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महाकुंभ में दलितों और पिछड़ों के खिलाफ साजिश! उदित राज ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप

महाकुंभ मेला 2025 में बीजेपी पर कांग्रेस नेता उदित राज ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में दलितों और पिछड़ों के खिलाफ साजिश हो रही है।
06:15 PM Jan 28, 2025 IST | Girijansh Gopalan
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कुंभ मेले को लेकर उदित राज ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप।

प्रयागराज में इस वक्त महाकुंभ मेला चल रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु गंगा के संगम में पवित्र स्नान करने पहुंचे हैं। हर साल की तरह इस बार भी कुंभ के दौरान धार्मिक आस्था की लहर है, लेकिन इस बार कुंभ को लेकर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस नेता और दिल्ली के सांसद उदित राज ने महाकुंभ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह महाकुंभ के जरिए दलितों और पिछड़ों के खिलाफ साजिश कर रही है।

उदित राज का बड़ा आरोप: बीजेपी करवा रही है षड्यंत्र

कांग्रेस नेता उदित राज ने एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, “महाकुंभ में कुछ लोग हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं, जबकि ये संविधान के खिलाफ है। इन लोगों के बयानों को बीजेपी बढ़ावा दे रही है। इसके जरिए दलितों और पिछड़ों को कमजोर किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि सरकार महाकुंभ का आयोजन सरकारी पैसे से कर रही है और इस दौरान कई धर्मगुरु संविधान के खिलाफ बातें कर रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है। उदित राज ने कहा, “महाकुंभ में जो संविधान तैयार किया गया है, उसमें मनुस्मृति का हिस्सा है, जो दलितों और पिछड़ों के खिलाफ है। बीजेपी इस साजिश को बढ़ावा दे रही है और इन धर्मगुरुओं को समर्थन दे रही है। यह सब दलितों और पिछड़ों को दबाने के लिए किया जा रहा है।” उनका आरोप है कि बीजेपी के नेता इस तरह की बातें सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए कर रहे हैं।

महाकुंभ: आस्था का बड़ा केंद्र या बीजेपी की सियासत?

महाकुंभ में लाखों लोग आस्था की भावना से स्नान करने आते हैं, लेकिन अब यह मेला सियासत का भी केंद्र बनता जा रहा है। उदित राज का कहना है कि महाकुंभ का आयोजन न सिर्फ धार्मिक उद्देश्य से हो रहा है, बल्कि इसका इस्तेमाल बीजेपी अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है। उदित राज ने कहा, “अगर यह धार्मिक आयोजन है तो बीजेपी क्यों इसमें अपनी राजनीति घुसेड़ रही है? क्या ये आस्था का केंद्र है या फिर दलितों-पिछड़ों के खिलाफ कोई साजिश रचने का केंद्र बन गया है?” उनका सवाल है कि बीजेपी को इस पर सफाई देनी चाहिए।

गंगा में डुबकी से गरीबी नहीं खत्म होगी

मल्लिकार्जुन खरगे, जो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, उन्होंने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी नहीं खत्म हो जाती। उन्होंने यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गंगा स्नान को लेकर की थी। खरगे का कहना था कि बीजेपी के नेता कैमरों के सामने गंगा में डुबकी लगाकर अपनी छवि सुधारने में जुटे हुए हैं, जबकि असल में देश में गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा जैसी समस्याएं जस की तस हैं। खरगे ने यह भी कहा कि वह किसी की आस्था पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन जब देश में हजारों लोग भूख से मर रहे हों, मजदूरों को उनका हक नहीं मिल रहा हो, तो ऐसे समय में गंगा स्नान करने से क्या कोई फर्क पड़ेगा? उनका कहना था कि सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

राजद ने किया खरगे का बचाव

मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने उनका बचाव किया। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "खरगे का बयान किसी की आस्था पर नहीं था, बल्कि वह बीजेपी की राजनीति पर था।" उन्होंने कहा, "बीजेपी धर्म को वोट बैंक की राजनीति में बदल रही है। यही वजह है कि खरगे ने बीजेपी के इस चालाकी भरे खेल को उजागर किया है।"

महाकुंभ में अब तक 15 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु कर चुके हैं स्नान

महाकुंभ मेला इस बार भी भारी भीड़ से गुलजार है। मौनी अमावस्या के दिन 15 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। यह दिन महाकुंभ का खास दिन होता है, जब लाखों लोग पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। हर साल की तरह इस बार भी महाकुंभ श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र बना है, लेकिन इस बार इसके साथ सियासी बयानबाजी भी जुड़ गई है।

महाकुंभ पर सियासी बयानबाजी का दौर

महाकुंभ में इस बार सियासत का रंग भी नजर आ रहा है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। बीजेपी जहां इसे केवल धार्मिक आस्था का आयोजन बता रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीति से जोड़ा है। इस तरह की बयानबाजी ने महाकुंभ के आयोजन को सवालों के घेरे में ला दिया है।

क्या महाकुंभ सिर्फ आस्था का केंद्र है?

महाकुंभ के आयोजन का उद्देश्य तो धार्मिक आस्था और संगम में स्नान करने का होता है, लेकिन इस बार इसकी सियासी रंगत ने इसे विवादों में ला दिया है। क्या महाकुंभ अब सिर्फ एक धार्मिक आयोजन रह गया है, या फिर इसके जरिए किसी की राजनीति चल रही है? यह सवाल इन दिनों हर जगह उठ रहा है।

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