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संसद में आज पेश होगा ‘Economic Survey’, क्यों होता है यह इतना महत्वपूर्ण; जानें पूरी डिटेल

Budget 2025: निर्मला सीतारमण आज इकनॉमिक सर्वे पेश करेंगी। इस सर्वे में पिछले साल के दौरान देश की आर्थिक स्थिति और विकास का आकलन किया जाएगा।
12:29 PM Jan 31, 2025 IST | Vyom Tiwari

Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी। इससे पहले, आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज होता है, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान देश की आर्थिक स्थिति और विकास की समीक्षा की जाती है। इसे उद्योग, कृषि, औद्योगिक उत्पादन, रोजगार, महंगाई और निर्यात जैसे क्षेत्रों के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाता है। इसे आर्थिक मामलों के विभाग का आर्थिक प्रभाग, मुख्य आर्थिक सलाहकार के निर्देशन में तैयार करता है।

संसद के दोनों सदनों में होता है पेश

बजट पेश होने से ठीक पहले, वित्त मंत्री संसद में देश की आर्थिक स्थिति का एक विस्तृत विवरण पेश करते हैं। इसे "इकनॉमिक सर्वे" कहा जाता है। इस सर्वे में पिछले 12 महीनों के दौरान देश की आर्थिक प्रगति, विकास के रुझान, और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। यह सर्वे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इकनॉमिक सर्वे से हमें पिछले साल की आर्थिक प्रगति का पता चलता है और साथ ही अगले वित्तीय वर्ष में आर्थिक विकास की दिशा क्या हो सकती है, इसका अनुमान भी लगाया जा सकता है।

इकनॉमिक सर्वे को समझें 

आर्थिक सर्वे एक वित्तीय रिपोर्ट होती है, जिसमें पिछले साल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें देश के उद्योग, कृषि, उत्पादन, रोजगार, महंगाई और निर्यात जैसी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही, मनी सप्लाई और विदेशी मुद्रा भंडार जैसे अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की जाती है। इस सर्वे को आर्थिक मामलों के विभाग का इकनॉमिक्स डिवीजन तैयार करता है, और यह मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में होता है। इस सर्वे से न केवल पिछले साल की आर्थिक स्थिति का पता चलता है, बल्कि अगले साल के आर्थिक दिशा-निर्देशों की भी जानकारी मिलती है। इस बार इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में तैयार किया गया है।

1950-51 में हुआ था पहली बार पेश 

भारत का पहला इकनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था। इसके बाद, इसे 1964 तक केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया जाता था, लेकिन फिर 1964 से इसे बजट से अलग कर दिया गया। यह सर्वे देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करता है और इसके जरिए देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ आर्थिक समस्याओं और चुनौतियों पर भी जानकारी दी जाती है। इस सर्वे की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह नीति-निर्माताओं को सही दिशा में निर्णय लेने में मदद करता है और बजट बनाने में उनका मार्गदर्शन करता है।

 

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