नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

जिम कॉर्बेट में जंगली जानवरों के लिए लगे थे कैमरे, अब चोरी-छिपे महिलाओं की हो रही है जासूसी

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे और ड्रोन का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं पर नजर रखने और उनकी जासूसी करने के लिए किया जा रहा है।
11:59 AM Nov 27, 2024 IST | Girijansh Gopalan
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व

उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में ड्रोन कैमरा के जरिए महिलाओं की जासूसी की जा रही है। जी हां, जंगली जानवरों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरा, वॉयस रिकॉर्डर और ड्रोन का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं पर नजर रखने और उनकी जासूसी करने के लिए भी किया जा रहा है। बता दें कि ये सभी महिलाएं आस-पास गांव में रहती हैं और चारा ढूंढने या अपने अन्य कामों के लिए जंगल में जाती हैं।

कैमरा जंगली जानवरों के लिए

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप और ड्रोन जंगली जानवरों की सुरक्षा में मददगार हैं। हालांकि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्थानीय अधिकारियों और गांव के कुछ पुरुषों द्वारा इनका इस्तेमाल जंगल में लकड़ियां बीनने या पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करने जाने वाली महिलाओं पर जासूसी करने और उनकी फोटो-वीडियों निकालने के लिए भी किया जा रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक ये महिलाएं ज्यादातर उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व के अंदर और आसपास के गांवों रहती हैं। इनकी बिना सहमति के इन ड्रोन, सीसीटीवी कैमरा, वॉइस रिकॉर्डर का इस्तेमाल उन पर नजर रखने के लिए किया जाता है।

वन्य जीवों के लिए लगे हैं कैमरा

बता दें कि यह कैमरा और माइक वन विभाग की निगरानी, प्राकृतिक क्षेत्रों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए लगाया गया है। लेकिन कुछ स्थानीय और अस्थाई कर्मचारियों की वजह से इसका दुरुपयोग हो रहा है। कैम्ब्रिज के शोधकर्ता त्रिशांत सिमलाई ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाली महिलाओं समेत 270 स्थानीय लोगों का इंटरव्यू किया है। उनकी रिपोर्ट कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की पत्रिका एनवायरनमेंट एंड प्लानिंग एफ में प्रकाशित हुई है। प्रमुख शोधकर्ता त्रिशांत सिमलाई ने मीडिया संस्थान इंडिया टुडे डिजिटल को बताया कि महिलाएं अब जंगल में जाने को लेकर घबराई हुई हैं। पहले यह उनके लिए एक सुरक्षित जगह हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि एक महिला शौच के लिए गई थी, इस दौरान वो कैमरा ट्रैप में कैद हो गई थी। जिसके बाद उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया और व्हाट्सएप पर भी धड़ल्ले से शेयर किया गया है। इन कैमरा ट्रैप के दुरुपयोग से ग्रामीण नाराज हैं, गुस्साए ग्रामीणों ने कुछ कैमरों को जला भी दिया है।

कैमरा लगाना खतरनाक

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक निगरानी ही एकमात्र रास्ता नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि सर्वेक्षण के जरिए भी जानवरों की जानकारी निकाली जा सकती है। प्रमुख शोधकर्ता सिमलाई ने कहा कि मैंने पाया कि स्थानीय महिलाएं जंगल में एक साथ काम करते हुए मजबूत बंधन बनाती हैं। लेकिन जब वे कैमरा ट्रैप देखती हैं, तो महिलाएं खुद को बाधित महसूस करती हैं, क्योंकि उन्हें नहीं पता होता कि कौन उन्हें देख रहा है या सुन रहा है। यही कारण है कि वो पहले शांत हो चुकी हैं और अब खुलकर एक दूसरे से बात नहीं करती हैं और गीत नहीं गाती हैं।

Tags :
illegal surveillance in Indian wildlife sanctuariesJim Corbett National Parkmisuse of technologyprivacy breach in Jim Corbettprivacy violationsecret recordings of womensurveillance cameraswildlife cameras used for spyingWomen's Rightswomen's safety in national parksउत्तराखंडउत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा पर खतराउत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण के दौरान महिलाओं पर हमलेकैमरे का दुरुपयोगकॉर्बेट नेशनल पार्ककॉर्बेट नेशनल पार्क में गोपनीयता का उल्लंघनगोपनीयता का अधिकारगोपनीयता का उल्लंघनजिम कॉर्बेटजिम कॉर्बेट में ड्रोन कैमरों से महिलाओं की जासूसीजिम कॉर्बेट में महिलाओं के खिलाफ अपराधड्रोन कैमरामहिलाओं के अधिकारमहिलाओं पर जासूसीवन्यजीव संरक्षणवन्यजीव संरक्षण के लिए लगे कैमरे का गलत इस्तेमाल

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article