क्लास में गोबर लीपना पड़ा महंगा, DUSU प्रेसिडेंट ने प्रिंसिपल के ऑफिस को ही गोबर से पोत डाला
Delhi University cow dung controversy: दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में एक असामान्य विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जहां कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. प्रत्यूष वत्सला द्वारा कक्षाओं में गोबर के लेप के प्रयोग के बाद अब DUSU (दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन) के अध्यक्ष रौनक खत्री ने प्रिंसिपल के कार्यालय में ही गोबर का लेप लगा दिया है। यह घटना मंगलवार को तब हुई जब प्रिंसिपल कार्यालय में मौजूद नहीं थीं और वाइस-प्रिंसिपल के सामने छात्र नेताओं ने यह विरोध प्रदर्शन किया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल पूरा मामला तब शुरू हुआ जब 14 अप्रैल को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें डॉ. वत्सला को कॉलेज की कक्षाओं की दीवारों पर गोबर का लेप करते हुए दिखाया गया था। प्रिंसिपल ने इसके बाद स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि यह एक शोध परियोजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पारंपरिक भारतीय तरीकों से गर्मी को कम करने के तरीकों की खोज करना है। उन्होंने बताया कि यह प्रयोग पोर्टा केबिन में किया जा रहा है और इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हो रहा है।
A DU teacher applied cow dung in classrooms.
She said it will keep rooms cool and there is no need for ACNext day DUSU President @ronak_khatrii went to her office.
He applied gobar there too and asked her if madam should also enjoy Sanghi science.
Next level stuff😭🤣 pic.twitter.com/X990ghf837
— Amock (@Politicx2029) April 15, 2025
गोबर लीपने पर भड़क उठा कॉलेज छात्र संघ
प्रिंसिपल द्वारा किए गए प्रयोग को लेकर कई छात्रों ने अपनी नाराजगी जताई। वहीं इसके जवाब में DUSU अध्यक्ष रौनक खत्री ने मंगलवार को कुछ छात्रों के साथ प्रिंसिपल के कार्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। खास बात यह रही कि वे अपने साथ गोबर भी लेकर आए थे। जब प्रिंसिपल कार्यालय में नहीं मिलीं, तो उन्होंने वाइस-प्रिंसिपल के सामने ही कार्यालय की दीवारों पर गोबर का लेप लगा दिया। उनका तर्क था कि अगर कक्षाओं में यह प्रयोग हो सकता है तो प्रिंसिपल के कार्यालय में क्यों नहीं।
गोबर लीपने वाली प्रिंसिपल का क्या कहना है?
बता दें कि कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. वत्सला ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह शोध परियोजना प्राकृतिक तरीकों से कक्षाओं को ठंडा रखने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने बताया कि गोबर और मिट्टी जैसे प्राकृतिक पदार्थों से दीवारों पर लेप करके यह देखा जा रहा है कि क्या इससे गर्मी में राहत मिल सकती है। प्रिंसिपल ने यह भी कहा था कि वे खुद एक पोर्टा केबिन पर यह प्रयोग कर चुकी हैं और इसमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं है।
गोबर विवाद पर हो रही जमकर राजनीति
इस पूरे प्रकरण ने दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में नया मोड़ ले लिया है। DUSU अध्यक्ष का यह कदम छात्रों के बीच विभाजन पैदा कर सकता है। एक तरफ जहां कुछ छात्र इस प्रयोग को परंपरा और विज्ञान का मिश्रण मान रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कई छात्र इसे अस्वच्छ और अनुपयुक्त मानते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को अब इस मामले में संतुलित रुख अपनाने की आवश्यकता है ताकि शैक्षणिक माहौल प्रभावित न हो।
क्या इस तरीके का प्रयोग सही है?
इस घटना के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या विश्वविद्यालय में इस तरह के पारंपरिक प्रयोगों को जारी रखा जाना चाहिए? क्या छात्र नेताओं द्वारा इस तरह के विरोध प्रदर्शन उचित हैं? यह मामला अब केवल एक शोध परियोजना से आगे बढ़कर विश्वविद्यालय की नीतियों और छात्र-प्रशासन संबंधों पर बहस छेड़ चुका है। आने वाले दिनों में इस मामले के और विकास की संभावना है, खासकर जब प्रिंसिपल कार्यालय लौटेंगी और इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देंगी।
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