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भारत कैसे ले सकता है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस? जानें सभी संभावित रास्ते

भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित कश्मीर क्षेत्र, जिसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) कहा जाता है, पर चर्चा अक्सर गर्म रहती है। यह मुद्दा वर्षों से भारतीयों के दिमाग में है, और हाल के बयानों ने इस पर फिर...
12:40 PM Sep 10, 2024 IST | Vibhav Shukla
भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित कश्मीर क्षेत्र, जिसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) कहा जाता है, पर चर्चा अक्सर गर्म रहती है। यह मुद्दा वर्षों से भारतीयों के दिमाग में है, और हाल के बयानों ने इस पर फिर से ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान ने इस मुद्दे को और जोरदार बना दिया है।

राजनाथ सिंह ने पीओके के निवासियों को भारत आने का दिया निमंत्रण

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के निवासियों को भारत आने और भारतीय नागरिक बनने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि भारत आपको अपना मानता है, जबकि पाकिस्तान आपको विदेशी मानता है। यह बयान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान दिया, जहां वह बीजेपी के उम्मीदवार का समर्थन कर रहे थे।

 

राजनाथ सिंह का बयान चुनावी भाषण का हिस्सा लग सकता है, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने पीओके के मुद्दे पर ऐसी बात की है। राजनाथ सिंह ने न सिर्फ पीओके के लोगों को भारत आने का ऑफर दिया, बल्कि पाकिस्तान की गतिविधियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के एक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने हाल में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें पीओके को विदेशी भूमि बताया गया था।

राजनाथ सिंह ने कहा, "हम जम्मू और कश्मीर में इतना विकास करेंगे कि पीओके के लोग देखेंगे कि वहां रहना हमारे लिए फायदेमंद नहीं है और वे भारत आने की इच्छा जताएंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान आपको विदेशी मानता है, लेकिन भारत में हम आपको अपना मानते हैं।

क्या कहता है पाकिस्तान का संविधान?

पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 1 में बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध प्रांतों का उल्लेख है। हालांकि, पीओके, जिसे पाकिस्तान 'आज़ाद कश्मीर' कहता है, का संविधान में कोई विशेष उल्लेख नहीं है। संविधान के आर्टिकल 257 में कहा गया है कि पीओके पाकिस्तान का हिस्सा तब बनेगा जब वहां के लोग इसे चाहेंगे। इसके अलावा, पाकिस्तान की सरकार ने हाल ही में इस्लामाबाद हाई कोर्ट में यह स्वीकार किया है कि पीओके 'विदेशी जमीन' है।

 

भारत को पीओके कैसे मिलेगा?

अंतरराष्ट्रीय दबाव- भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की मानवाधिकार उल्लंघनों और पीओके के कब्जे का मुद्दा उठाता रहा है। इस तरह के मंचों के माध्यम से भारत पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है, लेकिन इसे और अधिक सक्रियता के साथ करना होगा।

द्विपक्षीय वार्ता- कई देशों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी वार्ता के बिना समाधान मुश्किल है। हालांकि, भारत का मानना है कि पाकिस्तान पहले आतंकवाद को समाप्त करे, फिर बातचीत संभव होगी। नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान ने संबंध सुधारने में रुचि नहीं दिखाई।

ताकतवर देशों से मजबूत संबंध- भारत को अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने चाहिए। ये देश भारत की स्थिति को समझते हैं और पाकिस्तान पर दबाव डालने में मदद कर सकते हैं।

कानूनी और संवैधानिक उपाय- भारत हमेशा कहता आया है कि पीओके भारत का हिस्सा है, जैसा कि 1947 में महाराजा हरि सिंह ने हस्ताक्षर किया था। भारत को इस कानूनी स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत करना चाहिए। आर्टिकल 370 की तरह, पीओके का मुद्दा भी गंभीर इच्छाशक्ति से हल हो सकता है।

सैन्य ऑपरेशन- सैन्य ऑपरेशन एक अंतिम उपाय हो सकता है। हालांकि, युद्ध से दोनों देशों को नुकसान होता है और यह अर्थव्यवस्था को कमजोर कर देता है।

बड़ा जन आंदोलन- सबसे बेहतर तरीका हो सकता है पीओके के लोगों के साथ एक जन आंदोलन शुरू करना। यदि पीओके के लोग भारत के साथ जुड़ने में फायदेमंद महसूस करें, तो यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

अमित शाह का बयान

बताताे चलें अमित शाह ने चुनावी रैलियों में बार-बार कहा है कि पीओके भारत का हिस्सा है और इसे वापस लाना उनकी प्राथमिकता है। मार्च में उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि पीओके भारत का हिस्सा है और वहां रह रहे लोग भारतीय हैं। मई में भी शाह ने कहा था कि पीओके को भारत में मिलाना हर भारतीय की इच्छा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कश्मीर को नजरअंदाज किया, जबकि उनकी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर और आतंकवाद पर काबू पाया है।

भारत की इस मुद्दे पर अपनी योजना और रणनीति के बारे में देखना बाकी है, लेकिन विभिन्न तरीकों से दबाव और बातचीत के साथ समाधान की संभावनाएं खुलती हैं।

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