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Congress CWC Meeting: कांग्रेस ने खुद को बताया 'न्याय पथ' पर चलने वाला सच्चा सिपाही, बीजेपी की अंग्रेजों से तुलना

Congress CWC Meeting: अहमदाबाद। कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी मीटिंग का अहमदाबाद से विगुल फूंक दिया है। इस अधिवेशन के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
11:37 PM Apr 08, 2025 IST | Pushpendra Trivedi

Congress CWC Meeting: अहमदाबाद। कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी मीटिंग का अहमदाबाद से विगुल फूंक दिया है। इस अधिवेशन के कई मायने निकाले जा रहे हैं। दशकों तक गुजरात की भूमि से गायब रही कांग्रेस अब नए रूप में गुजरात में पांव पसारना चाहती है। साथ ही पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ भी अभियान छेड़ दिया और बीजेपी की तुलना अंग्रेजों से की। कांग्रेस के अधिवेशन की कुछ अहम बातों के बारे में यहां जिक्र किया गया है, आइए जानते हैं।

भारत की आजादी के आंदोलन की कोख में जन्मी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरदार वल्लभ भाई पटेल के 150 वें जन्मजयंती वर्ष के उपलक्ष्य में गांधी और पटेल की भूमि गुजरात के अहमदाबाद में एक बार फिर से भारत को नई दिखा देने के लिए एकत्रित हुई है। एक बार फिर से साबरमती का तट इस वैचारिक संग्राम का साक्षी बना है। इस संग्राम के प्रेरणा पुरुष हैं सरदार पटेल और इसकी वैचारिक बुनियाद में सिध्दांत महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के हैं।

‘आध्यात्मिक संग्राम’ से देश को नई दिशा

साल 1918 में संघर्ष की धरती, गुजरात के खेड़ा में ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों से कर-वसूली के विरोध में गांधी जी की प्रेरणा से सरदार वल्लभभाई पटेल ने वर्तमान के संघर्ष में कदम रखा। फिर वल्लभभाई पटेल ने वर्ष 1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों से लगान वसूली के खिलाफ बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया। उनके ऊर्जावान और प्रभावशाली नेतृत्व से वल्लभ पटेल ‘सरदार’ कहलाए। आज की भाजपा सरकार भी अंग्रेजों की तरह किसानों की भूमि के अनुचित मुआवज़े कानून को खत्म करने का प्रयास करती है। कृषि के तीन काले कानून बनाती है। किसानों की पीठ में छुरा घोंपती है।

किसानों को आय दुगनी और MSP गारंटी का वादा कर गुमराह करती है और न्याय मांगने पर लखीमपुर-खीरी में भाजपा नेताओं की गाड़ियों से किसानों को रौंदवाती है। इसलिए एक बार फिर सरदार पटेल की पीठ पर कांग्रेस किसान के अधिकारों के लिए निर्णायक संघर्ष को तैयार है।

सरदार पटेल का नाम लेकर रखा पक्ष

अंग्रेजों ने रियासतों के साथ अमानवीय संधि से सच्चाई छिपाई। देश की अखंडता और प्राकृतिक संसाधनों का मनमाना दोहन किया और देश में सांप्रदायिक शासन चलाया। सरदार पटेल के सशक्त नेतृत्व और महात्मा गांधी की दूरदृष्टि से 560 से अधिक रियासतों का एकीकरण कर जनतांत्रिक गणराज्य की नींव रखी। आज की भाजपा सरकार फिर देश को क्षेत्रवाद, उत्तर बनाम दक्षिण और पूर्व बनाम पश्चिम विवाद और भाषायी व सांस्कृतिक टकराव के नाम पर बांटने की साजिश कर रही है। इसलिए एक बार फिर सरदार पटेल की राह पर चलकर कांग्रेस ‘विभाजन छोड़ो – भारत जोड़ो’ की लहर को बढ़ाने के लिए तैयार है।

