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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर टूटा ऐसा कहर! तिरपाल से लिपटे...डंडे की स्ट्रेचर पर पड़े दिखाई दिए

सुकमा-दंतेवाड़ा के जंगलों में सुरक्षाबलों ने 16 नक्सलियों को मार गिराया। जवानों ने तिरपाल में लाशें लपेटीं, कंधों पर ढोया। क्या यह नक्सलवाद के अंत की शुरुआत है?
03:46 PM Mar 29, 2025 IST | Rohit Agrawal

Chhattisgarh Naxalite Encounter 2025: छत्तीसगढ़ के सुकमा और दंतेवाड़ा की घनी जंगलों में एक बार फिर गोलियों की तड़तड़ाहट गूँजी। शुक्रवार देर रात शुरू हुआ यह ऑपरेशन शनिवार सुबह खूनी खेल में बदल गया। नक्सलियों और सुरक्षाबलों की भिड़ंत में 16 नक्सली ढेर हो गए। जवान न सिर्फ जीत लेकर लौटे, बल्कि नक्सलियों की लाशों को तिरपाल में लपेटकर, बाँस के डंडों से बाँधकर कंधों पर ढोते हुए वापस आए। यह मंज़र देख हर कोई दंग रह गया। आइए, इस एनकाउंटर की पूरी कहानी को आसान शब्दों में समझें।

नक्सलियों की चाल हर चाल नाकाम

शुक्रवार की रात को केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के सैकड़ों जवान सुकमा-दंतेवाड़ा की सीमा पर बसे केरलापाल थाना इलाके में घुसे। खबर थी कि जंगल में नक्सली छिपे हैं। सुबह करीब 8 बजे, जब जवान उपमपल्ली के घने जंगल में पहुँचे, तो नक्सलियों ने घेरा तोड़ने की कोशिश में फायरिंग शुरू कर दी। लेकिन हमारे जवान तैयार थे। जवाबी कार्रवाई में नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया गया। घंटों चली इस मुठभेड़ में 16 नक्सली मारे गए, जबकि DRG के दो जवान मामूली रूप से घायल हुए।

तिरपाल का कफ़न और डंडे से बनी स्ट्रेचर पर नक्सलियों के शब

मुठभेड़ खत्म होने के बाद जंगल से लाशें निकालना आसान नहीं था। गाड़ियाँ वहाँ तक जा नहीं सकती थीं। जवानों ने हिम्मत दिखाई और तिरपाल को कफन बनाया। नक्सलियों की लाशों को उसमें लपेटा, फिर बाँस के डंडों से बाँधकर कंधों पर उठा लिया। 10 किलोमीटर से ज़्यादा का रास्ता पैदल तय करते हुए जवान इन लाशों को लेकर लौटे। बस्तर के IG सुंदरराज पी ने बताया कि मारे गए नक्सलियों में बड़े कैडर भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनके पास से भारी मात्रा में AK-47, SLR, इंसास राइफल जैसे घातक हथियार मिले हैं। CRPF का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है।

नक्सलियों के पास मिला हथियारों का बड़ा जखीरा

मुठभेड़ के बाद जंगल में सर्चिंग के दौरान जवानों को ऑटोमैटिक हथियारों का ढेर मिला। AK-47, रॉकेट लॉन्चर, बीजीएल लॉन्चर जैसे हथियार बताते हैं कि नक्सली किसी बड़ी साजिश की तैयारी में थे। IG सुंदरराज ने कहा, "यह ऑपरेशन नक्सलियों के लिए बड़ा झटका है। हमारा अभियान जारी रहेगा।" इस मुठभेड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सुरक्षाबल अब नक्सलियों पर भारी पड़ रहे हैं।

अब तक हो चुके हैं 132 नक्सली ढेर

इस साल जनवरी से अब तक छत्तीसगढ़ में 132 नक्सली मारे जा चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने इसे "नक्सलमुक्त भारत" की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा, "मोदी जी के नेतृत्व में हम 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। हिंसा छोड़ शांति अपनाने का वक्त है।" कुछ बड़े एनकाउंटर इस साल के हैं:

4 जनवरी: अबूझमाड़ में 5 नक्सली ढेर
16 जनवरी: दक्षिण बस्तर में 12 नक्सली मारे गए
9 फरवरी: बीजापुर में 31 नक्सली खत्म
20 मार्च: बीजापुर-कांकेर में 22 नक्सली ढेर
25 मार्च: दंतेवाड़ा में 3 नक्सली मारे गए

नक्सलियों पर काल बनकर टूटे जवान

सुकमा का यह ऑपरेशन दिखाता है कि नक्सलियों के दिन अब गिने-चुने हैं। तिरपाल में लिपटी लाशें और जवानों के कंधों पर ढोया गया उनका अंत इस बात का सबूत है कि सुरक्षाबल हर चुनौती के लिए तैयार हैं। जंगल हो या पहाड़, नक्सलियों को अब कहीं छिपने की जगह नहीं मिल रही। क्या यह नक्सलवाद के खात्मे की शुरुआत है? जवानों की हिम्मत और सरकार की रणनीति से तो यही लगता है!

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