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क्या ब्रह्मांड में मौजूद हैं एलियन... भारतीय मूल के इस वैज्ञानिक ने खोले कई राज!

New Delhi: नई दिल्ली। भारतीय-ब्रिटिश खगोलशास्त्री डॉ. निक्कू मधुसूदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी टीम ने K2-18b नामक एक दूर के ग्रह पर एलियन जीवन के संभावित संकेतों की खोज की है!
09:45 PM Apr 19, 2025 IST | Pushpendra Trivedi

New Delhi: नई दिल्ली। भारतीय-ब्रिटिश खगोलशास्त्री डॉ. निक्कू मधुसूदन और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उनकी टीम ने K2-18b नामक एक दूर के ग्रह पर एलियन जीवन के संभावित संकेतों की खोज की है! नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से टीम ने डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डाइसल्फ़ाइड (DMDS) गैसों की मौजूदगी का पता लगाया। यह विशेष रूप से ध्यान देने लायक हैं, क्योंकि ये समुद्र में मौजूद समुद्री शैवाल द्वारा प्रोड्यूस होते हैं।

डॉ. निक्कू मधुसूदन कौन हैं?

भारत में 1980 में जन्मे, डॉ. मधुसूदन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, BHU, वाराणसी से B.Tech. की डिग्री हासिल की। इसके ​​बाद उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से मास्टर डिग्री के साथ-साथ पीएचडी भी की। साल 2009 में उनकी पीएचडी थीसिस हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों के वायुमंडल का अध्ययन करने के बारे में थी, जिन्हें एक्स्ट्रासोलर ग्रह कहा जाता है।

पीएचडी के बाद उन्होंने एमआईटी, प्रिंसटन विश्वविद्यालय और येल विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता के रूप में कई पदों पर काम किया। यहां वे वाईसीएए पुरस्कार पोस्टडॉक्टरल फेलो थे। साल 2013 में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शामिल हुए और चार साल तक खगोल भौतिकी में विश्वविद्यालय के व्याख्याता के रूप में काम किया। उन्हें 2017 में खगोल भौतिकी और एक्सोप्लेनेटरी विज्ञान में रीडर के रूप में पदोन्नत किया गया। वह वर्तमान में खगोल भौतिकी और एक्सोप्लेनेटरी विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में काम करते हैं।

डॉ. मधुसूदन ने किया यह रिसर्च

डॉ. निक्कू मधुसूदन ने हाइसीन ग्रहों को लेकर रिसर्च किया, जिन्हें जीवन की तलाश को लेकर ग्रहों का सबसे अच्छा वर्ग माना जाता है। हाइसीन ग्रहों का वातावरण हाइड्रोजन से भरा हुआ है और उसके नीचे महासागर हैं। डॉ. मधुसूदन के रिसर्च में उनके वायुमंडल, अंदरूनी भाग और उनके निर्माण का अध्ययन शामिल हैं। उनके काम में हाइसीन दुनिया, उप-नेपच्यून और बायोसिग्नेचर की खोज भी शामिल है। वह HST, JWST और बड़े ग्राउंड-आधारित दूरबीनों की मदद से एक्सोप्लैनेट के लिए रेडियेटिव ट्रांसफर, प्लैनेटरी केमेस्ट्री और एटमॉस्फेरिक रिट्रीवल मेथड्स पर भी काम करते हैं।

पृथ्वी से बड़े गृह की खोज

साल 2012 में उन्होंने 55 कैनक्री ई नामक एक ग्रह का अध्ययन किया, जो पृथ्वी से बड़ा है और सुझाव दिया कि इसका आंतरिक भाग कार्बन युक्त हो सकता है। साल 2014 में उन्होंने एक टीम का नेतृत्व किया, जिसने तीन गर्म जुपिटर्स में पानी के स्तर को मापा और अपेक्षा से कम पानी पाया। साल 2017 में वह उस टीम का हिस्सा थे, जिसने WASP-19b ग्रह के वायुमंडल में टाइटेनियम ऑक्साइड का पता लगाया था। वहीं 2020 में उन्होंने K2-18b का अध्ययन किया और पाया कि इसकी सतह पर पानी मौजूद हो सकता है।

कई पुरस्कारों से सम्मानित किए गए हैं डॉ. मधुसूदन

डॉ. मधुसूदन को कई पुरस्कारों, जैसे सैद्धांतिक खगोल भौतिकी में ईएएस एमईआरएसी पुरस्कार (2019), शिक्षण में उत्कृष्टता के लिए पिलकिंगटन पुरस्कार (2019), खगोल भौतिकी में आईयूपीएपी युवा वैज्ञानिक पदक (2016) और एएसआई वेणु बापू स्वर्ण पदक (2014) से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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