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ममता बनर्जी को बंगाल के राज्यपाल ने भेजा 11 करोड़ का नोटिस, तीन और नेता भी लपेटे में

बंगाल के राज्यपाल ने ममता बनर्जी को 8 महीने पुराने आरोपों पर माफी मांगने का नोटिस भेजा है।
01:46 PM Feb 12, 2025 IST | Vibhav Shukla

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है। राज्यपाल ने ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता कुणाल घोष और दो विधायकों को मानहानि का नोटिस भेजा है। इस नोटिस में कहा गया है कि इन नेताओं ने राज्यपाल का अपमान किया है, और अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी तो उन्हें 11-11 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा।

क्या है  मामला?

मई 2024 में बंगाल में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इन उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस के सयंतिका बनर्जी और रैयत हुसैन सरकार ने जीत हासिल की थी। लेकिन शपथ ग्रहण को लेकर झमेला खड़ा हो गया था। राज्यपाल ने इन दोनों विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से शपथ दिलवाने का आदेश दिया था, लेकिन तृणमूल विधायकों ने राजभवन में जाकर शपथ लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि राजभवन सुरक्षित नहीं है।

राज्यपाल ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि शपथ डिप्टी स्पीकर से ली जाए। इसके बाद ममता बनर्जी ने भी राजभवन को लेकर कुछ गंभीर टिप्पणियां कीं। ममता ने कहा था कि राजभवन में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता से ऐसी टिप्पणियां न करने के लिए भी कहा था।लेकिन इसी दौरान तृणमूल के इन दोनों विधायकों ने राज्यपाल पर गंभीर आरोप लगाए थे, और अब राज्यपाल ने इस पर मानहानि का नोटिस भेज दिया है।

राज्यपाल ने क्यों भेजा 11-11 करोड़ का नोटिस?

अब राज्यपाल ने तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं को 11-11 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि जिन नेताओं के खिलाफ यह नोटिस भेजा गया है, उनकी कुल संपत्ति इतनी अधिक नहीं है।

सयंतिका बनर्जी की कुल संपत्ति लगभग 45 लाख रुपये है, जबकि रैयत हुसैन की कुल संपत्ति 3 करोड़ रुपये है। वहीं ममता बनर्जी की कुल संपत्ति महज 16 लाख रुपये है। इन आंकड़ों को देखकर यह कहना मुश्किल हो रहा है कि यह मानहानि का जुर्माना किस तरह लागू होगा, क्योंकि इन नेताओं की संपत्ति इससे काफी कम है। राज्यपाल का मानना है कि इन नेताओं ने उनके सम्मान को नुकसान पहुंचाया है, और अब उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी।

राज्यपाल और ममता के के बीच विवाद कोई नई बात नहीं

राज्यपाल सीवी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार दोनों के बीच खींचतान हो चुकी है, लेकिन अब इस मामले में तूल पकड़ा है। राज्यपाल का यह कदम सीधे तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बना रहा है। राज्यपाल के मानहानि नोटिस ने सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने इसे राज्यपाल का गलत कदम बताते हुए विरोध किया है। वहीं भाजपा और अन्य विपक्षी दल राज्यपाल का समर्थन कर रहे हैं।

राज्यपाल द्वारा भेजा गया यह मानहानि नोटिस तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी और तृणमूल के अन्य नेता इस नोटिस का क्या जवाब देते हैं। क्या वे राज्यपाल के साथ इस विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे, या फिर राजनीतिक मोर्चे पर इसे और बढ़ाएंगे?

अगर यह मामला अदालत तक पहुंचता है, तो बंगाल की राजनीति में इसका बड़ा असर हो सकता है। इस विवाद का परिणाम बंगाल के राजनीतिक भविष्य पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच यह विवाद राज्य की राजनीति के लिए बहुत अहम हो सकता है।

कानूनी तौर पर क्या हो सकता है?

कानूनी रूप से मानहानि का नोटिस एक गंभीर मामला है। हालांकि, ऐसे मामलों में अक्सर दोनों पक्षों के बीच समझौता होता है। अगर तृणमूल नेताओं ने माफी नहीं मांगी, तो राज्यपाल उन्हें अदालत में भी घसीट सकते हैं। लेकिन फिलहाल इस विवाद का अंत होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

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