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इन्वर्टर बनाम नॉन-इन्वर्टर AC: क्या है फर्क, आपके लिए कौन सा है बेस्ट?

इन्वर्टर और नॉन-इन्वर्टर AC में क्या अंतर है? जानें कौन सा AC बचाता है बिजली और देता है बेहतर कूलिंग। आपके लिए बेस्ट AC चुनने की पूरी गाइड!
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गर्मी का मौसम आते ही लोग अपने घरों में AC लगवाने की सोचने लगते हैं। लेकिन जब बात आती है AC खरीदने की, तो दिमाग में एक सवाल जरूर घूमता है - इन्वर्टर AC लें या नॉन-इन्वर्टर AC? दोनों में क्या फर्क है और कौन सा आपके लिए बेहतर है? चलिए इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं और आपको बताते हैं इन दोनों AC की पूरी कहानी, बिल्कुल आसान में!

कंप्रेसर का खेल: यहीं से शुरू होती है कहानी

AC का दिल होता है उसका कंप्रेसर, और यही वो चीज है जो इन्वर्टर और नॉन-इन्वर्टर AC को अलग करती है। इन्वर्टर AC में ऐसा स्मार्ट कंप्रेसर होता है, जो कमरे के तापमान को देखकर अपनी स्पीड घटा-बढ़ा सकता है। मान लीजिए, कमरा ठंडा हो गया तो ये कंप्रेसर धीमा हो जाता है। दूसरी तरफ, नॉन-इन्वर्टर AC का कंप्रेसर बिंदास टाइप का होता है - या तो फुल स्पीड पर चलेगा या फिर पूरी तरह बंद हो जाएगा। इस चक्कर में नॉन-इन्वर्टर AC बार-बार ऑन-ऑफ होता रहता है, जिससे बिजली ज्यादा खर्च होती है और आवाज भी खूब करता है। वहीं, इन्वर्टर AC चुपके-चुपके अपना काम करता है, बिजली बचाता है और शोर भी कम करता है।

बिजली बिल का हिसाब: कौन है कंजूस?

अगर आप बिजली बिल से डरते हैं, तो इन्वर्टर AC आपका दोस्त बन सकता है। ये कम बिजली खाता है और कमरे का तापमान एकदम स्थिर रखता है। चाहे बाहर कितनी भी गर्मी हो या कमरे में कितने लोग हों, ये अपने सिस्टम को उसी हिसाब से एडजस्ट कर लेता है।

नॉन-इन्वर्टर AC ऐसा नहीं कर पाता। वो बार-बार ऑन-ऑफ होने की वजह से बिजली का मीटर तेजी से घुमाता है। तो अगर आप लंबे समय के लिए AC चलाने वाले हैं, तो इन्वर्टर AC आपके बटुए को ज्यादा प्यार देगा।

PWM तकनीक: इन्वर्टर AC की जान

इन्वर्टर AC में एक खास तकनीक होती है, जिसे कहते हैं 'पल्स विड्थ मॉडुलेशन' यानी PWM। इसके जरिए कंप्रेसर एकदम स्मूथली चलता है, जिससे कूलिंग तेज होती है और मशीन पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता। नतीजा? AC की उम्र बढ़ती है और मेंटेनेंस का खर्चा भी कम रहता है।

नॉन-इन्वर्टर AC में ऐसी कोई स्मार्ट तकनीक नहीं होती, जिसकी वजह से वो जल्दी थक जाता है और उसकी लाइफ भी कम होती है।

रेफ्रिजरेंट का मामला: पर्यावरण भी, कूलिंग भी

नॉन-इन्वर्टर AC पुराने जमाने के रेफ्रिजरेंट इस्तेमाल करते हैं, जो न तो ज्यादा कूलिंग देते हैं और न ही पर्यावरण के लिए अच्छे हैं। दूसरी तरफ, इन्वर्टर AC में R32 जैसे इको-फ्रेंडली रेफ्रिजरेंट यूज होते हैं, जो कूलिंग भी जबरदस्त देते हैं और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाते हैं।

प्लस पॉइंट ये कि इन्वर्टर AC हवा से नमी को भी अच्छे से हटा देता है। खासकर उन जगहों पर जहां उमस की वजह से पसीना-पसीना हो जाता है, वहां ये AC किसी सुपरहीरो से कम नहीं।

कीमत और खर्च: कौन है जेब का दोस्त?

अब बात करते हैं पैसे की। इन्वर्टर AC खरीदते वक्त जेब पर थोड़ा ज्यादा बोझ डालता है, क्योंकि इसकी शुरुआती कीमत नॉन-इन्वर्टर AC से ज्यादा होती है। लेकिन रुकिए, कहानी यहीं खत्म नहीं होती! लंबे समय में इन्वर्टर AC बिजली बिल बचाता है, कम मेंटेनेंस मांगता है और ज्यादा टिकाऊ होता है। वहीं, नॉन-इन्वर्टर AC भले सस्ता मिल जाए, लेकिन इसका बिजली बिल और मेंटेनेंस का खर्चा आपकी जेब ढीली कर सकता है। तो अगर आप लंबा हिसाब लगाएं, तो इन्वर्टर AC ही बाजी मारता है।

तो आपके लिए कौन सा AC है बेस्ट?

अगर आप कम बजट में AC चाहते हैं और ज्यादा इस्तेमाल नहीं करने वाले, तो नॉन-इन्वर्टर AC ठीक रहेगा। लेकिन अगर आप गर्मी में रोजाना AC चलाते हैं और बिजली बिल कम करना चाहते हैं, तो इन्वर्टर AC आपके लिए बेस्ट है। ये न सिर्फ कूलिंग में माहिर है, बल्कि पर्यावरण और आपकी जेब का भी ख्याल रखता है।

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