Voter Id Link With Aadhaar: 10 साल की कोशिश, राहुल गांधी की मांग और राजनीतिक बहस के बीच क्या होगा आगे?
Voter Id Link With Aadhaar: भारत में फर्जी मतदान को रोकने के लिए पिछले 10 साल से चल रही आधार और वोटर आईडी को जोड़ने की कोशिश अब फिर से सुर्खियों में है। 18 मार्च 2025 को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के बीच हुई अहम बैठक के बाद यह तय हुआ कि सभी कानूनी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए वोटर कार्ड को आधार से लिंक किया जाएगा। इस फैसले ने जहां पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया की उम्मीद जगाई है, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर गोपनीयता और गरीबों की परेशानी जैसे सवाल उठाए हैं। दूसरी ओर, BJP के अमित मालवीय ने इसे डुप्लीकेट वोटिंग खत्म करने का बड़ा कदम बताया। आइए जानते हैं कि यह योजना क्या है, इसमें क्या चुनौतियां हैं और राजनीतिक दलों की क्या राय है।
10 साल से चल रहा आधार-वोटर Id लिंकिंग का मामला
चुनाव आयोग ने पहली बार 2015 में राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम (NERPAP) के तहत वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की शुरुआत की थी। उस वक्त 30 करोड़ से ज्यादा वोटरों के डेटा को लिंक किया गया था, लेकिन प्राइवेसी के मुद्दे पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 2018 में कोर्ट ने आधार को अनिवार्य बनाने पर रोक लगा दी और इसे केवल सब्सिडी योजनाओं तक सीमित रखने का फैसला सुनाया। इसके बाद 2021 में केंद्र सरकार ने जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर इसे स्वैच्छिक आधार पर लागू करने की मंजूरी दी। हालांकि, अभी तक यह प्रक्रिया पूरी तरह लागू नहीं हो सकी है। अब 2025 में चुनाव आयोग ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला लिया है, जिसके लिए 30 अप्रैल तक राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे गए हैं।
फर्जी वोटिंग पर लगेगी लगाम?
चुनाव आयोग का कहना है कि आधार से वोटर ID जोड़ने से डुप्लीकेट वोटर कार्ड खत्म होंगे और एक व्यक्ति सिर्फ एक जगह वोट डाल सकेगा। मंगलवार को हुई बैठक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, गृह सचिव, UIDAI के सीईओ और अन्य अधिकारियों ने इसकी रूपरेखा तैयार की। संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत वोटिंग का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को है, और आधार इसे सुनिश्चित करने में मदद करेगा। राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने बार-बार फर्जी मतदान और डुप्लीकेट वोटर आईडी का मुद्दा उठाया है। राहुल ने तो यह तक कहा था कि एक EPIC नंबर पर दो वोटर रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में यह कदम चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
Election Commission will take action as per Article 326, RP act, 1950 and relevant Supreme Court judgements, for linking EPIC with Aadhaar.
Technical consultations between UIDAI and experts of ECI are to begin soon.
Read in detail : https://t.co/bICjzXCQ4A pic.twitter.com/LovlUtLdwo
— Election Commission of India (@ECISVEEP) March 18, 2025
वोटर Id– आधार कार्ड लिंक पर राहुल गांधी के सवाल?
राहुल गांधी ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “आधार से डुप्लीकेट वोटर आईडी की समस्या हल हो सकती है, लेकिन गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को लिंकिंग में दिक्कत होगी। चुनाव आयोग को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी भारतीय वोटिंग अधिकार से वंचित न हो और गोपनीयता की चिंताओं का समाधान हो।” उन्होंने लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की पूरी वोटर लिस्ट सार्वजनिक करने की मांग भी की, ताकि नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया पर पारदर्शिता बनी रहे। राहुल का कहना है कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन लंबे समय से मतदाता सूची में गड़बड़ियों की बात उठाते रहे हैं।
Today the Election Commission of India has announced it will link Aadhaar with voter IDs.
The Congress and INDIA parties have been repeatedly raising issues of voter lists, including abnormally high additions, unexpected deletions and duplicate voter ID numbers.
While Aadhar… https://t.co/WR83vnC5IT
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 18, 2025
“गरीबों को कमजोर न समझें” : BJP का तर्क
BJP आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल के बयान पर तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी गरीबों को बचकाना न समझें। कांग्रेस ने UPI और डिजिटल पेमेंट का विरोध किया था, लेकिन आज 2023-24 में 18,737 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आधार लिंकिंग से TMC जैसे दलों को नुकसान होगा, जो कथित तौर पर अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटरों पर निर्भर हैं। मालवीय ने इसे फर्जी वोटिंग खत्म करने का सशक्त हथियार बताया।
क्या आसान होगा आधार-वोटर आईडी लिंकिंग?
हालांकि मंशा साफ है, लेकिन आधार-वोटर आईडी लिंकिंग आसान नहीं है। कानूनी अड़चनें, जैसे सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला और प्राइवेसी का सवाल, अभी भी बरकरार हैं। 66.23 करोड़ आधार नंबर चुनाव आयोग के पास हैं, लेकिन इन्हें लिंक करने की प्रक्रिया अधर में है। डेटा सिक्योरिटी भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि आधार और वोटर आईडी का डेटाबेस मिलने से लीक का खतरा बढ़ेगा। इसके अलावा, स्वैच्छिक होने के कारण सभी वोटरों को इसमें शामिल करना मुश्किल होगा। चुनाव आयोग 31 मार्च से अधिकारियों के साथ बैठक करेगा और चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करने की योजना बना रहा है। क्या यह कोशिश इस बार सफल होगी, यह आने वाला वक्त बताएगा।
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