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World TB Day 2025: TB संक्रमण में 17.7% की बड़ी गिरावट, कैसे संभव हुआ भारत का यह सफर?

भारत में TB संक्रमण में 17.7% की गिरावट दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है। जानिए कि सरकार के कौन-से कदम इस बदलाव के पीछे हैं।
05:03 PM Mar 23, 2025 IST | Rohit Agrawal

TB(ट्यूबरक्लोसिस) दुनिया भर में फैली एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या मानी जाती है, जो हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है। भारत में भी TB एक बड़ी चुनौती रही है, लेकिन हाल के वर्षों में इसके मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में TB संक्रमण के मामलों में 17.7% की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है। आइए जानते हैं कि यह सफलता कैसे हासिल हुई और इसके पीछे कौन से प्रयास काम आए।

 

'TB मुक्त भारत अभियान': एक बड़ा कदम

भारत सरकार ने TB उन्मूलन के लिए 'टीबी मुक्त भारत अभियान' शुरू किया है। इस अभियान के तहत 7 दिसंबर 2024 को 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में 100 दिवसीय 'गहन टीबी मुक्त भारत अभियान' की शुरुआत की गई। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के मामलों की पहचान करना, समय पर जांच करना और मरीजों का इलाज शुरू करना था। इस दौरान करीब 9.02 करोड़ लोगों की टीबी जांच की गई, जिनमें 3,01,803 नए मामले सामने आए। इन मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है, जिससे संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिली है।

टीबी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश:

देशकितने प्रतिशत मामले?
भारत27%
इंडोनेशिया10%
चीन7.1%
फिलीपींस7.0%
पाकिस्तान5.7%
नाइजीरिया4.5%
बांग्लादेश3.6%
कांगो3%

सोर्स: WHO 2022 रिपोर्ट

 

जांच और इलाज की बेहतर सुविधाएं

TB के मामलों में गिरावट का एक बड़ा कारण जांच और इलाज की बेहतर सुविधाएं हैं। सरकार ने टीबी के मरीजों को मुफ्त जांच और दवाइयां उपलब्ध कराई हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में भी टीबी जांच और इलाज की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा, DOTS (Directly Observed Treatment, Short-course) थेरेपी के माध्यम से मरीजों को नियमित रूप से दवाइयां दी जा रही हैं। यह थेरेपी टीबी के इलाज में काफी प्रभावी साबित हुई है। सामान्य टीबी का इलाज 6 महीने तक चलता है, जबकि ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी का इलाज 9 से 24 महीने तक चल सकता है।

पोषण के लिए आर्थिक सहायता

TB के मरीजों के लिए पोषण और आर्थिक सहायता भी एक बड़ा कदम है। सरकार ने टीबी मरीजों को हर महीने आर्थिक मदद देना शुरू किया है। पहले यह राशि 500 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया गया है। यह राशि मरीज को तब तक दी जाती है, जब तक वह पूरी तरह से ठीक न हो जाए। इससे मरीजों को पोषण और इलाज के लिए आर्थिक सहायता मिलती है, जो उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने में मददगार साबित हो रही है।

सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान

TB के मामलों में गिरावट का एक और बड़ा कारण जागरूकता अभियान है। सरकार ने स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए हैं, जिससे लोगों को टीबी के लक्षणों और इलाज के बारे में जानकारी मिली है। इसके अलावा, निक्षय पोर्टल के माध्यम से टीबी के नए मामलों पर नजर रखी जा रही है। इससे संक्रमण के प्रसार को रोकने और मरीजों का समय पर इलाज शुरू करने में मदद मिली है।

 

चुनौतियां अभी भी बाक़ी

हालांकि टीबी के मामलों में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। सामाजिक लोकलाज के कारण कई लोग टीबी के लक्षणों को छिपाते हैं और समय पर इलाज नहीं कराते। इसके अलावा, कुछ मरीज इलाज पूरा होने से पहले ही दवाइयां लेना बंद कर देते हैं, जिससे ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी का खतरा बढ़ जाता है। भारत में टीबी के कुल मामलों में से 27% मामले सिर्फ भारत में हैं, जो देश के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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