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गुरमीत राम रहीम फिर आया जेल से बाहर, सरकार फ़िर हुई मेहरबान या है सियासी खेल?

रेप और मर्डर केस में दोषी राम रहीम को फिर 21 दिन की पैरोल, क्या ये कानून की मेहरबानी है या चुनावी वोटों का खेल?
11:12 AM Apr 09, 2025 IST | Rohit Agrawal

डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर सुर्खियों में है। हरियाणा सरकार ने उसे 21 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर निकाल दिया है। रोहतक की सुनारिया जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच उसे सिरसा के डेरा मुख्यालय भेजा गया। जैसे ही यह खबर फैली, पुलिस हर कोने पर मुस्तैद हो गई। अनुयायियों में जश्न का माहौल है, और उसे लेने के लिए उसकी "दत्तक बेटी" हनीप्रीत खुद जेल पहुंची। इस बार राम रहीम सिरसा में ही रहेगा, लेकिन सवाल वही पुराना है—यह मेहरबानी क्यों और कब तक? बलात्कार और हत्या जैसे संगीन जुर्मों में सजा काट रहा यह "बाबा" बार-बार जेल से बाहर कैसे आ जाता है? चलिए, इस कहानी को सरल अंदाज में समझते हैं।

21 दिन की पैरोल पर बाहर आया है राम रहीम

8 अप्रैल 2025 की रात को जब आप सोने की तैयारी कर रहे थे, राम रहीम सुनारिया जेल से निकलकर सिरसा की ओर बढ़ चला। 21 दिन की फरलो यानी अस्थायी रिहाई मिलते ही उसके लिए लाल कालीन बिछ गया। हनीप्रीत, जो उसकी सबसे करीबी सहयोगी मानी जाती है, उसे लेने पहुंची। सिरसा डेरा, जो उसका आलीशान ठिकाना है,

अब अगले तीन हफ्तों तक उसका "महल" होगा। पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया, ताकि 2017 वाली हिंसा की पुनरावृत्ति न हो। लेकिन यह पहली बार नहीं है—राम रहीम का जेल से बाहर आना अब एक रिवाज-सा बन गया है।

बार-बार रिहाई का चुनावी कनेक्शन या संयोग?

राम रहीम को 2017 में दो शिष्याओं से बलात्कार के लिए 20 साल की सजा हुई थी। फिर 2019 में एक पत्रकार की हत्या के लिए उम्रकैद मिली। लेकिन जेल की सलाखों के पीछे उसकी "कैद" कुछ ज्यादा ही ढीली दिखती है। पिछले चार साल में यह 13वीं बार है, जब वह बाहर आया। दिल्ली चुनाव से पहले जनवरी 2025 में 30 दिन की पैरोल, हरियाणा चुनाव से पहले अक्टूबर 2024 में 20 दिन—हर बार टाइमिंग ऐसी कि सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो जाती है। डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में फैले हैं, और उनकी वोटिंग पावर को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। तो क्या यह सरकार की मेहरबानी है या वोटों का सौदा? जवाब हवा में तैर रहा है।

राम रहीम को बार–बार पैरोल क्यों?

राम रहीम की लगातार रिहाई से नाराज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी दलील थी कि हरियाणा सरकार गुड कंडक्ट प्रिजनर्स एक्ट का दुरुपयोग कर रही है। SGPC का कहना था कि जब सिख कैदियों को सजा पूरी होने के बाद भी रिहाई नहीं मिलती, तो राम रहीम को बार-बार छूट क्यों? मगर जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट का तर्क था कि यह मामला जनहित से ज्यादा एक शख्स के खिलाफ नजर आता है। SGPC पहले हाईकोर्ट भी जा चुकी है, लेकिन वहाँ भी उसे मायूसी हाथ लगी। कानून अपना खेल खेल रहा है, और राम रहीम इसका फायदा उठा रहा है।

सुनारिया जेल से सिरसा तक बाबा का रखा जाता है ख़ास ख्याल

रोहतक की सुनारिया जेल में राम रहीम को हाई सिक्योरिटी में रखा जाता है। लेकिन जेल से बाहर निकलते ही उसकी जिंदगी बदल जाती है। सिरसा का डेरा उसका "साम्राज्य" है—वहाँ वह "गुरुजी" बनकर अनुयायियों के बीच रहता है। इस बार वह 21 दिन सिरसा में बिताएगा, जो 2017 की सजा के बाद पहली बार इतना लंबा वक्त होगा। पहले वह ज्यादातर बागपत (यूपी) के आश्रम में जाता था। अनुयायी उसे भगवान मानते हैं, मगर उसे सियासी प्यादे से ज्यादा कुछ नहीं समझते। 2017 में जब उसे दोषी ठहराया गया, तो पंचकूला और सिरसा में हिंसा भड़क उठी थी। जिसमें 41 लोग मरे, 260 घायल हुए थे। लेकिन अब हालात शांत हैं, और राम रहीम का बाहर आना रूटीन बन गया है।

क्या है असली माजरा?

तो सवाल यह है कि राम रहीम को यह "VIP ट्रीटमेंट" क्यों मिल रहा है? क्या यह सिर्फ अच्छे आचरण का इनाम है, या इसके पीछे कोई बड़ा सियासी दांव छिपा है? हरियाणा सरकार चुप है, कोर्ट फैसला नहीं ले रहा, और राम रहीम हर कुछ महीनों में जेल से बाहर आकर अपने डेरे में "सत्संग" करता है। 21 दिन की यह फरलो 29 अप्रैल 2025 तक चलेगी, और तब तक वह सिरसा में अपने "साम्राज्य" का राजा बना रहेगा। लेकिन एक बात साफ है कि यह कहानी यहाँ खत्म नहीं होगी। अगली बार फिर कोई चुनाव आएगा, और शायद फिर राम रहीम जेल से बाहर दिखेगा।

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