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मंत्री ने की हिंदुओं से अपील, ‘जिसे हनुमान चालीसा नहीं आती, उससे हिंदू सामान नहीं खरीदे...’

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 26 मासूम जिंदगियों को बेदर्दी से खत्म कर देने वाले इस आतंकी हमले के बाद देश में आक्रोश और आहट दोनों गूंज रहे हैं।...
09:27 AM Apr 26, 2025 IST | Sunil Sharma

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 26 मासूम जिंदगियों को बेदर्दी से खत्म कर देने वाले इस आतंकी हमले के बाद देश में आक्रोश और आहट दोनों गूंज रहे हैं। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितेश राणे का बयान सुर्खियों में है, जिन्होंने हिंदुओं से खास अपील की है – “सामान उसी दुकानदार से खरीदें, जिसे हनुमान चालीसा आती हो।”

वे हमारा धर्म पूछकर मार रहे हैं, तो हम क्यों न पूछें?

रत्नागिरी जिले के दापोली शहर में एक सभा को संबोधित करते हुए नितेश राणे ने तीखे शब्दों में कहा, "जब आतंकवादी मारने से पहले आपका नाम और धर्म पूछ सकते हैं, तो हम भी दुकानदार से पूछें कि उसका धर्म क्या है।" उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय को अब जागरूक और सतर्क होना होगा। अगर कोई दुकानदार खुद को हिंदू बताता है, तो उससे कहें कि वह हनुमान चालीसा पढ़कर सुनाए। अगर वह चुप हो जाए या पढ़ न सके – तो वहां से कुछ भी न खरीदें।

कहा, 'अब हर लेन-देन से पहले धर्म की पहचान जरूरी है'

नितेश राणे ने कहा कि इस प्रकार की जागरूकता सिर्फ व्यक्ति तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि हर हिंदू संगठन को इस मांग को प्रमुखता से उठाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कोई हमला होता है तो सबसे पहले निशाने पर हिंदू ही क्यों होते हैं? उन्होंने साफ शब्दों में कहा – "अगर आतंकवाद के पीछे पहचान पूछने का एजेंडा है, तो हम भी हर खरीदारी से पहले धर्म पूछने का अधिकार रखते हैं।"

पहलगाम में नाम और धर्म पूछकर की गई थी हत्याएं

22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो किसी दुःस्वप्न से कम नहीं था। आतंकवादियों ने सीधे पर्यटकों पर फायरिंग की, लेकिन उससे पहले उनका नाम, धर्म और यहां तक कि कलमा पढ़ने को कहा गया। जो ऐसा नहीं कर पाए – उन्हें वहीं गोलियों से भून दिया गया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें 25 हिंदू पुरुष थे। इस नरसंहार के बाद देशभर में पाकिस्तान और कट्टरपंथियों के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है।

क्या कहता है ये बयान?

नितेश राणे का बयान एक ओर जहां सुरक्षा और पहचान के मुद्दे को उठाता है, वहीं यह सामाजिक और धार्मिक पहचान के आधार पर आर्थिक व्यवहार को लेकर एक नई बहस भी शुरू करता है। सवाल है कि क्या हम अब हर दुकान से पहले धर्म पूछेंगे, और क्या यह देश को और अधिक ध्रुवीकृत नहीं कर देगा? लेकिन राणे की बात उन हजारों हिंदुओं की भावना को भी आवाज़ देती है, जो अब सिर्फ जवाब नहीं, इंसाफ चाहते हैं।

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