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किसानों के मुआवजे और विस्थापन नीति पर भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति की एसीपी से बैठक, बड़े आंदोलन की तैयारी!

भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने 64.7% अतिरिक्त मुआवजा, 10% आवासीय प्लॉट और विस्थापन नीति में सुधार सहित किसानों की लंबित समस्याओं पर एसीपी से बैठक की
11:51 PM Dec 08, 2024 IST | Vibhav Shukla

आज भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह के नेतृत्व में अधिकारियों से मिलने के लिए आया। इस बैठक में उन्होंने किसानों की लंबित समस्याओं पर गंभीर चर्चा की और कई अहम मुद्दों को उठाया। जिनमें 64.7% अतिरिक्त मुआवजा, 10% आवासीय प्लॉट, आवादी निस्तारण, आवादी शिफ्टिंग, सर्किल रेट का बढ़ाना, यमुना विकास प्राधिकरण में पुस्तैनी अधिकार, जेवर एयरपोर्ट का मुआवजा और विस्थापन नीति में सुधार जैसे मुद्दे प्रमुख थे।

इस बैठक में किसानों ने अपनी समस्याओं का समाधान करने की मांग की और अधिकारियों से इन मुद्दों के प्रति त्वरित ध्यान देने का अनुरोध किया। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के प्रतिनिधियों का कहना था कि किसानों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और उन्हें उनकी जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही यमुना विकास प्राधिकरण में किसानों को पुस्तैनी अधिकार मिलना चाहिए, ताकि उनकी जमीनें न छीनी जाएं।

बैठक में एसीपी महोदय का आश्वासन

बैठक के दौरान एसीपी महोदय ने भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के नेताओं से कहा कि वह जल्द ही प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया डीसीपी महोदय के माध्यम से पूरी की जाएगी, और वे इसमें अपनी शिफारिश करेंगे। एसीपी महोदय ने एक हफ्ते के अंदर इस मामले में निर्णय लेने का आश्वासन दिया।

यह बैठक काफी अहम थी क्योंकि किसान नेताओं ने प्रदर्शन की अनुमति के लिए अधिकारियों से मुलाकात की थी, जो पहले से लंबित समस्याओं का समाधान नहीं हो पाने की वजह से निराश थे। एसीपी महोदय ने यह भी बताया कि अनुमति विशेष रूप से रौनीजा और साबौता अंडरपास के निर्माण कार्य को लेकर मांगी गई है।

बैठक में कौन-कौन था मौजूद?

बैठक में भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय सचिव पिंटू त्यागी, हरेंद्र मलिक, प्रवीण अत्री, रिविंदर खाजपुर, विश्वास नागर और प्रमोद शर्मा समेत अन्य कई प्रमुख किसान नेता भी मौजूद थे। सभी ने अपनी-अपनी राय साझा की और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों से शीघ्र कदम उठाने की अपील की।

इन नेताओं ने यह भी कहा कि जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। उनके मुताबिक, इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी जायज़ ज़मीन, मुआवजा और उचित विस्थापन नीति दिलवाना है।

किसानों की मांगें क्या हैं?

भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति की प्रमुख मांगें स्पष्ट थीं। वे चाहते हैं कि किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए, ताकि वे अपनी ज़मीन के बदले उचित हर्जाना पा सकें। इसके अलावा, 10% आवासीय प्लॉट की भी मांग की गई, जिससे किसान अपनी आवास व्यवस्था को बेहतर बना सकें।

इसके साथ ही, आवादी निस्तारण और आवादी शिफ्टिंग से संबंधित मुद्दे भी उठाए गए, जो किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। इन मुद्दों का समाधान न होने से किसान समुदाय में गुस्सा बढ़ रहा है और वे अब सीधे कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं।

यमुना विकास प्राधिकरण के अंतर्गत पुस्तैनी अधिकार की बात भी उठाई गई, क्योंकि बहुत से किसान अपनी ज़मीन खोने के बाद अपनी ही ज़मीन पर काम करने का अधिकार नहीं पा रहे हैं। इसी तरह, जेवर एयरपोर्ट के मुआवजे की भी चर्चा हुई, क्योंकि एयरपोर्ट के निर्माण के कारण किसानों को अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

 क्या होगा अगला कदम?

इस बैठक के बाद अब किसानों की नजरें सरकार और अधिकारियों पर टिकी हैं। यदि अगले एक हफ्ते के भीतर किसानों को उनकी मांगों का समाधान नहीं मिलता, तो भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति द्वारा घोषित बड़े आंदोलन का रूप धारण कर सकता है।

भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के नेताओं का कहना है कि सरकार को इस बात का अहसास होना चाहिए कि किसानों की आवाज़ को अनसुना करना और उनके अधिकारों का उल्लंघन करना अब और अधिक सहन नहीं किया जाएगा। हम अपने अधिकारों के लिए हर संभव कदम उठाएंगे, और अगर जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

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