बीजेपी को दी ललकार

अधिवेशन में आगे कहा गया कि अंग्रेजों ने भारत के मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों का दमन करने की षड्यंत्रकारी नीति अपनाई थी। कांग्रेस के डॉक्टरी प्रस्ताव में राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के खिलाफ मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों की प्रबल आवाज़ उठाई थी। यही नहीं, धर्म, जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव न करने के मौलिक अधिकारों की संरचना को इसी प्रस्ताव में आकार दिया गया।

आज की भाजपा सरकार ने मजदूरों और कर्मचारियों के अधिकारों पर लगातार हमला किया है। फिर, चाहे वह महात्मा गांधी रोजगार गारंटी को कमजोर करना हो, या फिर श्रम कानूनों और मजदूर अधिकारों पर वार हो। यहां तक कि मौलिक अधिकारों को बर्खास्त करने की साजिश की जा रही है। भेदभाव के खिलाफ एक बार फिर सरदार पटेल के रास्ते का अनुसरण करते हुए कांग्रेस रोजगार और श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

बीजेपी ने गुजरात को लूटा

ब्रिटिश सरकार ने भारत के खजाने को लूटकर देश में "गरीबी और आर्थिक असमानता" को चरम पर पहुंचा दिया था। सरदार पटेल का विचार था कि पूर्ण उत्पादन, संसाधनों का समान वितरण और उत्पादकों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार ही भविष्य की आर्थिक नीति का हिस्सा हो। वहीं, आज की भाजपा सरकार ने वर्षों से गुजरात को लूटा। देश के खजाने को कुछ चंद पूंजीपतियों की तरफ मोड़कर "आर्थिक असमानता" को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है। इसलिए एक बार फिर देश को आर्थिक समता की तरफ ले जाने वाले जन आंदोलनों की लहर के पक्ष में सरदार पटेल के सिद्धांतों पर संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के लिए कांग्रेस नए संघर्ष को तैयार है।

बीजेपी को बताया विनाशकारी

स्वतंत्रता संग्राम में जिन ताकतों ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के विरुद्ध दुष्प्रचार किया और स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया, वही सांप्रदायिक विचारधारा ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। नाथूराम गोडसे उसी विकृत विचारधारा से प्रेरित था। दूसरी ओर, देश के उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री, सरदार पटेल सांप्रदायिक और विभाजनकारी विचारधारा को राष्ट्रहित का दुश्मन मानते थे। वही सरदार पटेल थे, जिन्होंने गांधी जी की हत्या के बाद, 4 फरवरी, 1948 को RSS पर प्रतिबंध लगाया था।

उसी समय, ऐसी ही सांप्रदायिक विचारधारा ने सरदार पटेल और महात्मा गांधी पर भी हमला करते हुए, दोनों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर चढ़ाने की बात कही थी, जिसका जिक्र सरदार पटेल ने 8 फरवरी, 1948 को अपने पत्र में ‘प्रिय जवाहरलाल जी’ से किया था। आज फिर सांप्रदायिकता और विभाजनवाद की यह विचारधारा धर्म का मुखौटा पहनकर देश को विनाश के गर्त में ढकेलने की साजिश कर रही है। इसलिए एक बार फिर विभाजनवाद का विरोध करने वाले नायक सरदार पटेल की सच्ची विरासत पर कांग्रेस संघर्ष के लिए तैयार है।

'न्याय पथ' पर कांग्रेस के सिपाही

इसी क्रम में इस अधिवेशन को न्याय पथ के तौर पर नया नाम दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को न्याय के पुरोधा बताते हुए कहा कि कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता भारत के संविधान और लोकतंत्र की वर्तमान इस लड़ाई को जननायक बनाने के लिए ‘न्याय पथ’ पर चलने को प्रतिबद्ध है। यही सरदार पटेल के आदेश और सिद्धांतों का मार्ग भी है। इस प्रेरणादायक सोच की राह पर चलने को कांग्रेस का हर सिपाही कटिबद्ध है।

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