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Lok Sabha Elections 2024 भाजपा की 'बी' टीम होने की धारणा तोड़ने की कोशिश में बसपा, ज्यादा मुसलमानों को टिकट; BJP के कोर वोटर पर भी नजर

Lok Sabha Elections 2024 बहुजन समाज पार्टी भाजपा की 'बी' टीम होने की धारणा तोड़ने की कोशिश में है। प्रदेश की कई सीटों पर बसपा ने भाजपा के समीकरण की चुनौती बढ़ा दी है। यही नहीं मायावती ने इससे भी...
05:33 PM Apr 17, 2024 IST | N Navrahi/एन नवराही

Lok Sabha Elections 2024 बहुजन समाज पार्टी भाजपा की 'बी' टीम होने की धारणा तोड़ने की कोशिश में है। प्रदेश की कई सीटों पर बसपा ने भाजपा के समीकरण की चुनौती बढ़ा दी है। यही नहीं मायावती ने इससे भी आगे बढ़कर 14 मुस्लिमों को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि ब्राह्मणों को भाजपा के कोर वोटर के रुप में माना जाता है। तो बसपा ने अब तक 55 टिकटों में 11 ब्राह्मणों पर भरोसा जताया है।

मुस्लिम बहुल सीटों पर बसपा की रणनीति

सपा और कांग्रेस गठबंधन के कई नेता बहुजन समाज पार्टी पर भाजपा की 'बी' टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं। पर, बसपा ने कई सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं जो सीधे तौर पर भाजपा की टेंशन बढ़ाने वाले हैं। साथ ही सपा कांग्रेस की जोडी का मुकाबला करने की कोशिश भी की है। बसपा का प्रयास है कि वह अपने परंपरागत वोटबैंक को फिर से वापस भी पा सके।

बसपा के वोट शेयर में गिरावट को रोकने की कोशिश

बसपा के वोट शेयर में बीते कई चुनावों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। इसलिए अपने बेस वोट पर मंडराते खतरे को ध्यान में रखते हुए बसपा ने इस बार टिकट का वितरण रणनीतिक तौर पर किया है। बसपा का नारा रहा है - जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी । और इस बार बसपा अपने कोर वोटर को ध्यान में रख कर इस बार टिकट का वितरण किया है। इससे उसने भाजपा की 'बी' टीम होने की धारणा तोड़ने की कोशिश की है।

यूपी में मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत, टिकट 25.45 प्रतिशत

मायावती ने अब तक जो 55 टिकट दिए हैं उनमें 14 मुस्लिम हैं। यूपी की आबादी में मुसलमानों की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी है। जबकि बसपा 25.45 प्रतिशत टिकट मुस्लिमों को दे चुकी है। दूसरी ओर गठबंधन ने अब तक घोषित 72 सीटों में से सात टिकट ही मुसलमानों को दिए हैं। यह 10 प्रतिशत भी नहीं है। बसपा ने भाजपा के कोर वोटर ब्राह्मणों में से भी 11 को टिकट दिए हैं।

गठबंधन मुस्लिम वोट से सीटें बढ़ाने की कर रहा कोशिश

गठबंधन के नेताओं का बसपा को भाजपा की 'बी' टीम बताना रणनीतिक सियासी शरारत की तरह है, जिससे मुसलमानों को टिकटों में कम हिस्सेदारी की ज्यादा चर्चा न हो पाए। मायावती ने भाजपा के कई चर्चित चेहरों के सामने अपने रणनीतिक कैंडिडेट उतारे। इसे गठबंधन के आरोपों का जवाब कहा जा सकता है। इस तरह बसपा ने कई सीटों पर भाजपा की चुनौती बढ़ाई है।

जौनपुर में धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को बसपा टिकट

जौनपुर लोकसभा सीट का पिछला चुनाव भाजपा हार गई थी। इस सीट को निकालने के लिए भाजपा ने कृपा शंकर सिंह को टिकट दिया है। कृपा शंकर महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे । और मूल रूप से जौनपुर के ही रहने वाले हैं। अब मायावती ने ठाकुर समाज के ही बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट दे दिया। धनंजय जेल में हैं। श्रीकला जौनपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। एक जमाने में बाबू सिंह मायावती के आंख-कान होते थे।

मेरठ में देवव्रत त्यागी को उतारकर भाजपा वोटबैंक में सेंध की कोशिश

मेरठ में भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद का टिकट काटकर टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा त्यागी समाज को अपने समर्थन में मानती रही है। कई त्यागी नेताओं को महत्वपूर्ण पद और प्रतिष्ठा से नवाजा है। मायावती ने मेरठ से देवव्रत त्यागी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के कोर वोटबैंक में सेंध लगाने की चाल चल कर टेंशन बढ़ा दी है।

बस्ती में बीजेपी के हरीश के सामने दयाशंकर मिश्र को बसपा टिकट

बस्ती में भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद हरीश द्विवेदी को फिर टिकट दिया है। बसपा ने ब्राह्मण समाज से ही दयाशंकर मिश्र को टिकट देकर भाजपा की पेशानी पर बल ला दिया है। यहां सपा ने एक बार फिर पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी को उतारा है। चौधरी बसपा सरकार में मंत्री हुआ करते थे और मायावती के खास लोगों में गिनती होती थी।

आजमगढ़ में बसपा ने भीम राजभर को उतार कर भाजपा की चुनौती बढ़ाई

आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव मैदान में हैं। भाजपा ने यहां से अपने मौजूदा सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को उतारा है। यहां राजभर समाज की अच्छी तादाद है। इस समाज को साधने के लिए भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन किया है। पर, बसपा ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से उतार कर भाजपा के समीकरण की चुनौती बढ़ा दी है। साथ ही भाजपा की 'बी' टीम होने की धारणा को तोड़ने की कोशिश भी है।

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