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मोदी की Water Strike से सूख जाएगा पाकिस्तान? बर्बादी की कगार पर इकनॉमी, किसान को रुलाएगा हर कतरा!

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित कर पाकिस्तान की जल जीवनरेखा काटी, जिससे उसकी खेती और अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया है। जवाब में, भारत ने 23 अप्रैल को 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और खेती की रीढ़ है। यह "वाटर स्ट्राइक" पाकिस्तान की खेती को तबाह, अर्थव्यवस्था को बर्बाद, और लोगों को भुखमरी की कगार पर ला सकती है। आइए, जानें कैसे।

सिंधु जल संधि: पाकिस्तान की जीवनरेखा

19 सितंबर 1960 को विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास, और सतलुज का 20% पानी और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, और चिनाब का 80% पानी मिलता है। यह 135 मिलियन एकड़-फीट पानी पाकिस्तान की 80% खेती को सींचता है, जो 16 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं, चावल, कपास, और गन्ना उगाता है।

यह कृषि 23% GDP और 68% ग्रामीण आबादी की आजीविका देती है। पंजाब और सिंध प्रांत इस पानी पर पूरी तरह निर्भर हैं, जो सिंचाई के साथ पीने और जलविद्युत के लिए भी जरूरी है।

पानी रुका तो फैलेगी भुखमरी और अशांति

पाकिस्तान पहले से पानी-तनावग्रस्त देश है, जहां प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1000 क्यूबिक मीटर से कम है। अगर भारत पानी का प्रवाह 5-10% भी कम करता है, तो पंजाब और सिंध में फसल उत्पादन गिरेगा, जिससे गेहूं और चावल की कमी होगी। इससे खाद्य आयात बढ़ेगा, जो पहले से 37% मुद्रास्फीति और 60% GDP कर्ज से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए असंभव है। कराची और लाहौर जैसे शहरों में पीने का पानी कम होगा, और निजी टैंकरों पर निर्भरता बढ़ेगी। तरबेला और मंगला बांध, जो 4000 मेगावाट बिजली देते हैं, प्रभावित होंगे, जिससे उद्योग और रोजगार ठप होंगे। ग्रामीण पलायन और सामाजिक अशांति बढ़ेगी।

भारत ने रणनीति के तहत चला पानी का हथियार

भारत ने संधि निलंबित कर पानी के डेटा साझा करना बंद किया और चिनाब व झेलम पर बांध निर्माण की छूट ली। हालांकि, पूर्ण पानी रोकने के लिए भारत को बुनियादी ढांचे में 5-7 साल लगेंगे। फिर भी, यह कदम कूटनीतिक और आर्थिक दबाव है।

All parties meeting on pahalgam terroirst attack

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “आतंकवाद बंद नहीं, तो संधि नहीं। यह पाकिस्तान को कमजोर करने की रणनीति है, जिसकी अर्थव्यवस्था पहले से IMF पर टिकी है। भविष्य में बांधों से पानी रोकना या बाढ़ पैदा करना युद्ध जैसा कदम होगा, जिसे पाकिस्तान बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।

दाने-दाने को तरसेगा पाकिस्तान

पाकिस्तान के पास केवल 14.4 मिलियन एकड़-फीट जल भंडारण है, जो सालाना हक का 10% है। विदेश मंत्री इशाक डार ने विश्व बैंक से शिकायत की, लेकिन भारत का कदम आतंकवाद विरोधी रुख के तौर पर समर्थन पा रहा है। बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में विद्रोह, इमरान खान का विरोध, और कमजोर सरकार पाकिस्तान को अंदर से तोड़ रहे हैं। पानी की कमी से भुखमरी, बेरोजगारी, और अशांति बढ़ेगी। PM मोदी का बयान कि “खून और पानी साथ नहीं बह सकते”अब हकीकत है। भारत की यह वाटर स्ट्राइक पाकिस्तान को घुटनों पर ला सकती है।

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