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राजस्थान के जैसलमेर में AI से पैदा हुआ पक्षी का बच्चा, ऐसा करने वाला भारत बना दुनिया का पहला देश

जैसलमेर में पहली बार आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का जन्म हुआ। भारत बना गोडावण को AI से जन्म देने वाला पहला देश।
04:48 PM Apr 12, 2025 IST | Rohit Agrawal

राजस्थान का गोडावण, जिसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम से जाना जाता है, विलुप्ति के कगार पर खड़ा था। लेकिन जैसलमेर के सुदासरी गोडावण प्रजनन केंद्र ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। यहाँ कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन) की तकनीक से गोडावण के चूजे पैदा किए गए हैं, और इस करिश्मे ने भारत को विश्व का पहला देश बना दिया, जिसने इस लुप्तप्राय प्रजाति को AI से जन्म दिया। पहले अक्टूबर 2024 में और अब मार्च 2025 में एक और चूजे का जन्म—यह न सिर्फ राजस्थान का गौरव है, बल्कि वैश्विक संरक्षण के लिए एक मिसाल है। कैसे हुई यह शुरुआत, और क्या है इसकी कहानी? आइए, जानते हैं इसकी कहानी।

गोडावण को कैसे मिला नया जीवन?

जैसलमेर के सुदासरी गोडावण प्रजनन केंद्र में वैज्ञानिकों ने वह कर दिखाया, जो पहले कभी नहीं हुआ। कृत्रिम गर्भाधान की मदद से गोडावण के चूजे पैदा किए गए, और यह उपलब्धि भारत को गर्व से भर देने वाली है। 16 मार्च 2025 को मादा गोडावण टोनी ने एक अंडा दिया, जिससे सीजन का 8वाँ चूजा निकला। यह प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) की दूसरी AI सफलता थी।

इससे पहले, 16 अक्टूबर 2024 को पहला चूजा इसी तकनीक से जन्मा था। अब सुदासरी केंद्र में गोडावणों की संख्या 52 तक पहुँच गई है, जो इस लुप्तप्राय प्रजाति के लिए एक सुखद संकेत है। यह न सिर्फ संरक्षण की जीत है, बल्कि यह दिखाता है कि तकनीक और मेहनत मिलकर क्या कर सकते हैं।

कैसे आया आइडिया?

इस अनोखी तकनीक की शुरुआत का श्रेय अबू धाबी के इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन (IFHC) को जाता है। वहाँ तिलोर पक्षी पर कृत्रिम गर्भाधान का प्रयोग सफल रहा था। भारत के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने अबू धाबी जाकर इस तकनीक को सीखा और इसे गोडावण पर आजमाने का फैसला किया। डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) आशीष व्यास बताते हैं, "हमने देखा कि अगर तिलोर पर यह काम कर सकता है, तो गोडावण पर क्यों नहीं?" इस प्रेरणा ने जैसलमेर में एक नया अध्याय शुरू किया, और आज भारत इस क्षेत्र में दुनिया का अगुआ बन गया है।

8 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद जन्मा चूज़ा

इस उपलब्धि के पीछे की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। रामदेवरा गोडावण प्रजनन केंद्र में सुदा नाम के नर गोडावण को 8 महीने तक कृत्रिम मेटिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया। वैज्ञानिकों ने एक नकली मादा मॉडल बनाया, जिसके साथ सुदा को "प्रैक्टिस" कराई गई। जब सुदा ने स्पर्म देना शुरू किया, तो उसे सावधानी से इकट्ठा कर सुदासरी केंद्र में लाया गया। यहाँ 20 सितंबर 2024 को मादा गोडावण टोनी को कृत्रिम गर्भाधान कराया गया। 24 सितंबर को टोनी ने अंडा दिया, और 16 अक्टूबर को पहला चूजा जन्मा। इस बार मार्च में फिर वही जादू दोहराया गया, और एक और चूजा दुनिया में आया। यह मेहनत, धैर्य और तकनीक का शानदार संगम है।

 

क्यों जरूरी है संरक्षण?

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, जिसे स्थानीय लोग गोडावण कहते हैं, राजस्थान का राज्य पक्षी है। लेकिन इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। कभी हजारों की संख्या में घास के मैदानों में घूमने वाला यह पक्षी अब सिर्फ 150 के आसपास बचा है, जिनमें से 90% राजस्थान में हैं। बाकी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हैं। इसके पीछे कई वजहें हैं—घास के मैदानों का खत्म होना, बिजली के तारों से टकराव, और शिकार। गोडावण साल में सिर्फ एक अंडा देता है, जो जमीन पर होता है और शिकारियों के लिए आसान निशाना बन जाता है। ऐसे में AI तकनीक एक उम्मीद की किरण है, जो स्पर्म बैंक बनाकर इस प्रजाति को बचा सकती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक सूतीर्थ दत्ता कहते हैं, "यह एक ऐतिहासिक कदम है, लेकिन हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है।" गोडावण की आबादी को जंगल में वापस लाने के लिए कैप्टिव ब्रीडिंग के साथ-साथ उनके प्राकृतिक आवास को बचाना होगा। सुदासरी और रामदेवरा केंद्रों में 45 गोडावण हैं, जिनमें से 14 AI और इन्क्यूबेशन से जन्मे हैं। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि बिजली के तार और सोलर फार्म जैसे खतरे खत्म नहीं हुए। फिर भी, यह उपलब्धि उम्मीद जगाती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इसे "ऐतिहासिक" बताया और वैज्ञानिकों की तारीफ की। क्या गोडावण फिर से थार के मैदानों में स्वच्छंद उड़ेगा? यह समय और मेहनत पर निर्भर है।

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