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सीजेआई संजीव खन्ना ने किया न्यायिक सुधारों का खाका तैयार, समान व्यवहार-लंबित मामलों की संख्या कम करना लक्ष्य

सीजेआई जस्टिस खन्ना ने पदभार संभालते हुए वकीलों से मौखिक उल्लेखों पर रोक लगाने और न्यायिक सुधारों के लिए रूपरेखा प्रस्तुत की है।
03:03 PM Nov 12, 2024 IST | Girijansh Gopalan
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जस्टिस संजीव खन्ना ने शपथ के बाद मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाल लिया है। बता दें कि पदभार संभालते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों को खास हिदायत दी है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा वकीलों से इसके लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया है।

कोर्ट में मौखिल उल्लेख नहीं

सीजेआई संजीव खन्ना ने वकीलों से कहा कि अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा, केवल ईमेल या लिखित पर्ची/पत्र में ही होगा। उन्होंने कहा कि बस तत्काल सुनवाई की आवश्यकता के कारण बताएं। सीजेआई संजीव खन्ना ने न्यायिक सुधारों के लिए नागरिक-केंद्रित एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है और कहा है कि न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और नागरिकों के साथ उनकी स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है।

देश के 51 वें सीजेआई जस्टिस खन्ना

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीते सोमवार को राष्ट्रपति भवन में 51वें सीजेआई के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना को शपथ दिलाई थी। इस दौरान जस्टिस खन्ना ने लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका का नेतृत्व करने पर अत्यधिक सम्मान महसूस होने की बात कही है। मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार को अपने पहले बयान में कहा कि न्यायपालिका शासन प्रणाली का अभिन्न अंग है, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। उन्होंने कहा कि संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है।

नागरिकों के साथ समान व्यवहार

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि समान व्यवहार के मामले में न्याय वितरण ढांचे में सभी को सफल होने का उचित अवसर प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि चाहे उनकी स्थिति, धन या शक्ति कुछ भी हो और ये न्यायपूर्ण और निष्पक्ष निर्णय होना चाहिए, ये हमारे मूल सिद्धांतों को चिह्नित करते हैं।

लंबित मामलों की संख्या कम करना एक लक्ष्य

जस्टिस संजीव खन्ना ने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया है। जिसमें उन्होंने लंबित मामलों की संख्या कम करना, मुकदमेबाजी को किफायती बनाना और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता शामिल है। उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को सभी नागरिकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने अदालतों को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए एक दृष्टिकोण की रूपरेखा भी प्रस्तुत की है।

सीजेआई ने नहीं लिया बंगला

बता दें कि सीजेआई के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल सिर्फ़ 6 महीने (मात्र 183 दिनों) का होगा। इसलिए उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के सरकारी बंगले (5, कृष्ण मेनन मार्ग) में शिफ़्ट नहीं होने का फ़ैसला किया है। जानकारी के मुताबिक संजीव खन्ना के बाद अगले सीजेआई जस्टिस बीआर गवई 14 मई, 2025 को कार्यभार संभालेंगे, उनका कार्यकाल भी सिर्फ़ 6 महीने का होगा।

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