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"मैं साध्वी नहीं हूं, बस धर्म अपनाया है": कुंभ में वायरल हुई हर्षा रिछारिया

हर्षा रिछारिया की वायरल हो रही तस्वीरों ने कुंभ मेला में हलचल मचाई। जानें कि हर्षा खुद को साध्वी क्यों नहीं मानती और साध्वी बनने के लिए क्या प्रक्रियाएं अपनानी होती हैं।
02:53 PM Jan 15, 2025 IST | Girijansh Gopalan
कुंभ में सबसे ज्यादा वायरल हुई हर्षा रिछारिया।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला इस बार बहुत चर्चा में है, लेकिन इस बार चर्चा का एक नया कारण सामने आया है। यहां एक महिला की वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। ये महिला कोई और नहीं, बल्कि हर्षा रिछारिया हैं। हर्षा रिछारिया, जिनके बारे में कुछ लोग यह मान रहे थे कि वो साध्वी बन चुकी हैं, ने खुद अपने बारे में एक अहम बयान दिया है। हर्षा ने कहा है कि वह साध्वी नहीं हैं और उन्होंने अपने फैसले से संबंधित सभी भ्रांतियों को साफ किया है।

हर्षा रिछारिया ने ट्रोलर्स को दिया जवाब

हर्षा रिछारिया के वायरल होते वीडियो और तस्वीरों ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि वह साध्वी बन चुकी हैं। लेकिन हर्षा ने खुद इन सभी अफवाहों का जवाब दिया है। हर्षा ने साफ किया कि वह साध्वी नहीं हैं। दरअसल, उन्होंने कहा, "मैंने कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं करवाए हैं, जो साध्वी बनने के लिए जरूरी होते हैं। मैं बस गुरु दीक्षा और मंत्र दीक्षा ले चुकी हूं, जिसका पालन कर रही हूं।"

हर्षा ने यह भी कहा कि वह सनातन धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को पूरी तरह से निभा रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह साध्वी बन चुकी हैं। उनका कहना है कि साध्वी बनने के लिए एक महिला को बहुत सारी कड़ी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, और उन्होंने अभी तक वह सारी प्रक्रियाएं नहीं की हैं।

हर्षा रिछारिया की आध्यात्मिक यात्रा

हर्षा रिछारिया उत्तराखंड की रहने वाली हैं और पहले मॉडलिंग और ग्लैमर की दुनिया का हिस्सा रही थीं। वह देश-विदेश में एक प्रसिद्ध मॉडल और एक्ट्रेस भी रह चुकी हैं। लेकिन धीरे-धीरे ग्लैमर की दुनिया की बनावटी और आडंबर से उनका मन भर गया। हर्षा का कहना है, "मैंने महसूस किया कि असली शांति और खुशी सिर्फ सनातन धर्म में ही है।"

इसी विचार के साथ उन्होंने ग्लैमर की दुनिया को छोड़ दिया और आध्यात्म की ओर रुख किया। हर्षा ने स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली, और उनके बाद उनका जीवन एक नया मोड़ ले चुका है। अब वह पूरी तरह से धर्म, साधना और ध्यान की ओर अग्रसर हैं।

साध्वी बनने के लिए क्या करना पड़ता है?

कई लोग हर्षा को साध्वी मानने लगे थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी महिला को साध्वी बनने के लिए कौन सी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है? आइए जानते हैं, साध्वी बनने की पूरी प्रक्रिया के बारे में।

1. गुरु की तलाश

साध्वी बनने के लिए सबसे पहली बात यह है कि एक महिला को अपने लिए एक गुरु की तलाश करनी पड़ती है। गुरु वह व्यक्ति होता है, जो दीक्षा देता है और धर्म की सही दिशा दिखाता है। गुरु की सेवा करने से ही साध्वी बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।

2. वैराग्य (संसारिक मोह का त्याग)

साध्वी बनने के लिए महिला को संसारिक जीवन से मोह छोड़ना पड़ता है। उसे सभी भौतिक सुखों और इच्छाओं से दूर रहना होता है। इस दौरान महिला को शास्त्रों का अध्ययन करना पड़ता है और धार्मिक किताबें पढ़नी होती हैं।

3. गुरु सेवा

गुरु मिल जाने के बाद महिला को गुरु की सेवा करनी पड़ती है। यह सेवा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक भी होती है। महिला को गुरु के आदेशों का पालन करना होता है और उसे गुरु के साथ समय बिताकर अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करना होता है।

4. भगवा पहनना और साधना

साध्वी बनने के बाद महिला को हमेशा भगवा पहनना होता है। साथ ही, उसे दिनचर्या में साधना, पूजा और ध्यान का पालन करना पड़ता है। साध्वी को मांसाहारी भोजन, शराब, और अन्य मांसाहारी चीजों से पूरी तरह से परहेज करना होता है। साध्वी का जीवन बहुत कड़ा और अनुशासित होता है।

5. परिवार और समाज से अलगाव

साध्वी बनने से पहले महिला को यह साबित करना पड़ता है कि उसका परिवार और समाज से अब कोई संबंध नहीं है। यह एक अहम हिस्सा होता है क्योंकि साध्वी बनने के बाद महिला को अपने पुराने संबंधों और रिश्तों से मुक्त होना पड़ता है।

हर्षा रिछारिया का आध्यात्मिक रास्ता

हर्षा रिछारिया के जीवन में बदलाव आ चुका है। वह अब आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए पूरी तरह से समर्पित हो चुकी हैं। हर्षा का मानना है कि इस दुनिया में सबसे बड़ी शांति अपने भीतर होती है, और इस शांति को पाने के लिए उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया है। हर्षा ने यह भी कहा कि उनका जीवन अब पूरी तरह से ध्यान, साधना और भक्ति के लिए समर्पित है, और वह अपनी दीक्षा का पालन कर रही हैं।

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