इस सर्वे को सामाजिक न्याय का मुद्दा बना रही है, जबकि भाजपा इसे समाज में जातिगत ध्रुवीकरण की कोशिश बता रही है। जातीय सर्वेक्षण का असर आगामी चुनावों में कितना पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
झारखंड में अब सवाल यही है कि सरकार अपने इस ऐलान को कितनी तेजी से लागू करती है, और क्या यह राज्य की राजनीति में नया मोड़ लाएगा?
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