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सरकार ने पेश किया नया Immigration Bill, अवैध प्रवासियों पर होगी सख्ती, जानिए क्या होंगे कड़े प्रावधान?

केंद्र सरकार ने इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 लोकसभा में पेश किया, जिसमें अवैध प्रवेश, जाली दस्तावेज और वीजा उल्लंघन पर कड़े दंड का प्रावधान है।
12:13 PM Mar 12, 2025 IST | Vyom Tiwari

केंद्र सरकार ने मंगलवार को इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 को लोकसभा में पेश किया। इस बिल के तहत, अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से किसी विदेशी को भारत लाता है, उसे यहां ठहराता या बसाता है, तो उसे 3 साल की जेल या 3 लाख रुपये जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि यह बिल किसी को रोकने के लिए नहीं, बल्कि भारत आने वाले लोगों को देश के कानूनों का पालन करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से लाया गया है।

इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि यह पुराने चार अलग-अलग कानूनों को हटाकर एक नया और व्यापक कानून बनाएगा। इनमें से दो कानून तो प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के समय लाए गए थे। नया बिल इन सभी कानूनों को एक साथ जोड़कर लाने की कोशिश है, जिससे संबंधित एजेंसियों और संस्थानों को और मजबूत बनाया जा सके। इससे इन एजेंसियों को बेहतर तरीके से काम करने का मौका मिलेगा।

खत्म हो जाएंगे ये पुराने 4 कानून

अगर यह बिल कानून बन जाता है, तो चार पुराने कानून खत्म हो जाएंगे – फॉरेनर्स एक्ट 1946, पासपोर्ट एक्ट 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939 और इमिग्रेशन एक्ट 2000।

यह कानून सरकार को यह अधिकार देगा कि अगर किसी विदेशी नागरिक से राष्ट्रीय सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा महसूस हो, तो उसे भारत में आने या रहने से रोका जा सके। इसके अलावा, अगर किसी देश के साथ भारत के रिश्ते को नुकसान पहुंचने की आशंका हो, तो भी उस देश के नागरिक के प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है।

इस नए कानून में यह प्रावधान होगा कि आव्रजन अधिकारी का फैसला अंतिम और बाध्यकारी होगा। पहले भी सरकार विदेशी नागरिकों को भारत में प्रवेश से रोक सकती थी, लेकिन किसी कानून में इसे साफ तौर पर नहीं लिखा गया था।

क्या है इस बिल की प्रमुख बातें?

किन बिंदुओं का विरोध

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे न्याय और कानून के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ बताया। चंडीगढ़ से सांसद तिवारी ने खासतौर पर उन प्रावधानों पर चिंता जताई, जो सरकार को लोगों की आवाजाही रोकने का बड़ा अधिकार देते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो सरकार से अलग सोच रखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विधेयक संविधान के मुताबिक होना चाहिए और इसे पास करने से पहले अच्छी तरह जांचा जाना चाहिए।

नए विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार किसी भी विदेशी नागरिक को भारत में प्रवेश करने से रोक सकती है। इसके लिए कई कारण हो सकते हैं, जैसे – राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता, विदेशी संबंध, सार्वजनिक स्वास्थ्य या कोई अन्य कारण जिसे सरकार जरूरी समझे।

विधेयक के खंड 3(1) में क्या लिखा है 

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने विधेयक के खंड 3(1) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई आव्रजन अधिकारी किसी विदेशी को भारत में आने से रोक देता है, तो उसके फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई प्रावधान नहीं है। यह न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह प्रावधान सरकार को पूरी छूट देता है कि वह किसी भी विदेशी, यहां तक कि भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) को भी देश में प्रवेश से रोक सकती है। इसका दुरुपयोग उन लोगों के खिलाफ हो सकता है, जिनके राजनीतिक या वैचारिक विचार सरकार से अलग हैं। मनीष तिवारी का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, जो सभी लोगों को समानता का अधिकार देता है, चाहे वे भारतीय हों या विदेशी।

TMC ने क्या कहा?

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने भी इस विधेयक का विरोध किया। उन्होंने खासतौर पर उस प्रावधान पर आपत्ति जताई, जो विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों को यह अनिवार्य करता है कि वे अपने यहां आने वाले विदेशी नागरिकों की जानकारी सरकार को दें। उनका मानना है कि इससे शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में आने वाली प्रतिभाओं और विशेषज्ञों की संख्या कम हो सकती है, जिससे देश को नुकसान होगा।

सौगत राय ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें अवैध प्रवेश, निर्धारित समय से अधिक समय तक रुकने और दस्तावेजों के साथ धोखाधड़ी करने पर कठोर जुर्माना लगाया गया है, जो कि सरकार द्वारा कुछ कानूनों को अपराधमुक्त करने के व्यापक प्रयास के विपरीत है.

 

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