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भारतीय पासपोर्ट की क्या वाकई कोई इज्जत नहीं? ट्रैवल ब्लॉगर के वायरल वीडियो ने छेड़ी बहस

वायरल वीडियो के बाद भारतीय पासपोर्ट की वैश्विक हैसियत पर बहस तेज, Henley Index में 85वीं रैंक और कम वीज़ा-फ्री एंट्री बनी चिंता।
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Global status of Indian passport: सोशल मीडिया पर एक ट्रैवल ब्लॉगर का वीडियो आग की तरह वायरल हो रहा है, जिसमें वह भारतीय पासपोर्ट की वैश्विक हैसियत पर तीखा प्रहार करता हुआ दिख रहा है। दरअसल इंस्टाग्राम हैंडल 'On Road Indian' से मशहूर इस ब्लॉगर ने कहा कि ये पासपोर्ट मेरे हाथ में है, लेकिन इसकी कोई वेल्यू नहीं!" उन्होंने जॉर्डन, मिस्र और अन्य देशों में भारतीय पासपोर्ट के कारण एंट्री डिनाइड होने के अनुभव साझा किए। बता दें कि Henley Passport Index 2025 में भारत का 85वाँ स्थान और वीजा-मुक्त यात्रा की घटती सुविधाएँ इस बहस को और हवा दे रही हैं। आइए, इस पूरे मसले को सरल भाषा में समझने का प्रयास करते हैं।

ब्लॉगर ने क्या कहा?

'On Road Indian' नाम के अकाउंट पर अपलोड वीडियो में भारतीय पासपोर्ट की कमज़ोर स्थिति पर खुलकर बात करते हुए ब्लॉगर ने कहा कि यह पासपोर्ट थाईलैंड, मलेशिया जैसे कुछ देशों में तो काम करता है, लेकिन बड़े देशों में इसकी कोई इज्जत नहीं। जॉर्डन ने उन्हें पासपोर्ट देखते ही एंट्री रोक दी, और मिस्र जैसे देश इनविटेशन लेटर माँगते हैं। कई देश भारतीयों के लिए वीजा-ऑन-अराइवल खत्म कर रहे हैं, और चीन सिर्फ 24 घंटे का ट्रांजिट देता है, जबकि बाकियों को 10 दिन। अमिताभ-शाहरुख के नाम पर लोग खुश होते हैं, लेकिन पेपरवर्क में भारतीयों को नीचा देखा जाता है, और Henley Passport Index 2025 में भारत की 85वीं रैंकिंग इसकी पुष्टि करती है।

वीडियो ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ी ज़ोरदार बहस

दो दिनों में 80 लाख बार देखा गया यह वीडियो इंस्टाग्राम पर तहलका मचा रहा है। कई यूज़र्स ने ब्लॉगर की बात को सच बताया और भारतीय पासपोर्ट की मुश्किलों पर सहमति जताई। कुछ ने कहा कि भारतीय पर्यटकों का असभ्य व्यवहार इसकी वजह है, जैसे एयरपोर्ट पर दादागिरी। X पर इसे BJP की "विश्वगुरु" छवि पर हमला माना जा रहा है, कुछ ने लिखा कि मलावी जैसे देशों में भी भारतीय पासपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं। यह वीडियो भारतीय यात्रियों की पीड़ा को उजागर कर रहा है।

क्या है भारतीय पासपोर्ट की हकीकत?

Henley Passport Index 2025 के मुताबिक, भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में गिरावट चिंता का विषय है। भारत 85वें स्थान पर है, और इसके धारक सिर्फ 57 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं, जो सिंगापुर (195 देश) से बहुत कम है। पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान (103वाँ) और बांग्लादेश (100वाँ) की स्थिति भी खराब है, लेकिन भारत क्षेत्र में बेहतर है। जॉर्डन, मिस्र जैसे देशों में सख्त वीजा नियम और संदेहास्पद नजरिया भारतीय यात्रियों के लिए चुनौती है। यह स्थिति वैश्विक धारणा और कूटनीति पर सवाल उठाती है। वहीं एक अन्य Nomad Capitalist Passport Index 2025 के द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, कुल 199 देशों की सूची में भारत 148 वें पायदान पर खिसक गया है। जिसमें पाकिस्तान सबसे आखिरी 195 वें और बांग्लादेश 180 वे पायदान पर है। इसको लेकर आज कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट देखने को मिली। उन्होंने इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

क्यों है यह विवाद?

ब्लॉगर का वीडियो भारत की वैश्विक छवि और पासपोर्ट की ताकत पर सवाल उठाता है। X पर कुछ लोग इसे "विश्वगुरु" के दावों का मजाक उड़ाने का मौका मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे भारतीय पर्यटकों के व्यवहार से जोड़ते हैं। विपक्षी समर्थकों ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक नाकामी बताया। ब्लॉगर ने जो अनुभव साझा किए, वे कई भारतीय यात्रियों की हकीकत को दर्शाते हैं, जो वीजा प्रक्रिया और सीमा पर संदेह का सामना करते हैं।

क्या बढ़ेगी इंडियन पासपोर्ट की इज्ज़त?

यह वीडियो भारतीय पासपोर्ट की कमज़ोर स्थिति पर बहस को तेज़ कर सकता है। क्या भारत को अपनी कूटनीति मज़बूत करनी चाहिए? क्या पर्यटकों को अपने व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए? X पर लोग पूछ रहे हैं, "विश्वगुरु बनने का दावा तो करते हैं, लेकिन पासपोर्ट की इज्जत कब बढ़ेगी?" यह वीडियो न सिर्फ ट्रैवलर्स, बल्कि नीति-निर्माताओं के लिए भी एक जागने की पुकार है।

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