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DRDO ने बना डाला ‘हिमकवच’, अब -60 की ठण्ड में भी गर्म रहेंगे हमारे जवान

हिमकवच की शुरुआत उस समय हुई जब भारत को हिमालय की सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
09:09 AM Jan 11, 2025 IST | Vyom Tiwari

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक खास कपड़ों का सिस्टम "हिमकवच" तैयार किया है। इसे बेहद ठंडे इलाकों में सैनिकों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह सिस्टम -20°C से -60°C तक के तापमान में भी काम करता है। सभी ऑपरेशनल टेस्ट में इसे सफल पाया गया है।

हिमकवच कई परतों का बना होता है, जिसे खास तौर पर ठंड से बचाने, आराम देने और सांस लेने की सुविधा के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मॉड्यूलर डिजाइन सैनिकों को मौसम के हिसाब से परतें जोड़ने या हटाने की सुविधा देता है। यह खासकर हिमालय में तैनात सैनिकों के लिए बेहद जरूरी है, जहां तापमान अचानक बहुत कम हो सकता है।

एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोथिंग सिस्टम से  बेहतर हिमकवच

भारतीय सेना पहले एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोथिंग सिस्टम (ECWCS) का इस्तेमाल करती थी, जो DRDO के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज ने तैयार किया था। यह तीन परतों वाला सिस्टम था, जो सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए बनाया गया था।

अब सेना के पास इससे भी बेहतर विकल्प "हिमकवच" है। यह कई परतों से बना हुआ है और ज्यादा ठंड में बेहतर सुरक्षा देता है। इसका डिजाइन खास तौर पर ऊंचाई वाले इलाकों और बेहद ठंडे तापमान में सैनिकों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया है।

हिमकवच में इंसुलेशन, सांस लेने की क्षमता और आराम को ध्यान में रखा गया है। इसका मॉड्यूलर डिजाइन सैनिकों को मौसम के हिसाब से परतें जोड़ने या हटाने की सुविधा देता है। यह सिस्टम खासतौर पर हिमालय के कठिन हालात में सैनिकों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है, जहां तापमान अचानक बहुत नीचे गिर जाता है।

मुश्किल हालात में भी आसानी से काम कर सकेंगे हमारे सैनिक 

हिमकवच की शुरुआत ऐसे समय में हुई है जब भारत हिमालय की सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर चिंतित है। यह विशेष गियर सैनिकों के लिए बनाया गया है ताकि वे मुश्किल हालात में भी आसानी से काम कर सकें और सेना की ताकत बढ़े। जल्द ही इस नए कपड़ों के सिस्टम को सेना में शामिल किया जाएगा। इससे कठिन माहौल में तैनात सैनिकों की मूवमेंट, टिकाऊपन और काम करने की क्षमता बेहतर होगी।

 

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