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भारत-चीन के बीच शांति का एक और कदम, शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

भारत-चीन के विदेश सचिवों के बीच दो दिन तक बातचीत हुई, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि यात्रा फिर से शुरू की जाएगी।
11:46 AM Jan 28, 2025 IST | Vyom Tiwari

चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद को हल करने और शांति बनाने के लिए एक और कदम उठाने पर सहमति जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, कैलाश मानसरोवर यात्रा अब जल्द ही फिर से शुरू होगी। दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं भी फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और चीन ने लोगों के बीच रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है। 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी। जून 2020 में गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए थे, और डोकलाम विवाद के बाद यह यात्रा रोक दी गई थी। इसके बाद से श्रद्धालु उत्तराखंड की व्यास घाटी से कैलाश पर्वत के दर्शन कर रहे थे।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में कज़ान में हुई मुलाकात के दौरान, दोनों देशों ने भारत-चीन रिश्तों पर चर्चा की और उन्हें बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई।" मंत्रालय ने आगे कहा, "इस बातचीत के तहत, दोनों देशों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।"

विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मिले वांग यी 

सोमवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री की मुलाकात हुई। इस दौरान वांग यी ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उनका मानना है कि हमें एक-दूसरे पर शक करने के बजाय आपसी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

विक्रम मिस्री भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चीनी अधिकारियों से बातचीत करने के लिए दो दिन की यात्रा पर चीन आए हैं। यह भारत के किसी उच्चस्तरीय अधिकारी की चीन की दूसरी यात्रा है, जो डेढ़ महीने के भीतर हुई है।

भारत और चीन के बीच 5 साल बाद सीधी फ्लाइट सेवा फिर से शुरू

भारत और चीन के बीच लगभग 5 साल बाद सीधी फ्लाइट सेवा फिर से शुरू होने जा रही है। दोनों देशों ने इस पर सहमति बना ली है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के राजनीतिक तनावों के कारण दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट्स बंद हो गई थीं। सोमवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि पेइचिंग में हुए एक उच्च स्तरीय राजनयिक दौरे में दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट्स फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों देश सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके लिए दोनों देशों के संबंधित अधिकारी जल्दी ही एक नई योजना पर बातचीत करेंगे।"

भारत-चीन विशेषज्ञ की होगी बैठक

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने सीमापार नदियों से जुड़े जल विज्ञान के आंकड़े और अन्य सहयोग से संबंधित जानकारी साझा करने के लिए भारत-चीन विशेषज्ञों की एक बैठक जल्द बुलाने पर सहमति जताई है।

इसके अलावा, मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों पक्ष मीडिया, थिंक टैंक और लोगों के बीच बातचीत बढ़ाने और आदान-प्रदान को और सरल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने पर राजी हुए हैं।

कैलाश मानसरोवर का अधिकांश हिस्सा तिब्बत में स्थित

कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है, लेकिन कैलाश मानसरोवर का अधिकांश हिस्सा तिब्बत में स्थित है। चीन लंबे समय से तिब्बत पर अपना अधिकार जताता आया है। इस क्षेत्र में ल्हा चू और झोंग चू नामक दो स्थानों के बीच एक पहाड़ है, जिसके दो शिखर जुड़े हुए हैं। इनमें से उत्तर वाला शिखर कैलाश के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड के लिपुलेख से यह स्थान महज 65 किलोमीटर दूर है। चूंकि यह क्षेत्र मुख्य रूप से चीन के अधिकार में है, इसलिए यहां यात्रा करने के लिए चीन से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दो रास्ते हैं

पहला रास्ता: उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है। इस रूट पर यात्रा में लगभग 24 दिन लगते हैं और खर्चा 1.80 लाख रुपये तक आता है।

दूसरा रास्ता: सिक्किम के नाथू ला दर्रे से होकर जाता है। इस रूट पर यात्रा में लगभग 21 दिन लगते हैं और खर्चा 2.5 लाख रुपये होता है।

कैलाश पर अब तक कोई नहीं चढ़ पाया

कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम है, जबकि एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर है। फिर भी, कोई भी आज तक कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं कर सका है, लेकिन कुछ लोग इसके 52 किलोमीटर के आसपास की परिक्रमा करने में सफल रहे हैं। वहीं, एवरेस्ट पर अब तक करीब 7 हजार लोग चढ़ाई कर चुके हैं।

इसके अलावा, बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच बैठक में 6 महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी थी। यह बैठक भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। अजीत डोभाल 17 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की 23वीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग पहुंचे थे।

21 अक्टूबर 2024 को हुआ था डिसएंगेजमेंट का ऐतिहासिक समझौता

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 4 साल से ज्यादा समय से सीमा विवाद चल रहा था। लेकिन, 21 अक्टूबर को दोनों देशों ने मिलकर एक समझौता किया कि उनकी सेनाएं विवादित क्षेत्रों, जैसे देपसांग और डेमचोक, से पीछे हटेंगी। इसके बाद 25 अक्टूबर से सेनाओं ने इन स्थानों से हटना शुरू कर दिया। 27 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है, और अब अगले कदम के रूप में तनाव कम करना होगा। इस समझौते के बाद, दीपावली के मौके पर सीमा पर मिठाई बांटी गई थी।

समझौते के अनुसार, सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति में वापस लौट आई हैं। अब वे वही क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं, जहां अप्रैल 2020 से पहले करती थीं। इसके अलावा, कमांडर स्तर की बैठकें भी जारी हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने से दोनों देशों के बीच पर्यटन के लिए आगे कदम बढ़ाने की योजना है।

 

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