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ट्रेन में सालभर मुफ्त सफर! इस शख्स ने रेलवे को लगा दिया लाखों का चूना, लेकिन कुछ नहीं कर पाया सिस्टम

ड वाइज ने ट्रेन से सालभर मुफ्त यात्रा करके 1.06 लाख रुपये बचाए। जानिए कैसे उन्होंने रेलवे के नियमों का फायदा उठाया।
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रेल से सफर करना सबसे किफायती और आरामदायक माना जाता है। हर रोज़ लाखों लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं, लेकिन इनमें से कुछ लोग बिना टिकट भी सफर करने का जुगाड़ निकाल लेते हैं। हालांकि, जो मामला अब सामने आया है, वो और भी ज़्यादा शातिराना है। यहां एक शख्स ने रेलवे के सिस्टम में ऐसा loophole (कमजोरी) ढूंढ निकाला कि पूरे साल बिना चवन्नी खर्च किए ट्रेन में सफर करता रहा और रेलवे चाहकर भी उसे रोक नहीं सका।

कैसे बिना पैसे दिए करता रहा सफर?

ये किस्सा ब्रिटेन के एड वाइज नाम के एक शख्स का है, जो पेशे से एक पर्सनल फाइनेंस राइटर हैं। उन्होंने रेलवे की टिकट बुकिंग और ट्रेन लेट होने के पैटर्न को बारीकी से समझा और उसका पूरा फायदा उठाया। उनकी इस तरकीब की वजह से वो पूरे सालभर मुफ्त में सफर करते रहे और तकरीबन 1.06 लाख रुपये बचा लिए।

रेलवे को चूना लगाने का मास्टरप्लान

दरअसल, ब्रिटेन में एक नियम है जिसके तहत अगर कोई ट्रेन 15 मिनट की देरी से चलती है तो यात्रियों को 25% किराया वापस मिलता है। अगर ट्रेन 30 मिनट देर हो जाए तो 50% किराया रिफंड हो जाता है और 1 घंटे की देरी पर यात्रियों को पूरा पैसा वापस मिल जाता है। एड वाइज ने इसी सिस्टम को समझकर अपनी टिकटें प्लान करनी शुरू कर दीं। उन्होंने उन ट्रेनों की टिकट बुक कीं, जिनके लेट होने की संभावना ज़्यादा थी। फिर जब ट्रेन लेट होती थी, तो उन्हें पूरा पैसा वापस मिल जाता था। यानी हर सफर फ्री!

सालभर मुफ्त में सफर कैसे किया?

एड वाइज का कहना है कि वो हर सफर को ध्यान से प्लान करते थे और उन्हीं ट्रेनों की बुकिंग करते थे जिनके देरी से चलने की ज्यादा संभावना होती थी। वो हर बार यात्रा पूरी करने के बाद रिफंड का क्लेम कर देते थे और सिस्टम की इस कमी का पूरा फायदा उठाते रहे।

क्या रेलवे कुछ कर सकता था?

अब आप सोच रहे होंगे कि जब रेलवे को इस बारे में पता था, तो उन्होंने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? असल में, एड ने कानूनी रूप से कोई नियम नहीं तोड़ा। उन्होंने बस सिस्टम को ध्यान से समझा और उसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। ब्रिटेन का रेलवे इस सिस्टम को बदलने के बारे में सोच रहा है, लेकिन जब तक बदलाव नहीं होता, तब तक एड जैसे स्मार्ट लोग इसका फायदा उठाते रहेंगे।

लोगों के लिए प्रेरणा या धोखाधड़ी?

एड वाइज की ये चालाकी कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बन गई है। कई लोग उन्हें जीनियस मानते हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह नैतिक रूप से गलत है। लेकिन एड का कहना है कि "अगर कोई सिस्टम आपको कुछ ऑफर करता है और आप उसे समझकर फायदा उठा लेते हैं, तो इसमें गलत क्या है?"

क्या भारत में भी हो सकता है ऐसा?

अगर भारत की बात करें, तो यहां रेलवे में भी ट्रेन लेट होने पर रिफंड की व्यवस्था है, लेकिन इतनी आसान नहीं। यहां IRCTC के नियमों के मुताबिक, अगर आपकी ट्रेन 3 घंटे से ज्यादा लेट होती है और आपने सफर नहीं किया, तो ही आपको पैसा वापस मिलेगा। लेकिन इसमें कई बार यात्रियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

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