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दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो केस में सुनाया बड़ा फैसला, शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में बड़ी सुनवाई की है। दिल्ली कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा है कि शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं होता है।
08:07 PM Dec 29, 2024 IST | Girijansh Gopalan
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा है कि शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में एक बड़ी सुनवाई की है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि है कि शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं बोता है। जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए पुराने सजा वाले आदेश को रद्द कर दिया है। दरअसल निचली कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

क्या है मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति ने पॉक्सो केस में एक सुनवाई की है। इस दौरान प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की पीठ ने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया है। दरअसल कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि नाबालिग पीड़िता की ओर से ‘शारीरिक संबंध’ शब्द का इस्तेमाल करने का अर्थ यौन उत्पीड़न नहीं करार दिया जा सकता है। हालांकि इससे पहले निचली कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जब पीड़िता खुद से आरोपी के साथ गई थी, तो उसका यौन उत्पीड़न कैसे हुआ था। अदालत ने इस दौरान साफ कहा कि शारीरिक संबंध या ‘संबंध’ से यौन उत्पीड़न और फिर यौन उत्पीड़न तक की बात को साक्ष्य द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इसे अनुमान के रूप में नहीं निकाला जा सकता है।

शारीरिक संबंध यौन उत्पीड़न नहीं

बता दें कि कोर्ट ने बीते 23 दिसंबर को पारित अपने फैसले में कहा था शारीरिक संबंध का मतलब यौन उत्पीड़न नहीं होता है। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ यह तथ्य कि पीड़िता की उम्र 18 साल से कम है, इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता कि यौन उत्पीड़न हुआ था। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने सुनवाई के दौरान ‘शारीरिक संबंध’ शब्द कहा था, लेकिन यह साफ नहीं था कि उसने इस शब्द का इस्तेमाल किस अर्थ में किया था।

शारीरिक संबंध और यौन उत्पीड़न अलग 

दिल्ली हाईकोर्ट पीठ ने फैसले में कहा कि ‘संबंध बनाया’ शब्द का इस्तेमाल भी POCSO अधिनियम की धारा 3 या IPC की धारा 376 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि POCSO अधिनियम के तहत अगर लड़की नाबालिग है, तो सहमति मायने नहीं रखती है। लेकिन ‘शारीरिक संबंध’ शब्द को यौन उत्पीड़न तो दूर, यौन संभोग में भी नहीं बदला जा सकता है।

नाबालिग की मां ने की थी शिकायत

बता दें कि मार्च 2017 में नाबालिग लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत करके यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी 14 वर्षीय बेटी को एक अज्ञात शख्स ने पहले बहला-फुसलाया और उसे घर से अगवा कर लिया था। जिसके बाद नाबालिग आरोपी के साथ फरीदाबाद मिली थी। वहीं दिसंबर 2023 में आईपीसी के तहत पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए आरोपी को निचली अदालत ने दोषी करार दिया था। इसके बाद कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में फरियाद की थी।

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